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December 10, 2025

Uttarakhand Paithani Rahu Temple: जहां दर्शन मात्र से राहु दोष और जीवन की सभी कठिनाइयां दूर हो जाती हैं

The CSR Journal Magazine
उत्तराखंड को सिर्फ प्राकृतिक सुंदरता के लिए ही नहीं, बल्कि इसके पौराणिक और धार्मिक महत्व के लिए भी “देवभूमि” कहा जाता है। यहां एक से बढ़कर एक प्राचीन मंदिर स्थित हैं, जिनमें देवताओं के साथ-साथ असुरों और ग्रहों की पूजा भी होती है। इनमें विशेष महत्व रखते हैं राहु और केतु, जिन्हें वैदिक ज्योतिष में छाया ग्रह कहा गया है। राहु को कलयुग का राजा माना जाता है, जो इच्छाओं, भ्रम और भौतिक लालसा का प्रतीक है। यदि कुंडली में राहु उच्च स्थिति में हो, तो यह सफलता और लाभ देता है, जबकि खराब स्थिति में जीवन में भ्रम, भय, धन और स्वास्थ्य हानि जैसी समस्याएं ला सकता है।

राहु की अधिष्ठात्री देवी और शांति उपाय

राहु की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती मानी जाती हैं। राहु दोष से मुक्ति पाने के लिए शिव, गणेश, हनुमान और विष्णु की पूजा भी अत्यंत लाभकारी मानी जाती है। ज्योतिषियों के अनुसार, राहु दोष के निवारण के लिए विशेष पूजा और मंदिरों का दर्शन आवश्यक है। ऐसे ही मंदिरों में से एक प्रमुख मंदिर है उत्तराखंड के पौड़ी जिले के पैठाणी गांव में स्थित पैठाणी राहु मंदिर (इंद्रेश्वर मंदिर)।

पैठाणी राहु मंदिर का पौराणिक महत्व

यह मंदिर दो नदियों – स्योलीगाड़ नदी और नवालिका (पश्चिमी नयार नदी) – के संगम पर स्थित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु ने राक्षस स्वरभानु का सिर काटा था, और उसी स्थान पर राहु की शक्ति का केंद्र स्थापित हुआ। माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण आदिशंकराचार्य ने राहु के प्रकोप को शांत करने के लिए किया था। साथ ही यह भी प्रचलित है कि पांडवों ने अपनी स्वर्गारोहण यात्रा के दौरान राहु दोष से बचने के लिए भगवान शिव और राहु की पूजा की थी।

शिवलिंग और अद्भुत रहस्य

मंदिर के गर्भगृह में शिवलिंग स्थापित है और दीवारों पर राहु के कटे सिर और भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र की नक्काशी देखने को मिलती है। यहां एक विशेष रहस्य भी है: भगवान विष्णु द्वारा काटे गए राहु के सिर को मंदिर के पास पत्थरों के नीचे रखा गया था, जिसे राहु शिला कहा जाता है। यह स्थल न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसकी ऊर्जा इतनी शक्तिशाली मानी जाती है कि सिर्फ दर्शन और साधारण पूजा से भी राहु दोष शांत हो जाता है।

पूजा और परंपरा

पैठाणी राहु मंदिर में भगवान शिव के साथ राहु की पूजा होती है। भक्त विशेष रूप से राहुकाल और नवग्रह पूजा के दौरान यहां आते हैं। पूजा में मंत्र जाप, अभिषेक, फूल और दीपक चढ़ाने की परंपरा का पालन किया जाता है। मान्यता है कि यदि किसी कारणवश पूजन में बाधा आए, तो भगवान शिव नाराज हो जाते हैं। नियमित पूजा और दर्शन से जीवन की बाधाएं दूर होती हैं और मानसिक तथा भौतिक कल्याण प्राप्त होता है।

यात्रा मार्ग और दर्शन का महत्व

उत्तराखंड के पौड़ी जिले के पैठाणी गांव तक सड़क मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है। नजदीकी शहर पौड़ी से टैक्सी या निजी वाहन द्वारा यह मंदिर देखना सरल है। वर्षभर श्रद्धालु यहां आते हैं, लेकिन विशेष अवसरों और राहुकाल में दर्शन करने का महत्व अधिक माना जाता है।

क्यों है यह मंदिर विश्वभर में प्रसिद्ध?

पैठाणी राहु मंदिर अपनी अद्भुत शक्ति, पौराणिक महत्व और रहस्यमयी ऊर्जा के कारण विश्वभर में प्रसिद्ध है। यहां दर्शन मात्र से राहु-केतु और शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है। इस मंदिर की महिमा स्कंदपुराण और राहु पुराण में भी वर्णित है। यह मंदिर न केवल आध्यात्मिक शांति देता है, बल्कि राहु दोष से जुड़ी जीवन की कठिनाइयों से मुक्ति पाने का मार्ग भी दिखाता है।

राहु दोष क्या होता है?

राहु दोष वैदिक ज्योतिष में तब माना जाता है जब राहु ग्रह व्यक्ति की कुंडली में अशुभ स्थान पर बैठ जाए या सूर्य, चंद्र तथा गुरु जैसे शुभ ग्रहों को प्रभावित करे। अशुभ राहु जीवन में भ्रम, भय, मानसिक तनाव, आर्थिक रुकावट, करियर में अस्थिरता, रिश्तों में गलतफहमियां और अचानक आने वाली समस्याएं बढ़ाता है। राहु दोष के प्रभाव को शांत करने के लिए शिव, गणेश, विष्णु या भैरव की पूजा, राहु मंत्र जाप, दान-पुण्य, नवग्रह शांति और पैठाणी राहु मंदिर जैसे विशिष्ट मंदिरों का दर्शन अत्यंत शुभ माना जाता है।
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