कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) तकनीक की तेज़ी से बढ़ती मांग ने वैश्विक सेमीकंडक्टर और मेमोरी बाजार को हिला कर रख दिया है। ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, पिछले एक वर्ष में Dynamic Random Access Memory की कीमतों में रिकॉर्ड 172 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है, जो अब तक की सबसे बड़ी उछाल मानी जा रही है।
AI की बढ़ती मांग ने बढ़ाई DRAM की क़ीमत
DRAM की कीमतों में इस वर्ष 172 प्रतिशत की भारी वृद्धि दर्ज की गई है, क्योंकि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) की भारी मांग ने उत्पादन क्षमता को लगभग पूरी तरह से निगल लिया है। इस वजह से कई निर्माता कंपनियों ने DDR ऑर्डर को अस्थायी रूप से रोक दिया है, जबकि उपभोक्ताओं को खुदरा बाजार में 40 फ़ीसदी तक की कीमत वृद्धि का सामना करना पड़ रहा है। यह आपूर्ति संकट पीसी बिल्डर्स, गेमर्स और स्मार्टफोन उद्योगसहित पूरे उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स बाजार को प्रभावित कर रहा है। उपभोक्ता मेमोरी बाजार फिलहाल गंभीर संकट से गुजर रहा है। DRAM (Dynamic Random-Access Memory) की कीमतें इस साल अभूतपूर्व स्तर पर पहुंच गई हैं, जिसका मुख्य कारण AI सेक्टर से आई अत्यधिक मांग है। रिपोर्टों के अनुसार, साल 2025 में DRAM की स्पॉट कीमतों में 172 फ़ीसदी की चौंकाने वाली वृद्धि दर्ज की गई है। एक ऐसा उछाल, जिसने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को बाधित कर दिया है और उपभोक्ताओं की जेब पर सीधा असर डाला है।
बड़ी टेक कंपनियों के डेटा विस्तार के चलते बढ़ी मेमोरी चिप्स की मांग
यह अप्रत्याशित वृद्धि इसलिए हो रही है क्योंकि AI सर्वरों, क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर और हाई-परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग सिस्टम्स में विशाल मात्रा में मेमोरी की आवश्यकता होती है। टेक्नोलॉजी दिग्गज जैसे NVIDIA, Microsoft, Google, और Amazon लगातार अपने डेटा सेंटर्स का विस्तार कर रहे हैं, जिससे मेमोरी चिप्स की मांग अप्रत्याशित स्तर तक पहुंच गई है।
सप्लाई संकट गहराया, फैक्ट्रियां दबाव में
मेमोरी चिप्स के प्रमुख उत्पादक- Samsung Electronics, SK Hynix और Micron Technology इन दिनों सप्लाई की भारी चुनौती से जूझ रहे हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार AI ट्रेनिंग सर्वरों में इस्तेमाल होने वाली हाई-बैंडविड्थ मेमोरी (HBM) और DRAM की मांग इतनी बढ़ गई है कि निर्माण कंपनियां अपने उत्पादन लक्ष्य से 30 से 40 प्रतिशत अधिक लोड में काम कर रही हैं। SK Hynix ने स्वीकार किया है कि HBM3 और HBM3E चिप्स की मांग “ऐतिहासिक स्तर” पर है। वहीं, सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स ने कहा कि वह उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए 2025 तक दक्षिण कोरिया में नई फैक्ट्री स्थापित करने की योजना बना रही हैं।
AI की वजह से बदला बाजार का समीकरण
विशेषज्ञों का मानना है कि Generative AI तकनीक की बढ़ती लोकप्रियता ने वैश्विक चिप उद्योग को एक नए युग में प्रवेश करा दिया है। ChatGPT जैसे AI मॉडल को चलाने के लिए भारी मात्रा में डेटा प्रोसेसिंग और उच्च गति की मेमोरी की जरूरत होती है। इंडस्ट्री विश्लेषक पॉल वेबर के अनुसार, “AI सर्वरों को पारंपरिक सर्वरों की तुलना में 8 से 10 गुना ज्यादा मेमोरी चाहिए होती है। यही कारण है कि DRAM की मांग पिछले वर्ष की तुलना में तीन गुना तक बढ़ गई है।”
साधारण उपभोक्ता पर असर, भारत भी प्रभावित
इस वैश्विक मेमोरी संकट का असर केवल उद्योग जगत तक सीमित नहीं है, बल्कि आम उपभोक्ताओं तक भी पहुंचने लगा है। लैपटॉप, स्मार्टफोन और पीसी की कीमतों में भी धीरे-धीरे वृद्धि देखी जा रही है। इलेक्ट्रॉनिक उपकरण निर्माताओं को अब उत्पादन लागत बढ़ने की वजह से अपने उत्पाद महंगे करने पड़ रहे हैं।
भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स बाजार, जो अब Make In India के तहत तेजी से बढ़ रहा है, इस वैश्विक संकट से अछूता नहीं रहा। कई डिवाइस निर्माता कंपनियों ने संकेत दिया है कि आगामी त्योहारी सीजन में मोबाइल और कंप्यूटर उपकरणों की कीमतें 10–15 प्रतिशत तक बढ़ सकती हैं।
विश्लेषकों की चेतावनी
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि यदि अगले छह महीनों में उत्पादन क्षमता नहीं बढ़ाई गई तो यह संकट 2026 तक जारी रह सकता है। इससे न केवल तकनीकी उत्पादों की कीमतें बढ़ेंगी, बल्कि वैश्विक मुद्रास्फीति पर भी असर पड़ सकता है। AI तकनीक ने जहां दुनिया को नई संभावनाएं दी हैं, वहीं इसने उद्योग जगत को नई चुनौतियां भी दी हैं। DRAM कीमतों में 172 फ़ीसदी की छलांग इस बात का संकेत है कि “डेटा का युग” अब केवल सॉफ्टवेयर पर नहीं, बल्कि हार्डवेयर की सीमाओं पर भी निर्भर हो गया है। यदि सप्लाई और मांग का संतुलन जल्द नहीं बना, तो यह संकट डिजिटल दुनिया के भविष्य को प्रभावित कर सकता है।
Long or Short, get news the way you like. No ads. No redirections. Download Newspin and Stay Alert, The CSR Journal Mobile app, for fast, crisp, clean updates!

