योगी सरकार द्वारा जिला और राज्य स्तर पर एक प्रस्ताव किया गया जिसमें यूपी के महत्वपूर्ण जिले मिर्जापुर का नाम बदलकर विंध्याचल धाम रखने का सुझाव है। यह प्रस्ताव अब आगे की मंजूरी के लिए राज्य सरकार व संबंधित विभागों को भेज गया है।
मिर्ज़ापुर का नामकरण- जल्द बन सकता है ‘विंध्याचल धाम’
उत्तर प्रदेश सरकार ने ऐतिहासिक ज़िले मिर्ज़ापुर का नाम बदलकर “विंध्याचल धाम” करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है। हाल ही में प्रशासनिक स्तर पर हुई बैठक में इस प्रस्ताव को औपचारिक रूप से रखा गया, जिसे स्थानीय प्रतिनिधियों और अधिकारियों का समर्थन भी मिला है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, यह फैसला राज्य की उस नीति के तहत है जिसमें धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान के आधार पर कुछ स्थानों के नाम पुनर्निर्धारित किए जा रहे हैं।
क्यों बदला जा रहा है नाम?
मिर्ज़ापुर विश्वप्रसिद्ध मां विंध्यवासिनी धाम के कारण धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। हर वर्ष लाखों श्रद्धालु भंडारी पर्व, शारदीय और चैत्र नवरात्र में यहां पहुंचते हैं। स्थानीय जनप्रतिनिधियों का तर्क है कि शहर का मूल ऐतिहासिक और आध्यात्मिक स्वरूप विंध्य क्षेत्र से जुड़ा है। जिले की पहचान एक धार्मिक तीर्थ के रूप में अधिक है, न कि इसके वर्तमान नाम से। नाम बदलने से धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि होगी।
कैसे बदलेगा नाम? प्रक्रिया जारी
नाम परिवर्तन का प्रस्ताव अब उत्तर प्रदेश सरकार की कैबिनेट के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। कैबिनेट की मंजूरी के बाद-
1. आधिकारिक राजपत्र (Gazette Notification) जारी होगा।
2. केंद्र सरकार, डाक विभाग, जनगणना, बैंकिंग व रेलवे रिकॉर्ड में संशोधन किया जाएगा।
3. नक्शों व सरकारी वेबसाइटों पर नया नाम दर्ज किया जाएगा।
फिलहाल यह प्रस्ताव प्रारंभिक चरण में है और अंतिम मंजूरी का इंतज़ार है।
रेलवे स्टेशन का नाम पहले ही बदला
गौरतलब है कि हाल ही में विंध्याचल रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर “विंध्याचल धाम रेलवे स्टेशन” कर दिया गया है। इससे यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि नाम परिवर्तन की दिशा में प्रशासन गंभीर है और चरणबद्ध तरीके से बदलाव किए जा रहे हैं।
जनता की प्रतिक्रिया मिली-जुली
जहां कई श्रद्धालु इस कदम का स्वागत कर रहे हैं और इसे सांस्कृतिक पुनर्स्थापन बता रहे हैं, वहीं कुछ स्थानीय नागरिकों ने कहा है कि, “नाम बदलने से पहले शहर की सुविधाओं और विकास कार्यों पर ध्यान देना ज़रूरी है।” सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे पर बहस जारी है।
अगला कदम- कैबिनेट की मुहर
अब सबकी नज़रें उत्तर प्रदेश कैबिनेट की उस बैठक पर हैं जिसमें इस प्रस्ताव पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। यदि कैबिनेट ने मंजूरी दे दी, तो जल्द ही मिर्ज़ापुर का आधिकारिक नाम विंध्याचल धाम हो जाएगा। योगी आदित्यनाथ सरकार के कार्यकाल में उत्तर प्रदेश में कई ऐतिहासिक और प्रशासनिक स्थानों के नाम बदले गए हैं। सबसे प्रमुख बदलावों में इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज और फ़ैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या किया जाना शामिल है। इसके साथ ही मुगलसराय रेलवे जंक्शन का नाम बदलकर पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन रखा गया।
छोटे कस्बों-नगर पंचायतों के बदले नाम
कुछ अन्य कस्बों और नगर पंचायतों के नाम भी बदले गए, जैसे गोरखपुर के मुंडेरा बाज़ार का नाम बदलकर चौरी-चौरा, और देवरिया के तेलिया अफगान का नाम बदलकर तेलिया शुक्ला किया गया। इसी प्रकार शाहजहांपुर के जलालाबाद का नाम बदलकर परशुरामपुरी रखा गया और लखीमपुर खीरी के मुस्तफाबाद का नाम बदलकर कबीरधाम करने का प्रस्ताव रखा गया है, जो अभी अंतिम मंजूरी की प्रतीक्षा में है। हाल ही में कई रेलवे स्टेशनों, नगरों और स्थानीय प्रशासनिक इकाइयों के नाम भी बदलते रहे हैं, और इस क्रम में विंध्याचल रेलवे स्टेशन का नाम सरकारी आदेश के बाद विंध्याचल धाम रेलवे स्टेशन किया गया है।
धार्मिक-ऐतिहासिक-सांस्कृतिक पहचान स्थापित करने की कोशिश
अधिकांश नाम-परिवर्तन धार्मिक, सांस्कृतिक या ऐतिहासिक कारणों से किये जा रहे हैं, जैसे कि पुराने नामों को पहले के शासकों के बताए जाने वाले नामों से हटाना, या धर्म/इतिहास से जुड़े नाम देना। इन नाम परिवर्तनों का मुख्य आधार धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान को पुनर्स्थापित करना बताया गया है। सरकार का मानना है कि इससे धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा तथा स्थानों की पारंपरिक पहचान मजबूत होगी। हालांकि, इन बदलावों पर राजनीतिक और जन प्रतिक्रिया मिश्रित रही है। कुछ लोग इसे सांस्कृतिक गौरव से जोड़ते हैं, जबकि कुछ इसे विकास की बजाय प्रतीकात्मक निर्णय बताते हैं।
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