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November 1, 2025

Tulsi Vivah 2025: भद्रा के साये में बदला शुभ मुहूर्त! जानें सही तिथि, इस दिन खुलने वाले हैं इन राशियों के भाग्य

The CSR Journal Magazine
तुलसी विवाह (Tulsi Vivah 2025) हिंदू धर्म का एक अत्यंत शुभ और पवित्र पर्व है, जो भगवान विष्णु और देवी तुलसी (वृंदा) के विवाह का प्रतीक है। हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को यह उत्सव मनाया जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष यह शुभ अवसर 2 नवंबर 2025 को आएगा। मान्यता है कि देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार महीने की योगनिद्रा से जागते हैं, जिसे देव जागरण कहा जाता है। उनके जागने के साथ ही सभी मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है। इसी पावन समय में भगवान विष्णु और देवी तुलसी का विवाह संपन्न होता है, जो भक्त और भगवान के पुनर्मिलन का प्रतीक माना जाता है।
इस वर्ष तुलसी विवाह पर विशेष ग्रह योग
इस वर्ष तुलसी विवाह के दिन शुक्र और चंद्रमा का दुर्लभ गोचर होने ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दिन शुक्र तुला राशि में और चंद्रमा मीन राशि में प्रवेश करेंगे। यह संयोग धन, प्रेम और सौभाग्य बढ़ाने वाला माना गया है। इन ग्रह परिवर्तनों का असर कई राशियों पर विशेष रूप से शुभ रहेगा।

देवउठनी एकादशी और भद्रा काल का प्रभाव

देवउठनी एकादशी (प्रबोधिनी एकादशी) इस वर्ष 1 नवंबर 2025 को मनाई जा रही है। इसी दिन भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागते हैं और तुलसी विवाह का आयोजन होता है। हालांकि, इस बार एक विशेष स्थिति बनी है — भद्रा काल 1 नवंबर की दोपहर 3:30 बजे से रात 2:26 बजे तक रहेगा। चूंकि भद्रा काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता, इसलिए तुलसी विवाह इस बार 2 नवंबर को किया जाएगा।

तुलसी विवाह के शुभ मुहूर्त

  • ब्राह्म मुहूर्त: सुबह 4:50 से 5:42 तक
  • अमृत काल: सुबह 9:29 से 11:00 तक
  • अभिजित मुहूर्त: 11:42 से 12:26 तक
  • विजय मुहूर्त: दोपहर 1:55 से 2:39 तक
  • गोधूली मुहूर्त: शाम 5:35 से 6:01 तक इन मुहूर्तों में तुलसी विवाह करना सबसे शुभ माना गया है।

इन राशियों की किस्मत चमकेगी तुलसी विवाह पर

  • कन्या राशि: तुलसी विवाह के बाद कन्या राशि वालों का सुनहरा समय शुरू होगा। नौकरी में सफलता, अटके कार्यों की पूर्ति और विदेश जाने के अवसर मिल सकते हैं। परिवारिक रिश्तों में भी सुधार आएगा।
  • तुला राशि: शुक्र-चंद्रमा के गोचर से तुला राशि के जातकों की शादी या प्रेम जीवन से जुड़ी अड़चनें दूर होंगी। नए रिश्तों में स्थिरता और भाग्य का साथ मिलेगा।
  • मीन राशि: मीन राशि वालों को इस दिन आर्थिक लाभ और करियर में नई ऊंचाइयां मिल सकती हैं। नई नौकरी या प्रमोशन के अवसर बनेंगे और मित्रों के साथ संबंध मजबूत होंगे।
देवी वृंदा और असुरराज जालंधर की पौराणिक कथा
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, तुलसी देवी का पूर्व जन्म वृंदा नामक एक पतिव्रता स्त्री के रूप में हुआ था। उनका विवाह असुरराज जालंधर से हुआ था, जो उनकी पतिव्रता शक्ति के कारण अपार सामर्थ्यशाली बन गया था। देवता भी जालंधर को पराजित नहीं कर पा रहे थे। तब भगवान विष्णु ने देवताओं के आग्रह पर जालंधर का वध करने का संकल्प लिया।
विष्णु जी ने जालंधर का रूप धारण कर वृंदा के समक्ष प्रकट हुए। अपने पति का रूप देखकर वृंदा भ्रमित हो गईं, जिससे उनका तप भंग हो गया। इसके परिणामस्वरूप जालंधर की शक्ति नष्ट हो गई और वह युद्ध में मारा गया। वृंदा को जब यह सत्य पता चला तो उन्होंने भगवान विष्णु को श्राप दिया कि वे पत्थर बन जाएं। उसी श्राप से भगवान शालिग्राम रूप में प्रकट हुए, और वृंदा तुलसी पौधे के रूप में। बाद में विष्णु ने उनके श्राप से मुक्ति पाने और उनके तप की मर्यादा बनाए रखने के लिए उनसे विवाह किया यही विवाह तुलसी विवाह कहलाता है।

तुलसी विवाह के धार्मिक और सामाजिक लाभ

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, तुलसी विवाह करवाने से विवाह में आने वाली रुकावटें समाप्त होती हैं, ग्रह दोष शांत होते हैं और दांपत्य जीवन में प्रेम, समझ और स्थिरता आती है। यह विवाह न केवल पति-पत्नी के संबंधों को मजबूत करता है बल्कि परिवार में सुख-समृद्धि और शांति भी लाता है। जिन कन्याओं के विवाह में देरी हो रही हो, वे तुलसी विवाह का अनुष्ठान करें तो शीघ्र विवाह के योग बनते हैं। विवाहित जोड़ों के लिए यह दिन आपसी मतभेद दूर कर रिश्ते में नई ऊर्जा और संतुलन लाने वाला माना जाता है।
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