Thecsrjournal App Store
Thecsrjournal Google Play Store
May 23, 2025

विंध्याचल कॉरिडोर बनने के बाद मिर्जापुर का हुआ कायाकल्प, बढ़ी श्रद्धालुओं की संख्या  

Vindhyachal Corridor: उत्तर प्रदेश में जो बसते हैं, मां विंध्यवासिनी की महिमा वही जानते हैं। 4 साल पहले तक उत्तर प्रदेश के विंध्याचल मंदिर तक लोग संकरी गलियों से पहुंचते थे। भीड़ होती, तो एक-दूसरे से टकराते हुए आगे बढ़ते। प्रमुख पर्व पर जब भीड़ उमड़ती, तो डर इस बात का रहता था कि कहीं कोई दुर्घटना न हो जाए। फिर यहां कॉरिडोर बनना शुरू हुआ। मंदिर पहुंचने के 4 रास्तों की पहचान की गई और उनका चौड़ीकरण हुआ। भव्य पिलर और गेट बने। जयपुर के पत्थरों को तराशकर ऐसी डिजाइन दी गई कि विंध्याचल पूरी तरह से बदल गया।

Vindhyachal Corridor फेज़ 1 तैयार

Vindhyachal Corridor के पहले फेज का काम पूरा हो चुका है। दूसरे फेज का काम शुरू हो रहा है। कॉरिडोर से पहले जितनी भीड़ यहां आती थी, अब उसके 3 गुना ज्यादा श्रद्धालु यहां आने लगे हैं। दुकानदार खुश हैं, क्योंकि उनकी बिक्री बढ़ी है। लेकिन, कुछ नाराज भी हैं, क्योंकि सड़क चौड़ीकरण से उनका बिजनेस ही उजड़ गया। विंध्याचल में कितना कुछ बदल गया!

2018 में प्रपोजल, 2021 में अमित शाह ने शिलान्यास किया

Vindhyachal Corridor: 2017 में यूपी में भाजपा की सरकार बनने के बाद मंदिरों का कायाकल्प शुरू हुआ। वाराणसी के बाबा विश्वनाथ मंदिर का कायाकल्प हुआ। पीएम के संसदीय क्षेत्र में कॉरिडोर तैयार हुआ। गलियां चौड़ी हुईं और लोग आराम से मंदिर तक पहुंचने लगे। 2018 में मिर्जापुर के उस वक्त के डीएम अनुराग पटेल ने Vindhyachal Corridor बनाने का प्रपोजल तैयार किया और शासन को भेजा। कहा गया कि यहां की संकरी गलियां अधिक भीड़ नहीं संभाल सकतीं। 30 अक्टूबर, 2020 को यूपी सरकार की तरफ से मंजूरी मिली। अमित शाह ने शिलान्यास किया और नवंबर, 2020 से काम शुरू हो गया।
 Vindhyachal Corridor का यह प्रोजेक्ट 331 करोड़ रुपए का है। अभी भी काम चल रहा है। बहुत सारे काम होने बाकी हैं। पहले फेज में मंदिर के चारों तरफ 4 रास्तों को चौड़ा करना था। ये रास्ते नई वीआईपी रोड, पुरानी वीआईपी रोड, थाना वाली गली और पक्का घाट गली नाम से थे। पहले इनकी चौड़ाई 5 से 10 फीट की थी, लेकिन अब इनकी चौड़ाई 50 फीट कर दी गई है। 130 पिलर के जरिए परिक्रमा मार्ग बनाया गया है। इस प्रोजेक्ट में अहरौरा के गुलाबी पत्थरों का प्रयोग किया गया है। इसकी नक्काशी के लिए जयपुर से कारीगर आए थे।

 Vindhyachal Corridor बनने के बाद यहां का वास्तविक विकास हुआ

Vindhyachal Corridor: विंध्याचल में जब से कॉरिडोर बनना शुरू हुआ, तब से यहां वास्तविक बदलाव आया। यहां आने वाली भीड़ को देखते हुए कॉरिडोर बहुत जरूरी हो गया था। अगर यह नहीं होता तो भीड़ रुकती कहां? कैसे दर्शन करने पहुंचती, बहुत समस्या हो जाती। कॉरिडोर के साथ सुलभ शौचालय बने, मुंडन स्थल बने, पूजन की अलग व्यवस्था बनी। तमाम ऐसी सुविधाएं हुईं, जिनसे भक्तों को सहूलियत हुई।
विंध्यवासिनी मंदिर मिर्जापुर जिला मुख्यालय से 7 किमी दूर है। यह मंदिर देवी विंध्यवासिनी को समर्पित है जो भगवान श्री कृष्ण की बहन मानी जाती हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार Vindhyachal Corridor बनने के बाद श्रद्धालुओं की संख्या में 200 प्रतिशत का इजाफा हुआ है, बल्कि इससे भी ज्यादा भीड़ बढ़ी है। पहले रोज करीब 17-18 हजार लोग आते थे, आज हर दिन 50 हजार लोग आ रहे हैं। पूर्णिमा और विशेष पर्व जैसे दिनों पर तो यह संख्या लाखों में पहुंच जाती है। पहले नवरात्रि में 10-12 लाख लोग दर्शन करने आते थे। अब नवरात्रि के हर दिन 4-5 लाख लोग आते हैं। कुल मिलाकर यहां तेजी से भीड़ बढ़ी है। उसे मैनेज करने के लिए कॉरिडोर की जरूरत थी, वह बन गया है।
पहले फेज का काम तो हो गया है, लेकिन काम लगातार चल ही रहा है। जैसे पहले रास्तों पर शेड लगाने का कोई प्लान नहीं था। लेकिन बढ़ती गर्मी में धूप से भक्तों के पैर जलते हैं, इसलिए अब टीन शेड लगाए जा रहे हैं। इसी तरह से जहां जैसी जरूरत लग रही है, वहां वैसा काम किया जा रहा है।

