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September 17, 2025

क्या सच में काशी में मरने से मिलता है मोक्ष? विश्वनाथ मंदिर के पीछे की हैरान कर देने वाली सच्चाई!

The CSR Journal Magazine
गंगा नदी के पश्चिमी तट पर स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर, भगवान विश्वनाथ और माता अन्नपूर्णा का प्रिय धाम है। यह मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था, प्रेम और भक्ति का केंद्र भी है। यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में सर्वोच्च स्थान रखता है। उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में स्थित यह मंदिर ‘विश्वेश्वर’ या ‘विश्वनाथ’ के नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है – “संसार के स्वामी”।

विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कथा

शिवपुराण के अनुसार, एक समय ब्रह्मा और विष्णु के बीच उनकी श्रेष्ठता को लेकर विवाद हुआ। तब भगवान शिव ने एक अनंत ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट होकर दोनों को समझाया कि उनका आदि (शुरुआत) और अंत ढूंढ पाना असंभव है। तभी से शिव को महादेव और उनके इस रूप को ज्योतिर्लिंग कहा गया। पुराणों के अनुसार, काशी वह स्थान है जहाँ स्वयं भगवान शिव निवास करते हैं। यहाँ मान्यता है कि काशी में मृत्यु होने पर स्वयं भगवान शिव कान में “राम नाम” का उपदेश देकर आत्मा को मोक्ष दिलाते हैं।

काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास

काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास लगभग एक हज़ार साल से भी अधिक पुराना है। 1194 में मोहम्मद गौरी के सेनापति कुतुबुद्दीन ऐबक ने इसे तोड़ दिया था। इसके बाद, हिंदू राजाओं और भक्तों ने मिलकर इस मंदिर का पुनर्निर्माण कराया।
इसके बाद, मुगल शासक औरंगजेब ने 1669 में इसे तोड़कर इसकी जगह ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण करवाया था।
वर्तमान काशी मंदिर का निर्माण वर्ष 1780 में इंदौर की रानी अहिल्याबाई होल्कर और काशी नरेश महाराजा चेत सिंह ने मिलकर करवाया था।

संरचना और प्रमुख विशेषताएँ

मंदिर का शिखर लगभग 15.5 मीटर ऊंचा है और उस पर लगभग 1000 किलो सोना जड़ा हुआ है। गर्भगृह में भगवान शिव का विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग विराजमान है। यह शिवलिंग लगभग 60 सेंटीमीटर ऊंचा और 90 सेंटीमीटर परिधि वाला है। मंदिर परिसर में कई अन्य छोटे-छोटे मंदिर हैं, जैसे – कालभैरव मंदिर, विष्णु मंदिर और विनायक मंदिर।

काशी का धार्मिक महत्व

हर साल लाखों श्रद्धालु यहाँ दर्शन के लिए आते हैं। सावन माह और महाशिवरात्रि पर यहाँ विशेष उत्सव होता है। मान्यता है कि गंगा स्नान और विश्वनाथ दर्शन से जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं।
वाराणसी को “मोक्ष की नगरी” कहा जाता है, जहाँ मृत्यु होने पर आत्मा को मोक्ष प्राप्त होता है। काशी के घाट – जैसे मणिकर्णिका और दशाश्वमेध, अत्यंत पावन माने जाते हैं। मणिकर्णिका घाट को मोक्ष प्राप्ति का द्वार माना जाता है, जबकि दशाश्वमेध घाट पर होने वाली गंगा आरती का दिव्य दृश्य दुनिया भर के लोगों और श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है।
गंगा में स्नान करके विश्वनाथ मंदिर के दर्शन करने से पापों से मुक्ति मिलती है और पुण्य की प्राप्ति होती है। काशी विश्वनाथ मंदिर सिर्फ एक मंदिर नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, सभ्यता और इतिहास का प्रतीक है। कहा जाता है कि स्वयं भगवान शिव ने काशी को अपने त्रिशूल पर धारण किया है, इसलिए यह नगर कभी नष्ट नहीं होगा
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