Home CATEGORIES Women & Child Welfare शेल्टर होम या हेल होम…… हम फिर भी खामोश रहेंगे!

शेल्टर होम या हेल होम…… हम फिर भी खामोश रहेंगे!

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Deoria (UP) Shelter Home Shocker
 
अभी बिहार शेल्टर होम में मासूम अनाथ बच्चियों के साथ अमानवीय तरीके से बलात्कार का मामला सामने आया ही था कि उत्तर प्रदेश ने भी उस रेस में शामील होने का फैसला कर लिया। जी हाँ, उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में स्थित एक शेल्टर होम में भी अनाथ लड़कियों से वेश्यावृत्ति कराए जाने की रिपोर्ट सामने आई है। १० वर्षीय एक बच्ची ने शेल्टर होम से भागकर पुलिस थाने तक जाने का साहस किया और तब जाकर मामले का खुलासा हुआ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगीजी ने तुरंत कारवाई करते हुए शेल्टर होम से जुड़े कुछ अधिकारियों पर जाँच बिठाई और शेल्टर होम पर छापा पड़ा। वहाँ मौजूद २४ लड़कियों को रिहा करवाया गया परंतु १८ लड़कियाँ अभी भी गायब है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने इस शेल्टर होम का रजिस्ट्रेशन जून २०१७ मे रद्द  कर दिया था परंतु फिर भी उसे  बंद नही कर पाए थे। पिछले कुछ महीनों में इस तरह के शेल्टर होम्स में चल रहे इस घिनौने कृत्य के कई मामले उजागर हुए, परंतु किसी भी राज्य की सरकार ने अपने अपने क्षेत्र में चल रहे इन तथाकथित आश्रम बनाम वेश्यालयों पर जाँच बिठाने की पहल नहीं की। वेश्यालय इसलिए क्योंकि अवैध तरीके से चल रहे इन महिला संरक्षण गृहों में अघोषित तरीके से यही सब होता है। ये हम सभी जानते  हैं। अनाथ लावारिस और मजबूर लड़कियों को कितनी शारीरिक और मानसिक यातना दी जाती है, ये भारत का हर एक नागरिक जानता है। पर पराई आग में कौन कूदे, यह सिद्धांत हमारे देश से ज्यादा और कहीं इतनी शिद्दत से नहीं माना जाता। हम सब जानते हैं कि इन संरक्षण गृहों को सरकारी मदद से चलाया जाता है, परंतु इस मदद की कीमत सरकारी अफसर किस तरह वसूल करते हैं, यह बात भी जग जाहिर है। ऐसे सभी शेल्टर होम्स में जबरन जिस्म फरोशी का यह धंदा सरकार की नाक तले बखूबी चलता रहता है। कभी कोई आवाज भी उठाना चाहे तो उसकी आवाज को दबा दिया जाता है, जैसा बिहार के संरक्षण गृह में विरोध करने वाली एक बच्ची  के साथ हुआ।
उत्तर प्रदेश के संरक्षण गृह से गायब १८ लड़कियों का मामला भी किसी बड़ी साजिश  की ओर इशारा करता है। शायद सच सामने आने के डर से उन्हें भी कहीं छिपा दिया हो या फिर मार ही न दिया गया हो। इस मामले में  योगी सरकार द्वारा तुरंत कारवाई करना, सराहनीय कदम रहा। शायद यूपी सरकार नितीश सरकार की तरह अपनी छिछालेदार नहीं करवाना चाहती। आने वाले चुनाव भी इसका एक कारण हो सकते हैं। परंतु योगी सरकार क्या ये कदम पहले नहीं उठा सकती थी? क्या आम जनता की तरह वे सच्चाई से अनभिज्ञ थे? नहीं, बिल्कुल नहीं। ये मुमकिन ही नही है। सरकारी अनुदान पर चलने वाले शेलटर होम्स किस तरह उच्च अधिकारियों, बाहुबलियों और धनगीरों की हवस-पूर्ति का साधन बने हुए हैं, ये किसी से भी छिपा नहीं है। इस तरह के संरक्षण गृहों के संचालक और खास कर वे महिलाएँ, जो इन अनाथ बच्चियों की अभिवावक कहलाती है। क्या उनकी संवेदनाएँ मर चुकी हैं, जो उन्हें  इन मासूम नाबालिग बच्चियों की चीख और छिले हुए बदन दिखाई नहीं देते। पिछले दिनों एक परिवार की गिरफतारी हुई एक अजीब से मामले में। यह परिवार अनाथ लड़कियों को आश्रय देता था। फिर उन्हें इंजेक्शन दे-देकर समय से पहले जवान किया जाता था और वेश्यावृत्ति कराई जाती थी। धन कमाने का इससे आसान तरीका शायद उन्हें समझ नहीं आया। आखिर क्या समझ लिया है लोगों ने स्त्री जाति को? मनोरंजन का जरिया? अपनी हवस पूर्ति का साधन? धनोपार्जन का सरल  तरीका?  क्यों हमारी संवेदना शून्य होती जा रही है? एक भ्रष्ट सरकारी तंत्र, संवेदनहीन जनता और खोखली कानून व्यवस्था, इन सबसे क्या हम एक शक्तिशाली राष्ट्र का निर्माण कर पाएँगे?  एक स्वतंत्र लोकतांत्रिक विकासशील देश की क्या यही परिभाषा है? यदि हाँ, तो धिक्कार है ऐसे लोकतंत्र पर, ऐसे विकास पर और ऐसी सरकार पर, जो अपने देश में नारी के सम्मान और अस्तित्व की रक्षा न कर सके। धिक्कार है ऐसी कानून व्यवस्था पर जो किसी को न्याय न दे सके। धिक्कार है ऐसी जनता पर जो अपने आत्मसम्मान की रक्षा के लिए ऐसी सरकार और न्याय पालिका की तरफ उम्मीद से देखती है। वक्त की माँग है कि हम अपनी सरकार खुद बनें। अपने विवेक से अपनी और अपनों की सुरक्षा की जिम्मेदारी खुद निभाएँ। एकजुट होकर अपने अधिकारों के लिए लड़ें और अपने आसपास चल रहे ऐसे व्यभिचारी कृत्यों पर हमला बोलें। जनता के पैसों पर ऐश कर रहे सरकारी बाबुओं और नेताओंकी चापलूसी  बंद करें और उन्हें उनके कर्तव्यों का भान दिलाएँ। यह तभी संभव होगा जब हम अपनी खामोशी तोड़ेंगे और अपनी बुलंद आवाज ऊचे आसनों पर बैठे लोगों तक पहुँचाएंगे।