तंग गलियों में बढ़ती भीड़ से हादसों का राहत था डर

Vindhyachal Corridor: स्थानीय लोग कहते हैं- जब यहां की गलियां संकरी थीं, नवरात्रि में जब अष्टमी पर भीड़ लगती, तो गलियां एकदम भर जाती थीं। डर लगता था कि कहीं कोई दुर्घटना न हो जाए। कॉरिडोर बनने से यह डर खत्म हो गया। प्रयागराज कुंभ के दौरान यहां करोड़ों लोग आए, सबने अच्छे से दर्शन किए। अब इससे ज्यादा क्या ही लोग आएंगे। बाकी अभी फेज-1 का काम पूरा हुआ है। अभी अष्टभुजा मंदिर, काली खोह मंदिर पर भी काम होना बाकी है। गंगा के किनारे पक्के घाट बनाए ही जा रहे हैं। यह योगीजी का ड्रीम प्रोजेक्ट है, इसलिए विंध्याचल पूरी तरह से बदल गया।
मंदिर से करीब 200 मीटर की दूरी से ही गंगा नदी गुज़रती हैं। उधर भी एक चौड़ा रास्ता बनाया गया है। लेकिन, नदी तक पहुंचने के लिए जो सीढ़ियां हैं, वो एकदम खड़ी हैं। इस वक्त गंगा के किनारे पक्के घाटों का निर्माण हो रहा है। यह काम अगले 6 महीने में पूरा होने की बात कही जा रही है। घाट 35 फीट चौड़ा और 200 मीटर लंबा होगा। इसके बन जाने से विंध्याचल में गंगा का किनारा वाराणसी के घाटों की तरह हो जाएगा। स्ट्रीट लाइटें लगाई जाएंगी। इसके अलावा लोग नाव के जरिए भी घूम सकेंगे।

प्रधान पुजारी बोले- सरकारी धन कमाने का अड्डा बना

Vindhyachal Corridor: विंध्यवासिनी मंदिर के प्रधान पुजारी राजन पाठक, जो जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी हैं। सदर सीट से विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। वह कहते हैं- कॉरिडोर अच्छी चीज है, लेकिन खराब भी है। अच्छी इसलिए, क्योंकि इसके जरिए यात्रियों को सुविधा मिली। खराब इसलिए, क्योंकि इस तपस्थली के मूल ढांचे के साथ गलत किया गया। तमाम देवी-देवताओं की मूर्ति को तोड़कर एक देवी पर फोकस किया गया। यहां वेद-पुराण के जरिए फैसला नहीं लिया जा रहा, बल्कि अधिकारी और नेता फैसला ले रहे हैं। कुल मिलाकर यह सरकारी पैसा कमाने का अड्डा बन गया है। जिस वक्त यहां कॉरिडोर बन रहा था, उस वक्त स्थानीय लोग व दुकानदार परेशान थे, क्योंकि नाप में उनकी दुकान और घर का बड़ा हिस्सा सड़क के दायरे में आ रहा था। प्रशासन ने करीब 6 हजार रुपए प्रति स्क्वायर फीट के हिसाब से लोगों को मुआवजा दिया। 500 से ज्यादा संपत्तियां खरीदी गईं। इसके लिए 96 करोड़ रुपए मुआवजा दिया गया।
दुकानदारों की नाराजगी को लेकर कारोबारी तरुण पांडेय कहते हैं- दुकानदार इसलिए नाराज हुए, क्योंकि उनका घर उजड़ गया। घर में दुकान थी, जिससे उनका जीवन चल रहा था। अब अगर किसी का नुकसान होगा, तो वह नाराज ही होगा। 6 हजार स्क्वायर फीट के हिसाब से किसी को 10 लाख मिल गया, लेकिन उसका रोजगार तो चला गया। अब 10 लाख रुपए में यहां आसपास कहीं जमीन-दुकान नहीं मिलेगी।
कुछ नए के स्वागत के लिए कुछ पुराने का त्याग करना ही पड़ता है। पुनर्निर्माण बदलाव मांगता है। यह बदलाव कभी अच्छा, तो कभी बुरा भी हो सकता है। किसी के लिए फायदेमंद, तो किसी के लिए नुकसानदायक होगा ही!

Latest News

Popular Videos