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November 16, 2025

World Remembrance Day for Road Traffic Victims- याद, समर्थन और कार्यवाई का संकल्प

The CSR Journal Magazine
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार हर साल 13.5 लाख (1.35 million) से अधिक लोग सड़क दुर्घटनाओं में मरते हैं। हर 24 सेकंड में एक व्यक्ति सड़क पर मारा जाता है। 5 करोड़ लोग हर वर्ष घायल होते हैं। सड़क हादसे दुनिया में 5वीं सबसे बड़ी मौत का कारण बन चुके हैं। सबसे ज्यादा मौतें 15–29 वर्ष उम्र के युवाओं की होती है।

टूटे सपनों और बिखरे परिवारों की याद में – सड़क हादसों के शिकारों का दिवस

सड़कें मनुष्य की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक रही हैं। वे शहरों, संस्कृतियों और अर्थव्यवस्थाओं को जोड़ती हैं। परंतु इतिहास यह भी बताता है कि यही सड़कें कभी-कभी मौत का सबसे भयावह रास्ता भी बन जाती हैं। दुनिया के कई मार्ग ऐसे हैं जहां हर मोड़ पर मौत छिपी मिलती है, और दर्जनों भयानक दुर्घटनाएं इस कड़वे सच की गवाही देती हैं। आज जब संयुक्त राष्ट्र और विश्व स्वास्थ्य संगठन सड़क सुरक्षा को वैश्विक प्राथमिकता बनाने की अपील कर रहे हैं, तब यह जरूरी है कि हम उन भीषण हादसों को याद करें जिन्होंने सैकड़ों परिवारों को हमेशा के लिए उजाड़ दिया है। World Day of Remembrance for Road Traffic Victims (WDoR) उन सभी लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है जो सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए या गंभीर रूप से घायल हुए हैं।

1995 से शुरू हुई सड़क हादसों के विक्टिम्स को याद करने की प्रथा

World Day of Remembrance for Road Traffic Victims” का आरंभ 1993 में RoadPeace नामक ब्रिटिश चैरिटी के ज़रिए हुआ था। 1995 में, यूरोप और अन्य देशों में यह दिन व्यापक रूप से मनाया गया। 26 अक्टूबर 2005 को, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इसे आधिकारिक रूप दिया और तय किया कि यह हर साल नवंबर के तीसरे रविवार को मनाया जाए। WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) और UN Road Safety Collaboration (संयुक्त राष्ट्र सड़क सुरक्षा सहयोग) इसे सड़क सुरक्षा नीति और जागरूकता बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण औजार मानते हैं। यह दिन सिर्फ़ स्मृति दिवस नहीं है, बल्कि यह यातायात सुरक्षा सुधार, पीड़ितों और उनके परिवारों के समर्थन, और प्रमाण-आधारित नीतियों की वकालत का भी मंच है।

उद्देश्य और लक्ष्य

इस दिन को मनाने के प्रमुख उद्देश्य-ट्रैफिक दुर्घटनाओं में मारे गए और गंभीर रूप से घायल हुए लोगों को याद करना, और उनके परिवारों के दर्द को सम्मान देना। आपातकालीन सेवाओं (पुलिस, एंबुलेंस, मेडिकल टीम) की मेहनत और बलिदान को पहचान देना। यह ध्यान आकर्षित करना कि सड़क मृत्यु और चोटों को कानूनन और सामाजिक दृष्टि से कई बार “कम गंभीर” माना जाता है, यानी कानूनी व्यवस्था उन्हें पर्याप्त गंभीरता से नहीं पकड़ती। पीड़ितों और उनके परिवारों को बेहतर समर्थन देना, इसमें वित्तीय, भावनात्मक, कानूनी सहायता शामिल हो सकती है। नीति-निर्माताओं और समाज को साक्ष्य-आधारित (Evidence-Based) उपायों का सुझाव देना, ताकि भविष्य में दुर्घटनाओं और उनकी हानियों को कम किया जा सके।

वर्तमान स्थिति और थीम (2024–2025)

