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May 19, 2025

दीपिका कक्कड़ हुईं लिवर ट्यूमर की शिकार, Liver Tumor से पहले शरीर देता है संकेत 

Actor Dipika Kakar diagnosed with Liver Tumer: अभिनेत्री दीपिका कक्कड़ को लिवर में ट्यूमर हो गया है। दीपिका के पति अभिनेता शोएब इब्राहिम ने सोशल मीडिया पर भावुक संदेश लिखकर इसकी जानकारी दी है। शोएब ने बताया कि दीपिका को पेट में परेशानी थी। पहले उसे लगा कि एसिडिटी है लेकिन बाद में डॉक्टरों से चेक कराने के बाद पता चला है कि उसके पेट में लिवर ट्यूमर है।
अभिनेता शोएब इब्राहिम ने प्रशंसकों से अपनी पत्नी दीपिका कक्कड़ की अच्छी सेहत के लिए दुआ करने का अनुरोध किया है। एक्टर ने बताया है कि दीपिका Liver Tumer से पीड़ित है और उनकी सर्जरी होगी। शोएब ने बताया दीपिका ठीक नहीं है उनको पेट में परेशानी है। दीपिका को पेट में दर्द की शिकायत थी, जिसे एसिडिटी से संबंधित समस्या समझ कर इलाज कराया। सीटी स्कैन कराने पर पता चला कि दीपिका के लीवर के बाएं हिस्से में ट्यूमर है। यह आकार में टेनिस बॉल जितना बड़ा है। शोएब ने साझा किया कि ट्यूमर के बारे में सुनने पर उनकी पहली चिंता यह थी कि क्या यह कैंसर हो सकता है। अब सवाल ये उठता है कि क्या Liver Tumer कैंसर भी हो सकता है। लिवर में होने वाले इस ट्यूमर में बॉडी में कौन-कौन से लक्षण दिखते हैं?

Liver Tumer क्या कैंसर भी हो सकता है

Liver Tumer: डॉक्टर्स के मुताबिक लिवर कैंसर और लिवर ट्यूमर दोनों अलग-अलग स्थिति है। लिवर कैंसर और Liver Tumer दोनों अलग-अलग स्थिति है। लिवर कैंसर एक ऐसा कैंसर है जिसके बारे में काफी देर से पता चलता है। लिवर से जुड़े कैंसर और लिवर ट्यूमर के बारे में जानना बेहद जरूरी है। अगर सही जानकारी सही समय पर मिल जाए तो इस बीमारी से जान को बचाया जा सकता है। लिवर कैंसर एक ऐसा कैंसर है जिसके बारे में काफी देर से पता चलता है। जब तक मरीज डॉक्टर के पास आता है तब तक ये कैंसर आखिरी स्टेज में होता है। आइए जानते हैं कि लिवर में ट्यूमर होने पर बॉडी में कौन-कौन से लक्षण दिखते हैं और इससे कैसे बचा जा सकता है।

क्या है Liver Tumer

Liver Tumer: होपकिंस यूनिवर्सिटी के मुताबिक वैसे तो किसी भी तरह का ट्यूमर वह एक गांठ है जो बहुत से टिशू के एक साथ जमा होने से बनता है। जब कोशिकाएं अत्यधिक तेज़ दर से बढ़ने लगती हैं तो यह गांठ के रूप में जमा होने लगती है। लेकिन इसमें टिशूज अबनॉर्मल हो जाते हैं। Liver Tumer भी इसी प्रकार का होता है। यह ट्यूमर कैंसर भी हो सकता है और बगैर कैंसर वाला ट्यूमर भी होता है। जो कैंसर वाला ट्यूमर होता है उसे कैंसरस या मेलिगनेंट कहते हैं और बिना कैंसर वाले को बिनाइन कहते हैं। Benign Liver Tumer यानी बिना कैंसर वाला ट्यूमर काफी सामान्य होता है और आमतौर पर कोई लक्षण उत्पन्न नहीं करता। ये अक्सर तब पता चलता है जब अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन या एमआरआई स्कैन कराया जाता है। सॉफ्ट लिवर ट्यूमर कई तरह के होते हैं।
Hepatocellular carcinoma: यह बिनाइन ट्यूमर कुछ विशेष दवाओं के उपयोग से जुड़ा होता है। इनमें से अधिकांश ट्यूमर बिना पता चले ही रह जाते हैं। कभी-कभी यह एडेनोमा फटकर पेट की गुहा में रक्तस्राव कर सकता है, जिसके लिए सर्जरी की आवश्यकता होती है। बहुत कम मामलों में यह कैंसर में बदलता है।
Hemanjiom– यह ट्यूमर असामान्य रक्त वाहिकाओं की गांठ होती है। सामान्यतः इसका इलाज आवश्यक नहीं होता। हालांकि कुछ शिशुओं में बड़े हेमांजियोमा के कारण रक्त का थक्का जमने या हृदय विफलता की संभावना होती है जिससे सर्जरी करनी पड़ सकती है।

