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विश्व हिंदी दिवस – हिंदी है हम

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महात्मा गांधी कहते थे कि “राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र गूंगा है” और आज हमारे देश की आवाज अंतरराष्ट्रीय मंच पर सुनी जाती है, वो भी हिंदी में, गर्व है हमें हमारी हिंदी पर, गर्व है हमारे हिंदुस्तान पर, हिंदी हैं हम वतन है हिंदोस्‍ता हमारा, जी हां हमारी राज भाषा हिंदी अब ग्लोबल हो गयी है, बड़े ही फक्र के साथ हम विश्व हिंदी दिवस मना रहे है, सीना गर्व से तब और भी चौड़ हो जाता है जब आपनी भावनाओं में बसने वाली भाषा वैश्विक स्तर पर भी लोगों को आकर्षित करने लगती है। यही कारण है कि जब भी कोई नेता, कोई कलाकार या कोई उद्योगपति विदेशों में जाकर हिंदी में अपनी बात रखता है तो हम सब अपनी भाषा की बढ़ती महत्ता को देखकर भाव विभोर हो उठते हैं। हिंदी अब सिर्फ भारत की भाषा नहीं रहीं। इसे बोलने और समझने वाले दिन पर दिन बढ़ते जा रहे हैं।

वैश्विक मंच पर फ़क्र से हिंदी बोलते है हमारे नेता

जब भी हिंदी भाषा के वैश्विक स्तर की चर्चा होती है आंखों के सामने वो लम्हां आ ही जाता है पहली बार किसी भारतीय ने संयुक्त राष्ट्र के अंतरराष्ट्रीय पटल पर शान से हिंदी में बोला था, अटल बिहारी ही वो शख्स थे जिन्होंने यादगार दमदार भाषण दिया था, अटल बिहारी वाजपेयी ने 1977 में संयुक्त राष्ट्र के 32वें अधिवेशन में बोले थे, उस वक्त अटल बिहारी वाजपेयी जनता पार्टी की सरकार में विदेश मंत्री थे। अपने भाषण में उन्होंने वसुधैव कुटुंबकम का उल्लेख करते हुए पूरे संसार को एक परिवार के रूप में देखने का जिक्र किया था। अटल बिहारी वाजपेयी के अलावा स्वर्गीय सुषमा स्वराज भी अपनी विदेश यात्रा के दौरान संबोधन हिंदी में ही करती रहीं। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हिंदी के प्रचार प्रसार को वैश्विक स्तर तक पहुंचाया है। पीएम मोदी जिस देश में जाते है, वो हिंदी भाषा में ही बोलते है। पीएम नरेंद्र मोदी से हिंदी की बहुत बेहतरीन तरीके से विश्व में ब्रैंडिंग की है।

विश्व हिंदी दिवस मनाने का ये है मकसद

यूं तो हर तारीख का कोई न कोई इतिहास होता है, लेकिन 10 जनवरी का इतिहास कई मायनों में, खासतौर पर हिंदी भाषी लोगों के लिए काफी अहम है, क्योंकि इसी दिन विश्व हिंदी दिवस होता है। विश्व हिंदी दिवस 10 जनवरी को मनाया जाता है और ये 14 सितंबर को मनाये जाने वाले हिंदी दिवस से बिलकुल अलग है, हर साल मनाए जाने वाले विश्व हिंदी दिवस का असल मकसद दुनियाभर में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए अनुकूल वातावरण बनाना और हिंदी को वैश्विक भाषा के रूप में प्रस्तुत करना है। विदेशों में भारत के दूतावास इस दिन को विशेष रूप से मनाते हैं। इस दिन सभी सरकारी दफ्तरों में तमाम विषयों पर हिंदी के लिए अनूठे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

कैसे शुरू हुआ विश्व हिंदी दिवस मनाने का सिलसिला

करीब 45 साल पहले 10 जनवरी, 1975 को नागपुर में विश्व हिंदी सम्मेलन की शुरुआत की गयी थी, पूरी दुनिया में हिंदी प्रचारित-प्रसारित करने के उद्देश्य से विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इसलिए 10 जनवरी का दिन ही विश्व हिंदी दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 10 जनवरी, 2006 को हर साल विश्व हिंदी दिवस के रूप मनाये जाने की घोषणा की थी, उसके बाद निरंतर ये ख़ास दिवस मनाये जाने का सिलसिला शुरू हुआ। करीब चार दशक से अधिक के वक्त में गैर-हिंदी भाषी क्षेत्र से सफर शुरू करने के बाद इस समय हमारे देश की राजभाषा हिंदी विश्व फलक पर अपना परचम लहरा रही है, इन 45 सालों के सफर में भारत की प्रमुख भाषाओं में शुमार हिंदी ने कई उतार-चढ़ाव भी देखे और देवनागरी लिपि से लेकर रोमन लिपि में हिंग्लिश के रूप में भी इस्तेमाल की जाने लगी।

