चुनावी जंग में आंकड़ों का खेल बहुत ही महत्वपूर्ण होता है, इस लोकतंत्र के सबसे बड़े त्यौहार में महाराष्ट्र में 24 विधायकों का आंकड़ा बेहद दिलचस्प है, ये आंकड़ा है महिला विधायकों का, अब इस आंकड़ें को आप सकारात्मक लें या नकारात्मकता ये व्यक्तिगत विवेक पर है लेकिन अब तक महाराष्ट्र विधानसभा में 24 महिला सदस्य नही पहुंचे थे जो इस बार हुआ लेकिन यहां ये भी जिक्र करना जरूरी है कि 288 सीटों वाले इस विधानसभा में महज 24 महिला विधायक होना क्या ये वाकई में हम महिला सशक्तिकरण कर रहे है।
महाराष्ट्र विधानसभा में ही महाराष्ट्र की जनता के लिए कानून बनता है, विधानसभा में ही सामाजिक समानता, लिंग भेद और महिला सशक्तिकरण की आवाज बुलंद होती है लेकिन महाराष्ट्र की आधी आबादी की आवाज क्या 288 विधायकों में से 24 सदस्य ही क्यों उठाये, राजनीतिक पार्टियां महिलाओं को लेकर बातें तो बड़ी बड़ी करती है, राजनीति में महिलाओं की भागीदारी को लेकर कानून लाने की बात करती है लेकिन टिकट बंटवारे के समय ये सोच क्यों नदारद हो जाती है।
महाराष्ट्र में 8.97 करोड़ मतदाता हैं, इनमें 4.38 करोड़ महिलाएं हैं। इस लिहाज से लगभग 50 फीसदी महिला वोटरों के मुकाबले महिला उम्मीदवारों की संख्या कतई उत्साहजनक नहीं है। राजनीतिक दल समाज और देश में महिलाओं की स्थिति बदलने के दावे करती हैं लेकिन राजनीति में ही यह बदलाव नहीं दिखता। इस चुनाव में अलग अलग पार्टियों और निर्दलीयों को मिलाकर देखें तो 3,237 उम्मीदवार मैदान रहे लेकिन इनमें महिलाओं की संख्या केवल 235 थी, ये महिलाएं 152 विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव लड़ी और महज 24 उम्मीदवार जीती और विधानसभा तक पहुंची। जो कि अबतक का सर्वाधिक विधायक होने का रिकॉर्ड है। साल 2014 में महिला विधायकों का ये आंकड़ा 20 था।
24 जीते विधायकों में से 12 महिला विधायक बीजेपी से है, कांग्रेस से 5, शिवसेना से 2, एनसीपी से 3 और निर्दलीय 2 विधायक विधानसभा में महिलाओं की प्रतिनिधित्व करेंगी। 24 विधायकों में से 12 महिला विधायक दुबारा चुनी गई है और 12 ऐसी विधायिका है जो पहली बार विधानसभा की दहलीज पार कर लोकतंत्र के मंदिर में जाएंगी। बहरहाल जहां हर मामलों में महिलाएं पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर कदमताल कर रही है वही राजनीति में भी महिलाएं अग्रसर हो रही है।