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कैंसर के लिए टाटा और सिप्ला ने शुरू किया इमोशनल हेल्पलाइन

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कोरोना महामारी ने हर किसी को प्रभावित किया, चाहे वह आम हो या ख़ास, कोरोना ने सबकी जिंदगी में बदलाव किया है, आर्थिक तौर पर तो दुश्वारियां हुई लेकिन भावनात्मक पहलू से भी लोग प्रभावित हुए। कॉर्पोरेट हाउसेस, सामाजिक संस्थाओं समेत सरकार ने अपनी सोशल रिस्पांसिबिलिटी का खूब निर्वहन किया और बढ़चढ़ कर परेशानियों को खत्म करने की हर संभव कोशिश की। कोरोना का खौफ, बीमारी का डर, मरीजों को और बीमार बना रहा है इससे निपटने के लिए भारत में पहली बार कैंसर मरीजों के लिए टाटा और सिप्ला ने मिलकर इमोशनल सपोर्ट हेल्पलाइन की शुरवात की है।

कैंसर मरीजों के लिए टाटा और सिप्ला की हेल्पलाइन बीमारी से डर, चिंता और तनाव कम करेगी

देश में पहली बार इस तरह की पहल की गयी है जो कैंसर मरीजों के लिए बेहद कारगर साबित होगी, कैंसर से डर, चिंता और तनाव से संबंधित मदद करने के लिए अपनी तरह का पहला टोल-फ्री हेल्पलाइन की शुरवात टाटा हॉस्पिटल और सिप्ला फार्मा कंपनी ने किया है। इस पहल में बीएमसी और पुणे महानगर पालिका भी मदद कर रही है। अनुभवी कॉउंसलरओं द्वारा संचालित यह सेवा सप्ताह के सभी दिनों में अंग्रेजी, हिंदी और मराठी भाषा में सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक टोल-फ्री नंबर 09511948920 पर उपलब्ध है।
कैंसर के मरीज और उनके तीमारदार उपरोक्त नंबर को डायल कर अपनी भावनात्मक तकलीफों की चर्चा एक्सपर्ट कॉउंसलर्स से कर सकते है, हम आपको बता दें कि कोरोना और लॉक डाउन की वजह से हमनें देखा कि किस तरह से कैंसर मरीज टाटा हॉस्पिटल के आसपास रास्ते पर रहने को मजबूर थे, मीडिया में खूब होहल्ला मचा, दरअसल मरीजों की अपनी मजबूरियां कि वो देश के दूरदराज इलाकों से मुंबई पहुंचकर इलाज करवा रहें है लेकिन लॉक डाउन ने उनकी दुश्वारियां और परेशानियों को और बढ़ा दिया।