वर्ष 2024 में World Day of Remembrance 17 नवंबर को मनाया गया था। 2025 की थीम: “Remember. Support. Act.”- याद करें, समर्थन करें, और कार्रवाई करें। यह दिन Decade of Action for Road Safety 2021–2030 (2021–2030 की सड़क सुरक्षा दशक योजना) में एक अहम हिस्से के रूप में देखा जाता है, जिसके लक्ष्य में सड़क मृत्यु और चोटों को 50 फीसदी तक कम करना शामिल है।

अंतर्राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य: विश्व में सड़क हादसों की गंभीरता

ग्लोबल आंकड़े और चुनौतियां- हर साल लगभग 1.35 मिलियन लोग सड़क दुर्घटनाओं में मारे जाते हैं।
सड़क-यातायात चोट अब 5–29 वर्ष के आयु समूह में मौतों का प्रमुख कारण है।
“कम आय वाले” और “मध्यम आय वाले” देश (LMICs) सबसे अधिक प्रभावित हैं, क्योंकि वहां पैदल चलने वालों, साइकिल चालकों, मोटो-चालकों (2/3 व्हीलर्स) की संख्या अधिक होती है, और इंफ्रास्ट्रक्चर या नियम-लागू करने की क्षमता कम हो सकती है।
आर्थिक दृष्टिकोण से सड़क दुर्घटनाएं बहुत बड़ा बोझ हैं। अनुमान है कि दुर्घटनाओं की वजह से देशों को अपनी GDP का लगभग 3 प्रतिशत हानि हो जाती है।
युनाइटेड नेशन्स के Decade of Action for Road Safety 2021–2030 योजना में एक वैश्विक लक्ष्य है, दुर्घटनाओं और मृत्यु दर में आधे की कटौती करना।

भारत की सड़क सुरक्षा की वर्तमान स्थिति (2024–2025)

भारत में दुर्घटनाओं की गंभीरता और आंकड़े- भारत में सड़क दुर्घटनाओं की समग्र स्थिति बहुत चिंताजनक बनी हुई है, और हाल के सालों (2024–2025) के आंकड़े इस समस्या की बड़ी गहराई को दर्शाते हैं।
पहले छह महीने, 2025: राष्ट्रीय राजमार्गों (NH) पर 29,018 मौतें हुईं।
यह संख्या 2024 की मौतों का आधा से ज़्यादा है जो संकेत देती है कि अगर सुधार नहीं हुआ, तो कुल संख्या और बढ़ सकती है।
2025 की पहली छमाही में NH पर 67,933 दुर्घटनाएं दर्ज की गई हैं।
सड़क नेटवर्क का सिर्फ लगभग 2 प्रतिशत हिस्सा राष्ट्रीय राजमार्गों (NH) का है, लेकिन ये राजमार्ग दुर्घटनाओं और मौतों में बहुत बड़े हिस्से के लिए ज़िम्मेदार हैं।
महाराष्ट्र जैसे राज्य में, CID की रिपोर्ट ने बताया है कि अनियंत्रित ड्राइविंग, ओवर-स्पीडिंग, हेलमेट न पहनना, और गलत लेन ड्राइविंग प्रमुख कारण हैं।
उत्तर प्रदेश (UP) में भी बड़ी समस्या है। 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी–मई तक ही लगभग 7,700 मौतें दर्ज की गईं हैं।

दुनिया के सबसे भयंकर सड़क हादसे और खतरनाक सड़कें

1. युंगस रोड (Yungas Road), बोलीविया “Death Road”

बोलीविया की यह सड़क “North Yungas Road” के नाम से भी जानी जाती है, और यह अक्सर “Death Road” यानी मृत्यु की सड़क कही जाती है। यह सड़क बहुत संकीर्ण है (कुछ हिस्सों में केवल ~3 मीटर चौड़ी) और खड़ी चट्टानें, तीव्र मोड़, और गहरी खाइयां हैं। मौसम की स्थिति भी बेहद खतरनाक होती है, कोहरा, बारिश, लैंडस्लाइड जैसी स्थितियां दुर्घटनाओं का जोखिम बढ़ाती हैं। इस सड़क पर सबसे भयानक दुर्घटनाओं में से एक 24 जुलाई 1983 को हुआ था, जब एक ओवरलोडेड बस नियंत्रण खो बैठी और कई यात्रियों समेत 100 से अधिक लोग खाई में गिरे। रिपोर्ट्स के मुताबिक़, उस समय सालाना 200–300 ड्राइवरों के इस सड़क से गिरने की घटनाएं होती थीं। बाद में एक नई वैकल्पिक सड़क बनाई गई, गार्डरेल और बेहतर ड्रेनेज सिस्टम के साथ, ताकि खतरनाक हिस्सों की समस्या कुछ कम हो सके।

