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May 24, 2025

मां! मैं चोर नहीं’, मौत से पहले 12 साल के बच्चे ने लिखा भावुक सुसाइड नोट

West Bengal के पंसकुरा (Panskura) में एक 12 वर्षीय छात्र ने चोरी के झूठे आरोप और सार्वजनिक अपमान से आहत होकर ज़हर खा लिया। मरने से पहले मां के नाम लिखा भावुक सुसाइड नोट-“मां, मैं चोर नहीं हूं, मुझे कुरकुरे पसंद है।”
Panskura Chips Theft Case: पश्चिम मेदिनीपुर (Paschim Medinipur) जिले के पंसकुरा (Panskura) क्षेत्र में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। 12 वर्षीय छात्र कृष्णेंदु दास (Krishnendu Das) ने एक दुकान से कुरकुरे का पैकेट उठाने पर चोरी का आरोप लगने और सार्वजनिक अपमान के बाद ज़हर खाकर आत्महत्या कर ली।

  कृष्णेंदु को मिली मासूमियत की सज़ा

गोसाइबेर बाज़ार (Gosaiber Bazar) स्थित दुकान से गुरुवार शाम को कुरकुरे का पैकेट उठाने पर दुकान के मालिक शुभंकर दीक्षित ने उसे न सिर्फ पीटा, बल्कि लोगों के सामने उठक-बैठक भी करवाई। मां ने बताया कि बच्चा बार-बार चिल्लाकर बोलता रहा, ‘अंकल मैं खरीद लूंगा।’ लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। जब काफी देर तक कोई नहीं आया तो उसने पास में पड़े एक पैकेट को उठाकर घर लौटने का फैसला किया। कुछ देर बाद जब दुकानदार वापस आया तो कृष्णेंदु को पकड़कर पीटा और सरेआम उठक-बैठक करवाकर बेइज्जत किया। इसके बाद उसकी मां को भी मौके पर बुलाया गया, जिन्होंने गुस्से में बेटे को थप्पड़ मार दिया। कृष्णेंदु ने सफाई दी कि वह पैकेट सड़क पर पड़ा मिला था और वह बाद में पैसे देने की बात कह रहा था लेकिन दुकानदार ने उसे झूठा कहा और चोर करार दिया।

अपमान से आहत कृष्णेंदु का मिला सुसाइड नोट

अपमान और चोट से टूटा कृष्णेंदु अपनी मां के साथ घर लौटा और कमरे में जाकर दरवाज़ा बंद कर लिया। कुछ समय बाद जब अंदर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई तो मां और पड़ोसियों ने दरवाज़ा तोड़ा। अंदर का मंजर भयावह था, कृष्णेंदु के मुंह से झाग निकल रही थी। पास में आधा खाली कीटनाशक की बोतल पड़ी थी। बगल में एक सुसाइड नोट मिला जिसमें लिखा था, “मां, मैं चोर नहीं हूं। मैंने नहीं चुराया। अंकल दुकान पर नहीं थे। जाते समय सड़क पर कुरकुरे का पैकेट दिखा तो उठा लिया। मुझे कुरकुरे बहुत पसंद है। ये मेरे आखिरी शब्द हैं। मुझे माफ कर देना…”

नहीं बची जान

कृष्णेंदु को तुरंत तामलुक अस्पताल (Tamluk Hospital) ले जाया गया, जहां उसे ICU में भर्ती किया गया, लेकिन इलाज के कुछ घंटों बाद ही उसकी मौत हो गई। घटना सामने आने के बाद दुकानदार शुभंकर दीक्षित, जो कि बंगाल पुलिस का सिविक वॉलंटियर भी है, गायब हो गया है। दुकान बंद है और इलाके में गुस्साई भीड़ जमा हो गई है। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और सुसाइड नोट की फॉरेंसिक जांच की जा रही है।

मानसिक अस्थिरता का परिणाम भुगत रहा मॉडर्न होता समाज

पश्चिम बंगाल का कृषणेंदू हो या चंडीगढ़ का 17 वर्षीय स्टूडेंट, घटती सहनशक्ति, परिस्थितियों से हार मान लेने की बढ़ती प्रवृत्ति हमारे विकासशील समाज की आदत बनती जा रही है। जल्द बड़े होने, तुरंत कामयाब होने और समाज के बढ़ते Peer Pressure ने बच्चों से उनका बचपन छीन लिया है। अभिभावक भी अपने सपने अपने बच्चों के जरिए पूरा करना चाहते हैं। दोहरी उम्मीदों का बोझ संभालने की कुवत आज के ‘Pampered’ बच्चों में कहां होगी! नतीजा, लड़ने की बजाए जान देना उन्हे ज्यादा आसान लगने लगा है।

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