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विश्व सुनामी जागरूकता दिवस – क्या तैयार हैं हम?

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इमारतें भरभरा गईं, सड़कें टूट गयी, यातायात ठप हो गयी, एक दूसरे से संपर्क टूट गया, समुद्र का पानी गायब और हर तरफ तबाही का मंजर, अपने अपनों को तलाशते यही कुछ हुआ तुर्की और ग्रीस में। हाल ही में भूकंप और फिर सुनामी की डराने वाली तस्वीरें सामने आयी। ग्रीस और तुर्की में एक ताक़तवर भूकंप की वजह से बड़े पैमाने पर जान माल का नुकसान हुआ। सुनामी आने से ऊंची लहरों की वजह से तुर्की के इजमिर शहर की सड़कों पर पानी भर गया, कई की जान चली गयी, सैकड़ों घायल हो गए। विश्व के तमाम देश सुनामी की मार झेल चुके है।

भारत में भी आयी है विनाशकारी सुनामी (Tsunami in India)

भारत भी सुनामी से अछूता नहीं रहा। 26 दिसंबर 2004 को हिंद महासागर के नीचे एक भूकंप के कारण दक्षिणी एशिया में बड़े पैमाने पर सुनामी आई। इस सूनामी को अब तक का सबसे विनाशकारी माना जाता है। भारत समेत 14 देशों में 230,000 से अधिक लोग मारे गए। 10 हज़ार से अधिक घायल हुए। सुनामी आपदा तबाही ही तबाही लाती है लेकिन आपदाओं को सही तरीके से निपटा जाय तो नुकसान को कम किया जा सकता है। 5 नवंबर विश्व सुनामी जागरूकता दिवस है। ऐसे में इस ख़ास अवसर पर आईये जानते हैं सुनामी और इससे बचने के तरीकों बारें में।

क्यों मनाया जाता है विश्व सुनामी जागरूकता दिवस? (World Tsunami Awareness Day 2020)

सुनामी से मची तबाही के बाद दुनिया में इस तरह की आपदाओं से होने वाले जोखिम को कम करने की कोशिशें तेज हुई। इसके तहत 2015 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 5 नवंबर को इस दिन को विश्व सुनामी जागरूकता दिवस के रूप में नामांकित किया। 5 दिसंबर 2016 को पहला विश्व सुनामी जागरूकता दिवस मनाया गया। शब्द “सुनामी” का नाम जापानी “Tsu” से बना है। इसका अर्थ है बंदरगाह और “Nami” का अर्थ है लहर। सुनामी पानी के नीचे उत्पन्न हुई अशांति द्वारा बनी बड़ी लहरों की एक श्रृंखला है। ये लहरें आम तौर पर भूकंप से संबंधित होती हैं जो कि समंदर के आसपास होती हैं।

क्या है सुनामी और इसके कारण (What is Tsunami)

सुनामी तुलनात्मक रूप से प्राकृतिक आपदा का एक असाधारण प्रकार है लेकिन यह दुनिया भर के कई देशों में विनाश का कारण बनता है। सुनामी दुनिया के लिए एक गंभीर खतरा है और यह विकास की उपलब्धि को भी बाधित कर सकती है। सुनामी बड़ी लहरें हैं जो समुद्र के किनारों पर उत्पन्न होती हैं जो मुख्य रूप से भूस्खलन या भूकंप से जुड़ी हैं। कई अन्य प्राकृतिक आपदाओं की तरह सुनामी के बारे में भविष्यवाणी करना मुश्किल है लेकिन यह सुझाव दिया जा सकता है कि भूकंपीय सक्रिय क्षेत्रों में इसका जोखिम अधिक होता है। सुनामी लहरें अत्यधिक खतरनाक होती हैं और आम तौर पर पानी की मजबूत दीवारों की तरह लगती हैं। मजबूत लहरें समुद्र तट पर घंटों तक हमला करती हैं जिससे हजारों जिंदगियों का नाश हो सकता है। सुनामी के कई कारण हैं जैसे पनडुब्बी भूस्खलन, भूकंप, तटीय पत्थर का टूटना, ज्वालामुखी विस्फोट या अलगाववादी टकराव।

आपदा के लिए लोगों को तैयार करना होगा

प्राकृतिक आपदाओं से बचने के लिए और उनके नुकसान को काम करने के लिए जागरूकता बेहद जरुरी है। एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2030 तक दुनिया की 50 फीसदी आबादी बाढ़, तूफान और सुनामी के संपर्क में रहेगी। इन आपदाओं से निपटने के लिए लोगों को बुनियादी ढांचे, चेतावनी, और ट्रेनिंग दी जानी चाहिए। आपातकाल के वक्त लोगों को कैसे बचाया जाए। इन सभी चीजों के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए। प्रतिरक्षात्मक उपायों का फ़ायदा लेने के लिए सुनामी के प्राकृतिक चेतावनी के लक्षणों को पहचानना महत्वपूर्ण है। चूंकि ज़ोरदार भूकंप के कारण सुनामी पैदा हो सकती है इसलिए आपको पृथ्वी पर महसूस होते गंभीर झटकों को समझना चाहिए।

सुनामी आने पर कैसे करें अपनी रक्षा (How to be safe from Tsunami)