2. पासामायो बस क्रैश (2018), पेरू

2 जनवरी 2018 को पेरू में “देविल्स कर्व” नामक सड़क पर एक ट्रेलर ट्रक एक बस से टकराया, और बस एक खाई में जा गिरी। उस दुर्घटना में लगभग 57 यात्री थे, और 51 लोग मारे गए। यह पेरू का एक बहुत ही दुखद हादसा है, क्योंकि यह खंड “देविल कर्व” नामक मोड़ के लिए खूब खतरनाक माना जाता है। वहां जाली मोड़, कोहरा, और बैरियर की कमी हादसों को बढ़ावा देती है। इस दुर्घटना के बाद पेरू सरकार ने उस सड़क खंड पर कुछ प्रतिबंध लगाए हैं।

3. काफरीन बस क्रैश (2023), सेनेगल

8 जनवरी 2023 को सेनेगल के काफरीन क्षेत्र (Gniby, Kaffrine) में दो बसें आमने-सामने टकराईं। इस हादसे में लगभग 40 लोग मारे गए और 100 से अधिक घायल हुए। प्रारंभिक जांच में यह सामने आया कि एक बस का टायर फट गया था, जिससे वह दुर्घटनास्थल पर नियंत्रण खो बैठी और दूसरी बस से भिड़ गई। दुर्घटना के बाद सेनेगल सरकार ने नाइट बस सेवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया, और पुरानी/दूसरी-हाथ की टायर आयात को बंद करने जैसे कदम उठाए।

4. अन्य उल्लेखनीय सड़क दुर्घटनाएं

Yocalla बस क्रैश (2025), बोलीविया: 17 फ़रवरी 2025 को पोटोसी विभाग में बस एक Cliff से नीचे गिरी, इसमें 31 लोग मारे गए।
Cerro San Cristóbal ट्रैजेडी (2017), पेरू: लिमा के Cerro San Cristóbal पर एक टूरिस्ट बस नियंत्रण खो कर करीब 30 मीटर की खाई में गिरी, जिसमें कम-से-कम 9 मौतें हुईं और 56 घायल हुए।

भारत में कुछ सबसे भयानक सड़क हादसे (Road Accidents)

कर्नाटक बस दुर्घटना (1999)

8 जून 1999 को कर्नाटक के हारिहर (Harihar) के पास एक बस पुल से गिर गई, और लगभग 94–96 लोग मारे गए। यह हादसा बहुत भीड़-भाड़ वाली बस का था जिसमें यात्रियों की संख्या अधिक थी और एक टायर फटने की वजह से बस नियंत्रण खो बैठी थी। यह हादसा रोड-सेफ्टी की गंभीर कमी और पब्लिक-बस व्यवस्थाओं की चुनौतियों को दर्शाता है।

Nagpur लेवल क्रॉसिंग दुर्घटना (2005)

3 फरवरी 2005 को महाराष्ट्र के नागपुर के पास एक ट्रैक्टर-ट्रेलर जिस पर लोग सवार थे, ट्रेन से टकरा गया। लगभग 58 लोग मारे गए। यह दुर्घटना एक अनागंतक्रॉसिंग (Level Crossing) पर हुई थी जहां गेट नहीं था। यह दिखाता है कि रेलवे और सड़क ट्रैफिक का तालमेल न होने पर कितनी जोखिम पैदा हो सकती है।

Chala LPG टैंकर विस्फोट (2012)

केरल (Kannur) में 27 अगस्त 2012 को LPG से भरा एक टैंकर हाईवे पर पलट कर विस्फोट हुआ। इस हादसे में लगभग 20 लोग मारे गए और कई घायल हुए। वजह: टैंकर का डिवाइडर से टकराना, उसके बाद BLEVE (Boiling Liquid Expanding Vapour Explosion)- यानी जो टैंकर फटा वह तेज़ी से भाप बना कर बड़ा विस्फोट पैदा कर गया। यह हादसा न सिर्फ ट्रैफिक एक्सीडेंट था, बल्कि एक बहुत खतरनाक औद्योगिक-परिवहन जोखिम भी था।

