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May 15, 2025

Ajit Doval : चुपचाप चलने वाला ऐसा आदमी, उत्तराखंड की पहाड़ियों मे ही पैदा होता है

 Ajit Doval: साल 1945-उत्तराखंड की पहाड़ियों में एक छोटे से गांव में एक बच्चा पैदा होता है – नाम रखा जाता है अजीत! कौन जानता था कि ये बालक एक दिन उन लड़ाइयों का हिस्सा बनेगा, जिनके बारे में इतिहास की किताबें गर्व से लिखेंगी। वो लड़ाइयां, जो संसद में नहीं, बल्कि परछाइयों में लड़ी जाती हैं। नकाब में, झूठी पहचान में, मौत के साए में! उसकी आँखों में एक अलग चमक थी, न डरने वाली, न रुकने वाली। 22 की उम्र में UPSC निकाली। IPS बना। लेकिन ये उसकी मंज़िल नहीं थी, ये तो सिर्फ रास्ता था।

1971, केरल

Ajit Doval: दंगे फूट चुके थे। पुलिस थर-थर कांप रही थी। और तभी एक दुबला-पतला नौजवान, बिना बंदूक, अकेला, दंगाइयों की भीड़ में घुस जाता है। बोलता है, समझाता है, डर नहीं दिखाता, और एक हफ्ते में शांति लौट आती है। लोग पूछते हैं, “ये कौन है?” किसी ने धीरे से कहा, “नाम याद रखना – अजीत डोभाल।”

मिज़ोरम

Ajit Doval: जंगलों में विद्रोही छिपे थे। लालडेंगा और उसका संगठन, भारत के खिलाफ। डोभाल वहां गया, लेकिन किसी अधिकारी की तरह नहीं। वो उनके साथ रहने लगा। उनके साथ खाना खाया, उनके जैसे बोलने लगा। धीरे-धीरे कमांडरों का विश्वास जीत लिया। एक दिन लालडेंगा चीख पड़ा, “उसने मेरे आदमी चुरा लिए!”

कभी सिक्किम में, कभी पाकिस्तान में

Ajit Doval: सिक्किम को भारत में मिलाना था, तो डोभाल भेजे गए। न टैंक, न बम। केवल एक आदमी, और उसका दिमाग। पाकिस्तान के काहूटा में, जहां परमाणु हथियार बन रहे थे, 7 साल तक डोभाल भिखारी बनकर घूमे। नाई की दुकानों से बाल उठाए, दो बार मौत से बचे, और भारत तक वो जानकारी पहुंची, जो किसी सैटेलाइट से नहीं मिलती।

1988, अमृतसर, स्वर्ण मंदिर

Ajit Doval: खालिस्तानी आतंकवादी अंदर छिपे थे। डोभाल, एक मुसलमान बनकर अंदर दाखिल हुए, उर्दू बोली, दोस्ती की, भरोसा जीता, और फिर Operation Black Thunder से पहले पूरी जानकारी भारत को दे दी। कई लोगों की जानें बच गईं, और किसी को पता तक नहीं चला कि अंदर एक ‘डोभाल’ बैठा था। वह ऑपरेशन के दौरान अपने कारनामों के लिए शांति काल के दूसरे सबसे बड़े वीरता पुरस्कार, कीर्ति चक्र से सम्मानित होने वाले पहले पुलिस अधिकारी बने।

1999, कंधार

Ajit Doval: एक हाइजैक्ड प्लेन, 180 भारतीय बंधक! जब देश थम गया था, तब डोभाल एयरपोर्ट पर खड़ा था, सौदेबाज़ी कर रहा था। 3 आतंकवादी छोड़ने पड़े, लेकिन हर यात्री ज़िंदा लौट आया। सेवानिवृत्ति के बाद लोग आराम करते हैं। पर डोभाल ने ‘विवेकानंद फाउंडेशन’ बनाई। युवाओं को जोड़ना शुरू किया। रिपोर्ट्स लिखीं। काले धन पर रिसर्च किया। देश की नीतियों पर दबाव बनाया।

Ajit Doval-2014

Ajit Doval: नरेंद्र मोदी सत्ता में आए, और उन्होंने एक फोन किया,”डोभाल जी, अब आपको NSA बनना होगा।” अब Ajit Doval सिर्फ एक जासूस नहीं थे, अब वो भारत की रणनीति थे। इसके बाद म्यांमार में सर्जिकल स्ट्राइक, उरी और पुलवामा का जवाब, बालाकोट एयर स्ट्राइक, अनुच्छेद 370 हटाना, इराक से भारतीय नर्सों की वापसी – हर बड़ी घटना में एक साया था, एक नाम था, जो कभी कैमरे के सामने नहीं आया, ‘अजीत डोभाल।’
आज भी, वो लड़ते हैं, सिर्फ पाकिस्तान या आतंक से नहीं, बल्कि उन आरोपों से भी, जो उनके परिवार पर लगाए गए। उनका बेटा बदनाम हुआ, उसपर काले धन संग्रह का आरोप लगा, डोभाल ने मुकदमा किया और कोर्ट में जीत हासिल की। आरोप लगाने वालों को माफ़ी मांगनी पड़ी।

नाम- Ajit Kumar Doval

Ajit Doval: IPS (सेवानिवृत्त),  पुलिस पदक , राष्ट्रपति पुलिस पदक,  कीर्ति चक्र से सम्मानित (जन्म 20 जनवरी 1945) एक पूर्व भारतीय खुफिया और कानून प्रवर्तन अधिकारी हैं, जो 30 मई2014  से भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 5वें और वर्तमान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं। उन्होंने पहले 2004-05 में इटेलिजेंस ब्यूरो के निदेशक के रूप में कार्य किया था, इसके संचालन विंग के प्रमुख के रूप में एक दशक बिताने के बाद।

‘अजीत डोभाल’

वो चुप हैं, लेकिन कमजोर नहीं। वो दिखते नहीं, पर हर जगह मौजूद हैं। वो नारे नहीं लगाते, वो परिणाम लाते हैं। जब भारत सोता है, डोभाल जागते हैं।

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