8 लाख लोगों की कैंसर जैसी इस भयावह बीमारी से मौत हो जाती है।

एक आकड़ों की मानें तो यह अनुमान लगाया जाता है कि हर तीन कैंसर मरीजों में से एक को अपने भावनात्मक संकट को दूर करने के लिए हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है। इन मरीजों में सबसे आम समस्याएं हैं चिंता और अवसाद। कोरोना की वजह से सामाजिक दूरी की वजह से देखभाल की निरंतरता में कमी, सामाजिक समर्थन में कमी, नौकरियों के जाने से तमाम आर्थिक बोझ बढ़ने के कारण लॉकडाउन में ये मनोवैज्ञानिक समस्याएं और भी तीव्र हो गई हैं। जिसकी वजह से टाटा मेमोरियल अस्पताल (Tata Memorial Centre, Mumbai) और सिप्ला (Cipla Palliative Care & Training Centre Pune) ने Can-Helper (Cancer Helpline for Emotional Respite) पहल लांच किया।
टाटा मेमोरियल सेंटर के निदेशक डॉ बडवे ने The CSR Journal से बातचीत करते हुए कहा कि, “COVID-19 महामारी का कैंसर मरीजों और विशेष रूप से एडवांस स्टेज कैंसर सहित गंभीर पुरानी बीमारियों वाले लोगों पर विनाशकारी प्रभाव पड़ा है। इस हेल्पलाइन के साथ, हम कैंसर मरीजों और उनके परिवार के सदस्यों के बीमारी को लेकर तनाव और चिंता को कम करने की एक पहल कर रहें है।
Can-Helper (Cancer Helpline for Emotional Respite) पहल के बारे में बताते हुए सिप्ला पालिऐटिव केयर एंड ट्रेनिंग सेंटर की ट्रस्टी रुमाना हामिद ने कहा कि, “हमें इस तरह की सेवा की आवश्यकता तब महसूस हुई जब हमारी होम केयर टीम ने COVID के दौरान मरीजों और उनके परिवारों से बात की जिन्होंने कोरोना की वजह से हमें उनके इलाज में देरी की आशंका, नर्सिंग और मरीजों की देखभाल की कमी और आइसोलेशन और असहायता की बढ़ती भावना के कारण उनके परिवार के सदस्यों से संबंधित चिंताएं बताई। रूमाना हामिद ने बताया कि हमें उम्मीद है कि हेल्पलाइन पर कॉल करने वाले मरीज और उनके परिजन इस अनिश्चित समय में सामना करने में और प्रबल होंगे।
इस पहल पर बात करते हुए पवन चौधरी ने The CSR Journal से बातचीत करते हुए कहा कि टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल और सिप्ला की पहल बेहद से सराहनीय है, इससे मेरे जैसे कैंसर पैशेंट को बहुत फायदा होगा, खासकर भावनात्मक रूप से। पवन चौधरी कई सालों से टाटा हॉस्पिटल से अपने कैंसर की बीमारी का इलाज करवा रहें है। पवन चौधरी खेत में मजदूर है और तंबाकू खाने की लत, गुटका खाने की लत आज उन्हें अपने गांव से मुंबई के टाटा अस्पताल का चक्कर लगा रहा है। इन्हें कैंसर हो गया है। इनकी आवाज जाते-जाते बची है, लेकिन जो बची है वह अगर बात करेंगे तो आपको समझ में नहीं आएगा। पवन के बेटे अमितेश को जब भी कोई दिक्कत होती है तो वो टोल फ्री नंबर पर समाधान तलाशतें है।
मुंबई के जाने माने मनोचिकित्सक डॉ सागर मूंदड़ा से जब हमनें बात की तो उन्होंने बताया कि इस कोरोना काल में मरीजों की मानसिक स्थिति प्रभावित हुई है, शुरवात में कोरोना का खौफ इतना था कि एक हेल्दी इंसान के दिमाग में भी कौतुहल चलता था कि कहीं उसे कोरोना तो नहीं हो गया ऐसे परिस्थिति में पहले से बिमारियों से घिरें लोगों का हाल और भी बुरा हो गया था, लिहाजा ऐसे मरीजों के लिए हेल्पलाइन जैसी पहल सराहनीय है, इससे जो बीमारी को लेकर जो डर है वो खत्म होगा और मरीजों की सेहत में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होगा।

हर साल भारत देश में 12 लाख लोग कैंसर से ग्रस्त होते हैं।

हम आपको बता दें कि भारत देश में पुरुषों में सबसे ज्यादा मुंह के कैंसर के मरीज पाए जाते हैं, तंबाकू और गुटके के साथ अगर आप शराब का भी सेवन करते हैं तो आप बड़ी ही तेजी से कैंसर के मुंह में जा रहे हैं। आंकड़ों की माने तो हर साल भारत देश में 12 लाख लोग कैंसर से ग्रस्त होते हैं। जिनमें 8 लाख लोगों की इस भयावह बीमारी से मौत हो जाती है। हर साल अकेले टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल में 70 हज़ार नए पेशेंट आते हैं। जिनमें 10 हज़ार परसेंट मुंह के कैंसर से पीड़ित होते हैं। देश में 18 हज़ार करोड़ रुपये सिर्फ मुंह के कैंसर पर खर्च किया जाता है वही पूरे विश्व में 500 बिलियन डॉलर सिर्फ मुंह के कैंसर पर खर्च किया जाता है।