Kasganj Level Crossing Disaster (2002)

4 जून 2002 उत्तर प्रदेश (Kasganj)  एक बस लेवल क्रासिंग से ट्रेन की दिशा में चली और ट्रेन से टकरा गई। इस भीषण हादसे में 49 लोग मारे गए, 29 घायल हुए। यह दर्शाता है कि लेवल क्रॉसिंग (रेल × सड़क) की सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण है, खासकर यदि गेट/बैरियर को ठीक से डिजाइन या लॉक-इंटरलॉक न किया जाए।

2013 Mahabubnagar बस हादसा

30 अक्टूबर 2013 महबूबनगर (तत्कालीन आंध्र प्रदेश, अब तेलंगाना)  एक वोल्वो बस एक क्युलवर्ट (Culvert) से टकराई क्योंकि उन्हें ओवरटेक करना था, और बस में आग लग गई। इस दुर्घटना में 45 लोग मारे गए। इस दुर्घटना का कारण बस डिज़ाइन, ब्रेकिंग और सड़क संरचना (Culvert, मार्ग) में कमी थी।

2010 Jalaun District बस क्रैश

17 फरवरी 2010 उत्तर प्रदेश, जिलाउन जिला में एक बस अपना नियंत्रण खो बैठी और यमुना नदी में गिर गई। 22 लोग मारे गए और लगभग 13 लापता माने गए (शायद डूबे)। यह हादसा दर्शाता है कि ग्रामीण या अपर्याप्त संरचित पुल और रूट भी बहुत खतरनाक हो सकते हैं, ख़ासकर रात में या कम रोशनी में।

भारत में दुर्घटनाओं की गंभीरता और आंकड़े

भारत में सड़क दुर्घटनाओं की समग्र स्थिति बहुत चिंताजनक बनी हुई है, और हाल के सालों (2024–2025) के आंकड़े इस समस्या की बड़ी गहराई को दर्शाते हैं- पहले छह महीने, 2025: राष्ट्रीय राजमार्गों (NH)  पर  29,018 मौतें हुईं। यह संख्या 2024 की मौतों का आधा से ज़्यादा है जो संकेत देती है कि अगर सुधार नहीं हुआ, तो कुल संख्या और बढ़ सकती है। 2025 की पहली छमाही में NH पर 67,933 दुर्घटनाएं दर्ज की गई हैं। सड़क नेटवर्क का सिर्फ लगभग 2 प्रतिशत हिस्सा राष्ट्रीय राजमार्गों (NH) का है, लेकिन ये राजमार्ग दुर्घटनाओं और मौतों में बहुत बड़े हिस्से के लिए ज़िम्मेदार हैं। महाराष्ट्र जैसे राज्य में, CID की रिपोर्ट ने बताया है कि अनियंत्रित ड्राइविंग, ओवर-स्पीडिंग, हेलमेट न पहनना, और गलत लेन ड्राइविंग प्रमुख कारण हैं।  उत्तर प्रदेश (UP) में भी बड़ी समस्या है। 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी–मई तक ही लगभग 7,700 मौतें दर्ज की गईं हैं।

भारत के सामाजिक-आर्थिक और संरचनात्मक कारक

इंफ्रास्ट्रक्चर कमी: कई सड़कों पर उचित सड़क डिज़ाइन, लेन विभाजन, सुरक्षा बैरियर्स, और संकेतक की कमी है। ये “ब्लैक स्पॉट”Accident-Prone Zones बन जाते हैं।
नियमन और प्रवर्तन कमजोर: स्पीड चेक, ड्रिंक-ड्राइविंग रोधी कानून, सीट-बेल्ट / हेलमेट नियमों का प्रवर्तन पर्याप्त नहीं हो सकता।
आपातकालीन प्रतिक्रिया की कमज़ोरी: दुर्घटना के बाद घायल व्यक्तियों को तुरंत और कुशल इलाज न मिलना, एंबुलेंस की देरी, ट्रॉमा सेंटर तक पहुँच की कठिनाई जैसी चुनौतियां हैं।
जन-जागरूकता की कमी: बहुत से सड़क उपयोगकर्ता सुरक्षा नियमों (जैसे हेलमेट पहनना, सीट-बेल्ट लगाना) को हल्के में लेते हैं।
युवा आबादी और दो-पहिया वाहन: भारत में दो-व्हीलर (मोटरसाइकिल, स्कूटर) व्यापक रूप से उपयोग किए जाते हैं। युवा सवारों में हेलमेट न पहनने, तेज़ी, और असुरक्षित ड्राइविंग व्यवहार अधिक देखे जाते हैं।

