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यूपी – अब सरकार बताएगी कहाँ करें सीएसआर फंड का इस्तेमाल

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कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी समाज के लिए वो जिम्मेदारी है जिसका इस्तेमाल समाज में बदलाव लाने के लिए देश के औधोगिक घराने लगातार कर रहे है, सीएसआर के तहत इसका फायदा जरूरतमंद और गरीब तक पहुंचाने की कोशिश हमेशा से रही है, लेकिन जहां देश में करप्शन की जड़े इतनी मजबूत होती जा रही है वही सीएसआर में भी करोड़ों के वारे न्यारे की खबरें हम अक्सर सुनते रहते है। अब देश की सरकारें भी सीएसआर की ताकत को समझ रही है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत हो रहे शौचालय निर्माण और दूसरी अन्य विकास योजनाओं को रफ्तार देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार अब कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी फंड का इस्तेमाल करेगी। इसके लिए राज्य सरकार की तरफ से एक सीएसआर पोर्टल भी बनवाया जा रहा है।
गौरतलब है कि इस पोर्टल पर राज्य सरकार हर जिले के प्राथमिकता वाले काम को लिस्ट करेगी, ताकि निजी कंपनियां सीएसआर फंड के जरिए ये काम करवा सकें। हर जिले के प्राथमिकता वाले कार्यों को तय करने के साथ ही राज्य सरकार कंपनियों को यह भी बताएगी कि किस जिले में कौन सा काम करवाया जा सकता है। इसके लिए दो कमिटियां बनाई जाएंगी। जो इन कार्यों की मॉनिटरिंग करेंगी और निजी कंपनियों द्वारा करवाए जाने वाली कार्यों में आ रही दिक्कतों को दूर करेगी। इसके लिए जिलों में डीएम की अध्यक्षता में एक डिस्ट्रिक्ट लेवल कमिटी बनेगी जबकि प्रदेश स्तर पर एक स्टेट लेवल कमिटी बनाई जाएगी।
दरअसल कई कंपनियों को यह पता नहीं होता कि जिलों में कौन सा काम सीएसआर फंड के जरिए करवाया जा सकता है। यही वजह है कि जिलों में होने वाले काम की लिस्टिंग सीएसआर पोर्टल पर होगी। सरकार के इस निर्णय से स्वच्छ भारत मिशन के तहत हो रहे शौचालय निर्माण, सड़क का निर्माण, स्ट्रीट लाइटें लगाना, स्कूल का निर्माण, कम्यूनिटी सेंटर का निर्माण जैसे कामों में रफ़्तार मिलेगी।
नियमों के मुताबिक कंपनियों को अपने प्रॉफिट का 2% हिस्सा सीएसआर फंड में देना होता है। आंकड़ों के मुताबिक 2016-17 के दौरान अकेले यूपी में सीएसआर फंड के तहत 351 कंपनियों ने 120 करोड़ रुपये का योगदान दिया। यूपी से पहले गुजरात, उड़ीसा, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश जैसे राज्य सीएसआर फंड के जरिए विकास से जुड़े कई काम करवा चुके हैं। राज्य सरकार को उम्मीद है कि इसका बेहतर इस्तेमाल करके विकास कार्यों को रफ्तार दी जा सकती है। इन सब के बीच ये सवाल उठना लाज़मी है कि क्या सरकार की दखलंदाजी से सीएसआर फंड का सही इस्तेमाल हो पायेगा। अमूमन राजनीतिक नफ़े नुकसान को लेकर पहले भी यूपी की सरकार पर विकास कार्यों को लेकर लाँछन लग चुका है, कई ऐसे मामले पहले भी उजागर हुए है जहां राजनीतिकरण के चलते विकास कार्यों की फजीहत भी हुई है। जाहिर है सीएसआर फंड का इस्तेमाल अगर बिना राजनीतिक दबाव, बिना नफ़े नुकसान और बिना दखलंदाजी के जरूरतमंदों तक पहुंचे तभी जाकर सीएसआर फंड सार्थक होगा।