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November 5, 2025

लालू के ‘गढ़’ राघोपुर में तेजस्वी के लिए क्यों आसान नहीं है हैट्रिक?

The CSR Journal Magazine
बिहार की राजनीति में राघोपुर विधानसभा सीट का एक खास स्थान है। कभी लालू यादव का अजेय किला रहा यह क्षेत्र, अब उनके बेटे और राजद नेता तेजस्वी यादव के लिए कड़ी चुनौती बन गया है। गंगा मैया की गोद में बसा यह इलाका इस बार दो यदुवंशियों (राजद के तेजस्वी यादव और भाजपा के सतीश कुमार) के बीच सीधा मुकाबला देख रहा है, जिसमें जन सुराज से चंचल कुमार भी चर्चा में हैं।

‘मुख्यमंत्री’ बनाने वाले क्षेत्र में इस बार कांटे की टक्कर

इस क्षेत्र ने लालू-राबड़ी के रूप में बिहार को मुख्यमंत्री दिए हैं और इस बार भी चर्चा तेजस्वी को भावी मुख्यमंत्री बनाने की है। हालांकि, चुनावी माहौल पहले जैसा नहीं है। स्थानीय लोगों की नाराजगी, खासकर बाढ़, कटाव और सड़क जैसे बुनियादी मुद्दों पर, तेजस्वी की राह मुश्किल कर रही है। वहीं, एनडीए समर्थक पीएम मोदी और सीएम नीतीश कुमार के विकास कार्यों को भुना रहे हैं, जिसका श्रेय गंगा पर बने सिक्स लेन पुल और भूमि के बढ़ते मूल्यों को दिया जा रहा है। यह पुल पटना से राघोपुर की दूरी को कम करके क्षेत्र का मान बढ़ा रहा है।

बड़े भाई का ‘काउंटर अटैक’, तेजप्रताप ने बढ़ा दी टेंशन

राघोपुर के समीकरण को तेजप्रताप यादव की एंट्री ने और भी रोचक बना दिया है। तेजस्वी द्वारा महुआ सीट पर बड़े भाई के खिलाफ प्रचार करने के बाद, तेजप्रताप ने पलटवार करते हुए राघोपुर में रैली कर राजद खेमे में हलचल मचा दी है। इससे पहले, राबड़ी देवी को भी ग्रामीणों की नाराजगी का सामना करना पड़ा था। प्रशांत किशोर की “अमेठी जैसी हार” की भविष्यवाणी भले ही अधूरी रह गई हो, लेकिन माहौल की अनिश्चितता को यह दर्शाता है। भाजपा के नेता, जिनमें केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय भी शामिल हैं, “विकास बनाम जंगलराज” का नैरेटिव सेट करके यादव वोट बैंक में सेंधमारी की कोशिश कर रहे हैं।

विकास का पुल और दर्द का कटाव, क्या बदलेंगे मतदाता?

चुनावी इतिहास बताता है कि पिछले 63 वर्षों से राघोपुर ने यदुवंशियों (लालू, राबड़ी, तेजस्वी) पर ही भरोसा जताया है, 2010 में राबड़ी की हार को छोड़कर। इस बार, क्षेत्र में विकास की चर्चा के साथ ही लोगों का दर्द भी झलक रहा है। पुल की बात हो या बाढ़-कटाव से सुरक्षा के लिए रिंग बांध की अटकी योजना, हर बात पर लोगों के पक्ष और विपक्ष हैं। एक ओर मुफ्त अनाज और बढ़ी हुई पेंशन की लाभार्थी महिला संतुष्ट है, तो दूसरी ओर उच्च शिक्षण संस्थान कॉलेज न होने से युवा निराश हैं। यादवों की बहुलता के बावजूद, अनुसूचित जाति और सवर्ण मतदाता हार-जीत में निर्णायक साबित होंगे। तेजस्वी का हैट्रिक प्रयास एक जबरदस्त मोर्चाबंदी के बीच तनावपूर्ण और अनिश्चित लग रहा है।

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