Cancer वाला Tumer

Liver Tumer: कैंसरयुक्त ट्यूमर बहुत घातक होता है। यह या तो लिवर में ही उत्पन्न होते हैं या शरीर के अन्य हिस्सों से फैलकर लीवर तक पहुंचते हैं। इसे Metastatic Liver Cancer कहते हैं। अधिकांश कैंसरयुक्त लीवर ट्यूमर मेटास्टेटिक होते हैं। यानी यह कहीं और शुरू होता है और फैलकर लिवर तक पहुंच जाता है।

लिवर कैंसर का प्राइमरी स्टेज

Liver Tumer: इसे Hepatocellular carcinoma के रूप में भी जाना जाता है। यह प्राइमरी लिवर कैंसर का सबसे सामान्य रूप है। हेपेटाइटिस बी और सी के दीर्घकालिक संक्रमण से इस कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है। अन्य कारणों में कुछ केमिकल, शराब का अत्यधिक सेवन और लिवर सिरोसिस शामिल हैं।

लिवर कैंसर के लक्षण

Liver Tumer: अधिकांश लिवर कैंसर हैपैटोमा होते हैं। इसके कई लक्षण दिखते हैं जो अलग-अलग व्यक्ति में अलग-अलग तरह से होते हैं। इसमें पेट में दर्द, वजन घटना, मतली, उल्टी, पेट के दाहिने ऊपरी हिस्से में गांठ महसूस होना, बुखार, पीलिया, लगातार खुजली जैसे लक्षण दिखते हैं। हैपैटोमा के लक्षण अन्य बीमारियों जैसे भी हो सकते हैं। ऐसे में हमेशा सही जांच से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी होती है।

लिवर हैपैटोमा की जांच

Liver Tumer: लिवर हैपैटोमा की जांच के लिए सबसे पहले लिवर फंक्शन टेस्ट किया जाता है। इसमें विशेष रक्त परीक्षण होता है जो लीवर की कार्यक्षमता का मूल्यांकन करते हैं। इसके बाद एब्डॉमिनल अल्ट्रासाउंड कराया जाता है। फिर अगर सही से पता नहीं चलता तो सीटी स्कैन कराया जाता है जिसमें शरीर की आंतरिक परतों की स्पष्ट छवियां मिलती हैं। इसके अलावा हेपेटिक एंजियोग्राफी जो लिवर की धमनियों में पदार्थ डालकर एक्स-रे लिया जाता है। अगर जरूरत पड़ती है तो लिवर बायोप्सी की जाती है।

Liver Tumer और Cancer से कैसे करें बचाव

Liver Tumer: लिवर कैंसर और लिवर से जुड़ी बीमारियों से बचाव करने के लिए हेपेटाइटिस बी का टीका लगवाएं। वैक्सीन लगाकर इस बीमारी से बचाव किया जा सकता है। अगर शुरुआती दौर में बीमारी का पता लग जाए तो ऑपरेशन कराकर इस बीमारी से बचा जा सकता है। लिवर कैंसर का इलाज अलग-अलग परिस्थितियों के आधार पर किया जाता है। आमतौर पर मरीज की जरूरत के हिसाब से और मरीज की सहनशक्ति के हिसाब से इलाज किया जाता है। इसके लिए कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी, सर्जरी आदि का सहारा लिया जाता है। अंतिम इलाज के रूप में लिवर ट्रांसप्लांट की भी जरूरत पड़ती है।

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