राष्ट्रीय राजमार्गों (National Highways) पर स्थिति- किन राज्यों में NH पर सबसे ज़्यादा हादसे/मौतें हुईं

MoRTH-2023 के Section-2 (Tables 2.6 & 2.7) बताते हैं- NH पर सबसे ज़्यादा दुर्घटनाओं वाले राज्यों (2023, top): Tamil Nadu (20,582 accidents on NH), Uttar Pradesh, Madhya Pradesh, Karnataka, Maharashtra- ये शीर्ष राज्यों में हैं।
NH पर कुल मृत्यु (2023): National Highways पर 63,112 मौतें हुईं जो राष्ट्रीय कुल का 36.5प्रतिशत हैं (यानी NH नेटवर्क पर मृत्यु अनुपात बहुत ऊंचा )।
NH पर Top-10 राज्यों का योगदान: शीर्ष 10 राज्यों ने NH-मृत्यों का 74 प्रतिशत हिस्सा दिया यानी NH-संदर्भ में भी कुछ राज्यों पर भार बहुत ज़्यादा है। राष्ट्रीय राजमार्ग पर होने वाली दुर्घटनाएं और मौतें असामान्यत: बहुत अधिक हैं, इसलिए NH-स्तर पर इंजीनियरिंग, Enforcement और Black-Spot-Rectification पर जो ध्यान है, वह आवश्यक है।

Black-Spots कितने पहचाने गए और किन राज्यों में ज़्यादा हैं

सरकार की जानकारियां (MoRTH / PIB / लोकसभा उत्तर) का सार: कुल पहचाने गए Black-Spots (National Highways पर): सरकार की रिपोर्ट्स में 2016–2018 के डाटा के आधार पर 5,803 Black Spots (एक उन्नत गणना के बाद इस संख्या और बढ़कर अलग-अलग वर्षों में हजारों तक बताई गई है; हाल के संकलनों में कुल चिन्हित Black-Spots की संख्या बड़ी है और लगातार Rectification हो रही है)।
राज्यवार उदाहरण (लोकसभा उत्तर Annexure): कुछ राज्यों में Black-Spots की संख्या (उदा.): Andhra Pradesh – 1,202; Kerala – 692; (अन्य राज्यों के संख्यात्मक विवरण उत्तर के Annexure में हैं)। कई Black-Spots पर Short-Term और Long-Term Rectifications की प्रगति भी दी गयी है। कुछ राज्य (उदा. Andhra Pradesh, Kerala, आदि) पर राष्ट्रीय राजमार्गों पर चिन्हित Black-Spots की संख्या अधिक है, साथ-ही-साथ MoRTH/राज्य सरकारें इनको चरणबद्ध रूप से सुधार रही हैं (Short-Term/Long-Term Rectifications)।

क्या लगातार सुधार हो रहे हैं? चुनौतियां और प्रयास

केंद्र सरकार, राज्य सरकारें, और सड़क सुरक्षा संगठनों द्वारा ब्लैक-स्पॉट सुधार कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। सड़कों का पुनर्निर्माण, संकेतक, क्रैश बैरियर्स, और अन्य इंजीनियरिंग सुधार। eDAR पोर्टल (Electronic Detailed Accident Report) से दुर्घटना रिपोर्टिंग, डेटा संग्रह और विश्लेषण में सुधार हो रहा है जिससे नीति निर्माताओं को बेहतर जानकारी मिलती है। जागरूकता अभियान और शिक्षा कार्यक्रम बढ़ रहे हैं! न सिर्फ ड्राइवरों बल्कि पैदल चलने वालों और अन्य सड़क-उपयोगकर्ताओं के लिए। आपातकालीन चिकित्सा प्रतिक्रिया (EMS) में सुधार के लिए प्रयास हो रहे हैं, जैसे एंबुलेंस सेवाओं का विस्तार, ट्रॉमा सेंटरों की संख्या बढ़ाना, और तेजी से पहुंच योग्य चिकित्सा सहायता। कई गैर-सरकारी संस्थाएं और वैश्विक साझेदार (जैसे UN, WHO) “Decade of Action” के अंतर्गत सहयोग कर रहे हैं ताकि लक्ष्य- मृत्यु और चोटों में 50 प्रतिशत कटौती हासिल किया जा सके।