सुनामी समुद्र के स्तर में तेजी से गिरावट के कारण भी पैदा हो सकती है। यदि आप पानी में जबरदस्त हलचल देखते हैं या यदि आप पानी में कंपन महसूस करते हैं तो समझ लीजिए कि यह सुनामी है। यदि आप इन लक्षणों में से किसी एक को देखते हैं तो
– जगह को छोड़ने के आदेशों की पालना में देरी न करें और तटीय क्षेत्रों को तुरंत छोड़ दें।
– यदि संभव हो तो अपनी गेटअवे किट को अपने साथ ले लें।
– अपने पालतू पशुओं को साथ ले लें यदि आप सुरक्षित रूप से ऐसा कर सकें तो
– तुरंत जितना हो सके नजदीक की सबसे ऊंची जगह की ओर जाएं, या तट से दूर आंतरिक क्षेत्र में पहुंचें।
– यदि संभव हो तो पैदल या साइकिल से जाएं और यदि बहुत जरूरी हो तभी गाड़ी चलाएं।
– नौकाएं तट की अपेक्षा आमतौर पर 20 मीटर से अधिक गहरे पानी में अधिक सुरक्षित होती हैं। नाव को समुद्र में ले जायें जब इसके लिए समय हो और ऐसा करना सुरक्षित हो।
– आपदा को देखने के लिए कभी भी किनारे ना जाएं।
– जोखिम वाले क्षेत्रों से तब तक दूर रहें जब तक खतरा पूरी तरह टलने की आधिकारिक चेतावनी न जारी कर दी जाए।
– अपने स्‍थानीय रेडियो केन्‍द्रों को सुनें जहां आपात स्थिति प्रबंधन कर्मचारी, आपके समुदाय और परिस्थिति के लिए सबसे उपयुक्‍त सलाह जारी करेंगे।

सुनामी आने के बाद क्या करें

– नागरिक रक्षा सलाह के लिए लगातार रेडियो को सुने और तब तक खाली किए गये क्षेत्र में वापस न जाएं जब तक खतरा पूरी तरह टलने की आधिकारिक चेतावनी न जारी कर दी जाए।
– सावधान रहें क्‍योंकि एक से अधिक लहरें हो सकती हैं और यह 24 घंटे या अधिक समय तक सुरक्षित नहीं भी हो सकता है।
– पहली लहर के बाद में आने वाली लहरें और बड़ी हो सकती हैं।
– यदि चोट लगी हो तो अपनी जांच करें और जरूरी हो तो प्राथमिक चिकित्‍सा लें।
– जब घरों में फिर से जाएं, तो अत्‍यन्‍त सावधानी बरतें क्‍योंकि बाढ़ का पानी इमारतों को क्षतिग्रस्‍त कर चुका हो सकता है।
– उपयोगी सुविधाओं की टूटी लाईनों की जांच करें और समुचित प्राधिकारियों को इसकी रिपोर्ट करें।
– अगर आपकी संपत्ति नष्‍ट हो गई हो, तो बीमा उद्देश्‍यों के लिए इसका विवरण लिखें और फोटो खींच लें।

प्राकृतिक आपदाओं में सीएसआर बना मददगार (CSR and Tsunami)

कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी यानी सीएसआर हमेशा से ही आम जन मानस का मददगार साबित हुआ है, चाहे वो सामान्य दिन हो या फिर कोई नैसर्गिक आपदा का काल। हमेशा से ही देश पर जब भी कोई परेशानी आयी देश की कॉर्पोरेट कंपनियों ने खुले दिल से प्रभावितों की मदद की है। बाढ़ हो या सूखा या फिर कोरोना की वैश्विक महामारी सीएसआर फंड से हमेशा ही प्रभावितों को रहत मिली है। केरल बाढ़ हो या ओडिशा का तूफ़ान हर बार सीएसआर (CSR) अग्रणी रहा है। कोरोना काल में यहां तक कि सरकार ने सीएसआर नियमों में बदलाव कर सीएसआर फंड को इस महामारी और इस आपदा में इस्तेमाल किया।

सुनामी की चेतावनी जारी करने में अग्रणी है भारत

जब हम विनाशकारी सूनामी की बात करते हैं तो पूर्व चेतावनी वाली प्रणाली बनाना और मजबूत व सहनशील शहरों का निर्माण करना जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचने के उपायों में बहुत जरूरी होता है। भारत की 7,500 किमी लंबी तट रेखा पर सुनामी का खतरा आमतौर पर मंडराता रहता है। और शायद यही कारण है कि साल 2004 में आई सुनामी के बाद भारत ने इसकी अग्रिम चेतावनी प्रणाली को स्थापित करने का फैसला लिया था। इसे सक्रिय रूप से काम करने में तीन साल का वक्त लगा। भारतीय सुनामी अग्रिम चेतावनी केंद्र (आईटीईडब्ल्यूसी) साल 2007 से काम कर रहा है। पूरे हिंद महासागर क्षेत्र के लिए सुनामी वाच प्रोवाइडर के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहा है। यह केंद्र हिंद महासागर क्षेत्र में आने वाले और सुनामी पैदा कर सकने में सक्षम भूकंपों का 10 मिनट के भीतर पता लगाने में सक्षम है और संबद्ध अधिकारियों को इसकी चेतावनी 20 मिनट में जारी कर देता है।
सुनामी एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है जिसे सोचकर ही इंसान के दिमाग में ख़ौफ़ बैठ जाता है। लेकिन डरने और भयभीत होने से अच्छा है की आप ये जान लें की सुनामी क्या है। (What is Tsunami in Hindi) और इससे बचने का उपाय क्या है। इस तरह की स्थिति में इन सूचनाओं पर ध्यान देकर ही समय रहते अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा की जा सकती है।