केरल, गोवा और मिज़ोरम, तीनों राज्य भारत में साक्षरता के मामले में शीर्ष पर हैं, जहां 90% से अधिक आबादी पढ़ना-लिखना जानती है। मगर सवाल यह है जब शिक्षा इतनी फैली है, तो नौकरियां कहां हैं? पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) 2022–23 के मुताबिक, ये राज्य भले ही सामाजिक विकास और साक्षरता में अग्रणी हों, लेकिन युवाओं की बेरोज़गारी दर भी यहां सबसे अधिक है। यह स्थिति बताती है कि जब शिक्षा बढ़ती है पर रोज़गार नहीं, तो विकास अधूरा रह जाता है।
साक्षरता बनाम रोजगार योग्यता
नीतिगत रूप से ‘साक्षरता’ का अर्थ होता है, किसी व्यक्ति का पढ़ना-लिखना जानना। लेकिन आज के डिजिटल युग में रोज़गार के लिए केवल पढ़ाई नहीं, बल्कि कौशल, अनुकूलन क्षमता और तकनीकी ज्ञान जरूरी है। केरल की ऐतिहासिक साक्षरता क्रांति, गोवा की अंग्रेज़ी माध्यम शिक्षा प्रणाली और मिज़ोरम की लगभग सार्वभौमिक शिक्षा तीनों ने “शिक्षा तक पहुंच” तो सुनिश्चित की, लेकिन “रोज़गार से जुड़ाव” नहीं किया। नतीजा डिग्रीधारक बढ़े, लेकिन नौकरी के अवसर घटे। यही स्थिति अर्थशास्त्रियों की नजर में “शिक्षित बेरोज़गारी” कहलाती है।
केरल: डिग्री बहुत, अवसर कम
यहां साक्षरता दर सबसे अधिक 95.3% है। भारत का सबसे शिक्षित राज्य केरल आज एक गहरी चुनौती झेल रहा है। यहां के अधिकांश शिक्षित युवा कला और वाणिज्य विषयों में डिग्रीधारी हैं, जबकि नौकरी की मांग तकनीकी और सेवा क्षेत्र में बढ़ रही है। निजी क्षेत्र के सीमित विस्तार के कारण, कई युवा या तो विदेशों की ओर पलायन कर रहे हैं या फिर सरकारी नौकरियों की प्रतीक्षा में वर्षों बिता देते हैं।
गोवा: साक्षर, कुशल, पर अस्थिर रोज़गार
गोवा में 88.2% साक्षरता दर के बावजूद, युवा बेरोज़गारी दर करीब 19% है। यहां की अर्थव्यवस्था पर्यटन, आतिथ्य (हॉस्पिटैलिटी) और लघु उद्योगों पर निर्भर है, जो अधिकतर मौसमी या अस्थायी रोजगार देते हैं। शिक्षित युवा अक्सर योग्यताओं से अधिक और अवसरों से कम के बीच फंसे रहते हैं। शिक्षा का स्तर ऊंचा है, पर स्थायी और विविध रोजगार की कमी उन्हें असंतुष्ट रखती है। यह स्थिति दिखाती है कि शिक्षा और रोज़गार के बीच की खाई लगातार बढ़ रही है।
मिज़ोरम: 91.3% साक्षर, पर सीमित आर्थिक दायरा
98.2% साक्षरता दर के साथ मिज़ोरम भारत का दूसरा सबसे शिक्षित राज्य है। फिर भी यहां युवा बेरोज़गारी दर लगभग 12% बनी हुई है। राज्य की अर्थव्यवस्था मुख्यतः सरकारी नौकरियों और कृषि पर निर्भर है, जबकि निजी निवेश लगभग न के बराबर है।हजारों डिग्रीधारक युवा या तो अल्परोज़गार (underemployed) हैं या वर्षों तक स्थायी नौकरी की प्रतीक्षा में रहते हैं। यहां शिक्षा उपलब्ध है, लेकिन अवसर सीमित हैं।
हिमाचल प्रदेश और सिक्किम
इसके विपरीत, हिमाचल प्रदेश (86.6% साक्षरता) और सिक्किम (81%) ने शिक्षा और रोज़गार के बीच एक बेहतर संतुलन कायम किया है। यहां युवा बेरोज़गारी दर 10% से कम है। इन राज्यों में पर्यटन, बागवानी, जलविद्युत और लघु उद्योगों का विकास हुआ है, जिससे स्थानीय युवाओं को रोजगार मिला है। साथ ही, व्यावसायिक और तकनीकी प्रशिक्षण पर विशेष ध्यान दिया गया है, जिससे शिक्षा सीधे रोज़गार में परिवर्तित हो रही है।
कितने पढ़े-लिखे नहीं, कितने कमाने वाले?
अगर केरल भारत का साक्षरता मॉडल है, तो हिमाचल और सिक्किम उसका रोज़गार मॉडल हैं। अब समय आ गया है कि भारत की नीतियां केवल “कितने साक्षर हैं” पर नहीं, बल्कि “कितने रोज़गार पा रहे हैं” पर ध्यान दें। शिक्षा का अगला चरण कौशल विकास, उद्यमिता और तकनीक आधारित प्रशिक्षण से जुड़ना चाहिए ताकि शिक्षित युवाओं को वास्तविक रोजगार अवसर मिल सकें।
Long or Short, get news the way you like. No ads. No redirections. Download Newspin and Stay Alert, The CSR Journal Mobile app, for fast, crisp, clean updates!
On Thursday, media reports claimed that amid ongoing Special Intensive Revision (SIR) of electoral rolls across the state, the UIDAI has notified the Election...