app-store-logo
play-store-logo
December 22, 2025

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से छिड़ा नया विवाद, दिल्ली राजस्थान समेत 4 राज्यों में बढ़ी पर्यावरणीय चिंता

The CSR Journal Magazine
सुप्रीम कोर्ट द्वारा अरावली पर्वतमाला की परिभाषा तय करने के लिए केंद्र सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी दिए जाने के बाद देश में एक नया पर्यावरणीय विवाद खड़ा हो गया है। कोर्ट ने 100 मीटर से अधिक ऊंची पहाड़ियों को ही अरावली पर्वतमाला का हिस्सा मानने पर सहमति जताई है। इस फैसले का सीधा असर दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा और गुजरात जैसे राज्यों पर पड़ेगा, जहां अरावली क्षेत्र फैला हुआ है।
इस निर्णय के बाद जहां सरकार इसे खनन और निर्माण गतिविधियों को नियंत्रित करने की दिशा में एक अहम कदम बता रही है, वहीं पर्यावरणविद और सामाजिक संगठन इसे अरावली के संरक्षण के लिए खतरनाक मान रहे हैं। उनका कहना है कि केवल ऊंचाई के आधार पर अरावली को परिभाषित करना इसके पारिस्थितिक महत्व को नजरअंदाज करता है।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने 100 मीटर की सुरक्षा सीमा को लेकर उठ रहे सवालों पर स्थिति स्पष्ट की है। उन्होंने कहा कि यह दूरी पहाड़ी के निचले आधार से मानी जाएगी और इस दायरे में किसी भी तरह की खुदाई या गतिविधि की अनुमति नहीं होगी। यह व्यवस्था सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप की जा रही है ताकि खनन को लेकर स्पष्ट और सख्त नियम लागू किए जा सकें।
सरकार का कहना है कि अरावली को लेकर कानूनी प्रक्रिया नई नहीं है और वर्ष 1985 से इस विषय पर याचिकाएं चल रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने चारों संबंधित राज्यों को अरावली की एक समान और वैज्ञानिक परिभाषा तय करने के निर्देश दिए हैं, ताकि नियमों की अलग-अलग व्याख्या से होने वाले उल्लंघन को रोका जा सके।
हालांकि, पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि अरावली पर्वतमाला का महत्व उसकी ऊंचाई से कहीं अधिक है।
यह पर्वतमाला भूजल पुनर्भरण, जलवायु संतुलन और प्रदूषण नियंत्रण में अहम भूमिका निभाती है। अरावली की पथरीली संरचना बारिश के पानी को जमीन के भीतर पहुंचाकर जलभंडारों को भरती है, जिससे दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद, अलवर और राजस्थान के कई इलाकों को पानी मिलता है।

अरावली की नई परिभाषा से उठा विवाद

सुप्रीम कोर्ट द्वारा 100 मीटर से ऊंची पहाड़ियों को ही अरावली मानने के फैसले के बाद पर्यावरण विशेषज्ञों और सामाजिक संगठनों में असंतोष बढ़ गया है। उनका कहना है कि इससे कई संवेदनशील क्षेत्र संरक्षण के दायरे से बाहर हो सकते हैं।

दिल्ली समेत चार राज्यों में बढ़ेगी सख्ती

इस फैसले का सीधा असर दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा और गुजरात पर पड़ेगा। नई परिभाषा लागू होने के बाद खनन, निर्माण और अन्य गतिविधियों पर निगरानी बढ़ेगी, जिससे राज्यों में प्रशासनिक और राजनीतिक दबाव भी बढ़ सकता है।

खनन पर स्पष्ट नियम बनाने की तैयारी

केंद्र सरकार और संबंधित राज्य अब अरावली क्षेत्र का विस्तृत मानचित्रण करेंगे। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार यह तय किया जाएगा कि कहां खनन की अनुमति होगी और किन क्षेत्रों में पूरी तरह रोक लगेगी, ताकि नियमों की अलग-अलग व्याख्या न हो।

पर्यावरण और जल संकट की आशंका

विशेषज्ञों का मानना है कि अरावली पर्वतमाला भूजल रिचार्ज, प्रदूषण नियंत्रण और मरुस्थलीकरण रोकने में अहम भूमिका निभाती है। यदि संरक्षण कमजोर पड़ा तो दिल्ली-एनसीआर और राजस्थान के कई इलाकों में जल संकट और जलवायु असंतुलन गहराने की आशंका है।

Long or Short, get news the way you like. No ads. No redirections. Download Newspin and Stay Alert, The CSR Journal Mobile app, for fast, crisp, clean updates!

App Store – https://apps.apple.com/in/app/newspin/id6746449540

Google Play Store – https://play.google.com/store/apps/details?id=com.inventifweb.newspin&pcampaignid=web_share

Latest News

Popular Videos