भारत में कुछ सबसे भयंकर हादसों की वजह

भारत में भी कई ऐसे दर्दनाक हादसे हुए हैं जो यह दर्शाते हैं कि समस्या सिर्फ़ सांख्यिकीय नहीं, बल्कि बहुत मानवीय है। तेज-रफ्तार बसों, ट्रकों और भारी वाहनों के कारण कई भीषण एक्सीडेंट हुए हैं, जहां यात्रियों को गंभीर चोटें आईं या मृत्यु हुई। पैदल चलने वालों, साइकिल चालकों, और दो-पहिया सवारों की सुरक्षा की ख़ासा कमी है जो उन्हें विशेष रूप से जोखिम में रखती है। इंफ्रास्ट्रक्चर डिज़ाइन दोष, जैसे संकीर्ण लेन, खराब संकेतक और गुम रास्ते अक्सर हादसों का रूप बन जाते हैं। कुछ शहरी क्षेत्रों और एक्सप्रेस-वे पर ड्राइविंग नियमों का उल्लंघन, गलत लेन ड्राइविंग, ओवरटेकिंग, और तेज़ गति जैसी आदतें जानलेवा साबित होती हैं।

विश्व स्मृति दिवस और भारत: क्यों यह दिन हमारे लिए ख़ास मायने रखता है

मानव पहलू: यह दिन हमें याद दिलाता है कि सड़क-हादसे सिर्फ़ “अंक” नहीं हैं। हर मृतक एक परिवार का सदस्य है, उनका भविष्य टूटा है, और उन लोगों के जीवन में एक खालीपन रह जाता है।
नीति-दबाव: जब हम यह दिन मनाते हैं, तो हम सरकारों, नीति-निर्माताओं, और समाज पर दबाव बना सकते हैं कि वे सड़क सुरक्षा को प्राथमिकता दें, न केवल घोषणा-स्तर पर, बल्कि ठोस कार्रवाई में।
समर्थन और रखरखाव: यह दिन पीड़ितों और उनकी परिवारों को यादगार बनाता है, और उन्हें समाज और संस्थागत समर्थन (जैसे विकलांगता सहायता, कानूनी सलाह, भावनात्मक देखभाल) देने की जरूरत पर प्रकाश डालता है।
जागरूकता और शिक्षा: सार्वजनिक कार्यक्रम, मोमबत्ती रैलियां, चर्चाएँ और सोशल मीडिया कैंपेन इस दिन की लोकप्रिय गतिविधियां हैं। ये यातायात जवाबदेही, व्यवहार सुधार और सुरक्षित सड़क उपयोग की दिशा में जागरूकता फैलाते हैं।
वैश्विक साझेदारी: यह दिन वैश्विक समुदाय को जोड़ता है। देशों, NGOs और अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों को एक सामान्य मंच देता है ताकि वे साझा सीखें, रणनीतियां साझा करें, और मिलकर लक्ष्य (जैसे 2030 तक दुर्घटनाओं में कटौती) तक पहुंचने की दिशा में काम करें।

