कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी फंड के तहत बड़े पैमाने पर देश में विकास के काम किये जा रहे है। लेकिन इसमें भी मुनाफ़ाखोर अपने निजी फायदे के लिए समाज को नुकसान पहुंचा रहे है। CSR Fund के माध्यम से डेवलपमेंट के अनेकों काम किये जाते है लेकिन अगर ये सामाजिक फायदा ना होकर किसी व्यक्तिगत फायदे के लिए हो तो ये एक सामाजिक धब्बा है। सीएसआर को लेकर एक बार फिर से घोटाला सामने आया है। CSR में Corruption इस बार देवभूमि यानी उत्तराखंड में हुआ है।
उत्तराखंड में सीएसआर के तहत इंडियन ऑयल ने दिए थे 32 करोड़
दरअसल इंडियन ऑयल कारपोरेशन यानी आईओसी ने सीएसआर फंड के तहत हरकी पैड़ी के सौंदर्यीकरण और जीर्णोंद्धार के लिए 32 करोड़ जिला प्रशासन को दिए गए थे। हरिद्वार के सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक के प्रयासों से यह बजट मिला था और निशंक के ड्रीम प्रोजेक्ट में हरकी पैड़ी के सौंदर्यीकरण की योजना शामिल थी। लेकिन आरोप है कि Corporate Social Responsibility के तहत मिले इस बजट के अनुरूप धरातल पर काम नहीं हुआ।
उत्तराखंड में सीएसआर फंड में हुआ करप्शन, सिटी मजिस्ट्रेट कर रहें है जांच
हरकी पैड़ी क्षेत्र में कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी फंड से हुए करोड़ों रुपये के विकास कार्यों में अनियमितताएं की शिकायत सीएम पुष्कर सिंह धामी तक पहुंचने पर जिलाधिकारी ने जांच बैठा दी है। सिटी मजिस्ट्रेट ने डीएम के आदेश पर विकास कार्यों की जांच शुरू कर दी है। सिटी मजिस्ट्रेट की माने तो जल्द ही जांच कर रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंपी जाएगी।
फाइलों में है काम, धरातल पर नदारद
विकास कार्यों, सौंदर्यीकरण और जीर्णोद्धार के लिए सीएसआर के तहत आवंटित पैसों की बंदरबांट की गई। शिकायतकर्ता अखिल भारतीय धर्मशाला प्रबंधक सभा के अध्यक्ष रमेश चंद शर्मा ने सीएसआर में करप्शन की शिकायत मुख्यमंत्री को दी थी। जिसमें बताया गया कि गऊघाट पुल पर एक प्रवेश द्वार 16.50 लाख रुपये में बनाया गया है। पुलों का फर्श, रेलिंग, सोलर लाइट समेत कई काम धरातल पर नहीं कराए गए। सुभाष घाट पर निम्न स्तर का प्याऊ बनाया गया। पुलों के नीचे यात्रियों की सुरक्षा को लेकर गंगा में चेन नहीं लगाई गई।
शिकायत पत्र में आरोप लगाया गया है कि कार्यदायी संस्था उत्तराखंड परियोजना विकास निर्माण निगम देहरादून ने महत्वपूर्ण स्थायी पुलों पर स्थायी सोलर लाइट नहीं लगाई। ना ही पुलों के आवागमन मार्ग पर गुणवत्तायुक्त टाइल्स पत्थरों को लगाया। ना ही डूबने वाले तीर्थयात्रियों की जीवन सुरक्षा के लिए चेन लगाई गई।
बहरहाल सीएसआर का पैसा समाज की भलाई के लिए खर्च किये जाना चाहिए लेकिन भ्रष्टाचारियों ने अपनी जेब भरा है। जांच रिपोर्ट आएगी, दोष तय किये जायेंगे। सीएसआर के तहत कॉरपोरेट्स दान देकर अपना सामाजिक दायित्व का तो निर्वहन कर रहा है लेकिन सरकार, प्रशासन, हमारी और आपकी भी जिम्मेदारी होती है कि सीएसआर के पैसों का सही इस्तेमाल हो और जरूरतमंद तक सीएसआर फंड पहुंचे।