बॉलीवुड ने भी बढ़ाई हिंदी की विदेशों में शोहरत

हिंदी को लोकप्रिय बनाने में भारत के सिनेमा जगत का भी बहुत योगदान हैं। बॉलिवुड फिल्मों के गाने रूस, चीन, इंग्लैंड, अमेरिका सहित अरब देशों में बहुत लोकप्रिय हैं। चीन में भारतीय फिल्मों ने रिकॉर्ड तोड़ कमाई की हैं। राजकपूर पर फिल्माया गया गाना ‘मेरा जूता है जापानी ‘ रूस में काफी मशहूर हुआ था। पिछले दिनों चीन यात्रा के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत हिंदी फिल्म ये ‘वादा रहा’ के एक गाने की धुन बजाकर किया गया था। अभी हाल ही में चेक रिपब्लिक के दौरे पर भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के स्वागत में बॉलिवुड फिल्म के गाने ‘पल पल दिल के पास तुम रहती हो’ को गाकर किया गया। मुंबई विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रमुख प्रोफ़ेसर डॉ करुणाशंकर उपाध्याय The CSR Journal से बात करते हुए कहते है कि “देश में महानायक अमिताभ बच्चन और लता मंगेशकर ज्यादातर हिंदी का ही प्रयोग करते है, चाहे ट्विटर हो या अन्य सोशल मीडिया अमिताभ बच्चन कई बार हिंदी में ही लिखते है जिन्हे करोड़ों फैंस फॉलो करते है”। फिल्मों की बात निकली है तो ये आंकड़ा भी दिलचस्ब है कि भारत देश में साल में 10 हज़ार से ज्यादा किताबें हिन्दी छपती हैं। इसके अलावा 1500 से ज्यादा फिल्में हिंदी में बनती है।
आज आलम यह है कि दुनिया ने हिंदी का लोहा माना है, मुंबई विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रमुख प्रोफ़ेसर डॉ करुणाशंकर उपाध्याय बताते है कि ” संयुक्त राष्ट संघ ने हिंदी की महत्वता को समझा है और संघ ने पिछले साल अपना ट्विटर हैंडल को हिंदी में शुरू किया, इसके साथ ही एक घंटे का रेडियो कार्यक्रम की शुरवात भी हिंदी भाषा में हुई, संयुक्त राष्ट संघ ने हिंदी में बाकायदा वेबसाइट भी बनाई है”।

इंटरनेट और डिजिटल दुनिया में हिंदी सबसे बड़ी भाषा

अगर हम आकड़ों में हिंदी की बात करें तो 260 से ज्यादा विदेशी विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जाती है, 64 करोड़ लोगों की हिंदी मातृभाषा है, 24 करोड़ लेगों की दूसरी भाषा है, 42 करोड़ लोगों की तीसरी और चौथी भाषा है हिंदी। इस धरती पर 1 अरब 30 करोड़ लोग हिंदी बोलने और समझने में सक्षम है। 2030 तक दुनिया का हर पांचवा व्यक्ति हिंदी बोलेगा। UAE और फिजी जैसे देशों में हिंदी को तीसरी राजभाषा का मान्यता प्राप्त है। हिंदी की देवनागरी लिपि वैज्ञानिक लिपि मानी जाती है, ऑक्सफ़ोर्ड डिक्शनरी में 18 हज़ार शब्द हिंदी के शामिल हुए है, और सबसे बड़ी बात कि जो तीन साल पहले अंग्रेजी इंटरनेट की सबसे बड़ी भाषा थी अब हिंदी ने उसे बहुत ही पीछे पछाड़ दिया है, गूगल सर्वेक्षण बताता है कि इंटरनेट पर डिजिटल दुनिया में हिंदी सबसे बड़ी भाषा है।
ऐसे में हमें फ़र्क है हमारे हिंदी पर, जय हिंद, जय हिंदी।