उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के विकास मॉडल में सबसे प्रथम स्थान पर प्राइमरी स्कूल हो गया है। योगी आदित्यनाथ के दूसरे कार्यकाल में योगी ने प्राइमरी स्कूल स्तर पर विकास को तरजीह दी है। इस विकास के मॉडल में सीएसआर की भूमिका बेहद ही अहम रहने वाली है। अब स्कूलों के कायाकल्प में सीएसआर यानी (कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी) की भी मदद ली जाएगी। योगी सरकार दूसरे कार्यकाल में कामकाज संभालते ही प्राइमरी शिक्षा की तस्वीर को पूरी तरह बदलने में जुट गई है। सोमवार यानी 4 अप्रैल को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्रावस्ती में स्कूल चलो अभियान की शुरुआत किया।
सीएसआर से यूपी के श्रावस्ती जिले में शुरू हुआ “स्कूल चले हम” अभियान
दरअसल प्राइमरी स्कूलों में ही बच्चों की बेहतर भविष्य की नींव रखी जाती है और जब नींव मजबूत तो बच्चों का भविष्य भी मजबूत होगा ऐसे में मुख्यमंत्री ने सोमवार को स्कूली शिक्षा के स्तर को बढ़ाने और कम साक्षरता वाले जिलों पर ज्यादा ध्यान देनें के लिए ‘स्कूल चलें हम’ अभियान की शुरुआत हुई। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कम साक्षरता दर वाले जिलों को प्राथमिकता देने और प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों को बेहतर सुविधाओं से लैस किया जाने के निर्देश दिए हैं। इस अभियान की शुरुआत उत्तर प्रदेश के पिछड़े जिले श्रावस्ती से किया गया।
शिक्षक घर-घर जाकर बच्चों को स्कूल आने के लिए करेंगे प्रेरित
श्रावस्ती जिले की साक्षरता दर सबसे कम है। सीएम योगी ने जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से भी अपील की है कि वे प्राइमरी स्कूलों को गोद लेकर स्कूलों के कायाकल्प में अपना योगदान दें। साथ ही मुख्यमंत्री योगी ने सीएसआर (CSR – Corporate Social Responsibility) से भी मदद की अपील की है। अगले पांच साल में एक करोड़ नए छात्रों के रजिस्ट्रेशन का लक्ष्य रखा गया है। श्रावस्ती के बाद बहराइच, बलरामपुर, बदायूं और रामपुर में इस अभियान की शुरुआत होगी। मुख्यमंत्री ने प्रदेश के सभी 1.58 लाख प्राइमरी स्कूलों को स्मार्ट सुविधाओं से लैस करने के निर्देश भी दिए।
स्कूल चलो अभियान में स्थानीय लोगों के साथ साथ शिक्षक घर-घर जाकर बच्चों को स्कूल आने के लिए प्रेरित करेंगे। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि ऑपरेशन कायाकल्प से बेसिक शिक्षा परिषद के सभी 1.58 लाख स्कूलों में सुविधाएं दी जाएं। स्कूलों में पेयजल, टॉयलेट, स्मार्ट क्लास और फर्नीचर की व्यवस्था सुनिश्चित करने के साथ ही बच्चों की यूनिफॉर्म और जूते मोजे की व्यवस्था होगी। इस सब स्कूलों के कायाकल्प के लिए सीएसआर (कॉरपोरेट सोशल रिपांस्बिलिटी) की मदद ली जाएगी। बहरहाल योगी अपने इस स्कूली अभियान की सफलता में सीएसआर की भूमिका को बेहद अहम मान रहें हैं लेकिन सवाल ये भी है कि उत्तर प्रदेश में पिछले दिनों सीएसआर यानी कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के हिसाब से उत्तर प्रदेश को फिसड्डी पाया गया था। ऐसे में सरकारी योजनाओं के लिए CSR पाना बहुत मुश्किल है।