चुनौतियां और आगे का रास्ता

1. डेटा की विश्वसनीयता और रिपोर्टिंग में कमी: कई देशों में दुर्घटनाओं की रिपोर्टिंग अधूरी होती है, और पोस्ट-क्रैश डेटा (जैसे गंभीर चोट, विकलांगता) अक्सर ठीक से दर्ज नहीं होती।
2. अपर्याप्त निवेश: कुछ सरकारें सड़क सुरक्षा में आवश्यक इंजीनियरिंग सुधार, आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं और शिक्षा में पर्याप्त वित्तीय संसाधन नहीं लगा पाती।
3. व्यवहार परिवर्तन: ड्राइवरों और सड़क उपयोगकर्ताओं का व्यवहार बदलना कठिन है। स्पीड कंट्रोल, डिस्ट्रैक्शन ड्राइविंग (जैसे मोबाइल फोन), नशे में ड्राइविंग जैसी आदतें जड़-गहीं हो सकती हैं।
4. न्याय और जवाबदेही की समस्या: दुर्घटनाओं के बाद जुर्म-परीक्षण (Liability) और न्याय व्यवस्था धीमी हो सकती है, जिससे पीड़ितों और परिवारों को न्याय मिलने में देरी होती है।
5. पहुंच: ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में सड़क सुरक्षा, एंबुलेंस, ट्रॉमा सेंटर जैसी सुविधाएं कम उपलब्द होती हैं, और नुकसान का बोझ अधिक गहरा हो जाता है।

आगे के कदम (Recommendations)

मजबूत राष्ट्रीय और स्थानीय नीतियां: सरकारों को “सुरक्षित सड़क डिजाइन”, “सख्त प्रवर्तन”, और “आपात चिकित्सा प्रतिक्रिया” पर राष्ट्रीय योजनाओं को बढ़ावा देना चाहिए।
निरंतर डेटा सुधार: दुर्घटना रिपोर्टिंग (जैसे eDAR), ट्रॉमा डेटा और पुनरावृत्ति विश्लेषण को बेहतर बनाना चाहिए, ताकि सही नीतियां बनाई जा सकें।
शिक्षा और जागरूकता: ड्राइवर प्रशिक्षण, स्कूल-स्तर पर सड़क सुरक्षा शिक्षा, और सार्वजनिक जागरूकता अभियानों को मजबूती देना चाहिए।
समर्थन संरचनाओं का निर्माण: दुर्घटना पीड़ितों और उनके परिवारों के लिए वित्तीय, कानूनी और मनो-सामाजिक सहायता प्रदान करने वाले कार्यक्रम (सरकारी और गैर-सरकारी) बढ़ाने चाहिए।
वैश्विक और सामुदायिक भागीदारी: अंतर्राष्ट्रीय साझेदारियों (जैसे WHO, UN) के साथ मिलकर काम करना, और नागरिक समाज, NGOs की भागीदारी को प्रोत्साहित करना चाहिए।
मूल्यांकन और निगरानी: सड़क सुरक्षा हस्तक्षेपों पर निगरानी और प्रभाव मूल्यांकन (Impact Evaluation) नियमित रूप से करना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि नीतियां वास्तविक दुनिया में काम कर रही हैं।

सिर्फ़ एक दिन नहीं, आत्ममनन का अवसर

“World Day of Remembrance for Road Traffic Victims” न केवल एक दिन है, यह एक शक्तिशाली स्मरण, समर्थन और कार्रवाई का मंच है। यह हमें याद दिलाता है कि सड़क दुर्घटनाएं सिर्फ़ आंकड़े नहीं हैं, बल्कि असंख्य टूटे हुए परिवारों, खोई उम्मीदों, और अनगिनत “Lost Talents” की कहानी हैं। भारत जैसे देश में, जहां सड़क सुरक्षा एक बहुत बड़ी चुनौती बनी हुई है, यह दिन हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि हमारे वर्तमान प्रयास पर्याप्त हैं या नहीं। हाल के आकड़े (जैसे 2025 में पहले छह महीने में NH पर 29,000+ मौतें) ये बताते हैं कि समस्या जड़ में गहरी है। लेकिन साथ ही, सुधार की राह खुली है, बेहतर नीति, बेहतर प्रवर्तन, सामाजिक भागीदारी और वैश्विक समर्थन के ज़रिए हम उस लक्ष्य की ओर बढ़ सकते हैं जो “दुनिया भर में सड़क मृत्यु और चोटों को आधा करने” का है।
आइए इस दिन हम न केवल याद करें, बल्कि कार्य करें ताकि आने वाली पीढ़ियां सुरक्षित सड़क यात्रा कर सकें, और हम एक ऐसी दुनिया बना सकें जहां सड़कें मौत का स्रोत न हों, बल्कि जीवन का मार्ग हों।

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