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December 17, 2025

स्कूल में यूनिफॉर्म के मजाक से तंग, 9 साल के मासूम बच्चे ने घर आकर ID कार्ड की डोरी से लगाई फांसी

The CSR Journal Magazine
हैदराबाद के चंदा नगर से एक बेहद दुखद खबर सामने आई है। चौथी कक्षा में पढ़ने वाला मात्र 9 वर्षीय प्रशांत मंगलवार शाम को अपने घर में आत्महत्या कर लिया। यह घटना बच्चों की नाजुक उम्र में मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी और स्कूल में बढ़ती बुलिंग का गंभीर मामला सामने लाती है। छोटी-छोटी बातें, जैसे मजाक या ताने, बच्चों के कोमल मन पर गहरा असर डाल सकती हैं और कभी-कभी इसका परिणाम दर्दनाक भी हो सकता है।

स्कूल में यूनिफॉर्म का मजाक और घर पर लिया भयानक कदम

जानकारी के अनुसार, प्रशांत एक निजी स्कूल में पढ़ता था। उसके सहपाठियों ने बार-बार उसके यूनिफॉर्म पहनने के तरीके पर मजाक उड़ाया। स्कूल से घर लौटते ही प्रशांत ने बिना कुछ कहे सीधे वॉशरूम में जाकर अपने स्कूल ID कार्ड की डोरी का फंदा बनाकर जान दे दी। परिवार वालों ने देर होने पर दरवाजा तोड़ा, तो उन्हें प्रशांत लटका हुआ मिला। अस्पताल पहुंचाने पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

खिलखिलाता बच्चा अचानक दुनिया से चला गया

प्रशांत के पिता शंकर ने बताया कि उनका बेटा बहुत खुशमिजाज और सक्रिय बच्चा था। घर लौटते ही अचानक चुप हो जाना और अपनी परेशानी को भीतर ही भीतर झेलना उनके लिए एक बड़ा सदमा था। घर में अब केवल सन्नाटा और गहरी उदासी है। इस घटना ने यह साफ कर दिया कि बच्चों की भावनाओं और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना कितना जरूरी है।

बच्चों की मानसिक स्वास्थ्य पर बढ़ता खतरा

यह दुखद घटना यह बताती है कि बच्चों में मानसिक दबाव और तनाव का असर कितनी जल्दी गंभीर हो सकता है। छोटे-छोटे मजाक या ताने, जो वयस्कों को मामूली लग सकते हैं, बच्चों के लिए भारी और असहनीय बन सकते हैं। अगर कोई बच्चा स्कूल जाने से डरने लगे, अचानक चुप हो जाए या अधिक चिड़चिड़ा हो जाए, तो यह संकेत हो सकता है कि वह किसी मानसिक दबाव या बुलिंग का सामना कर रहा है।

एंटी-बुलिंग कानून और स्कूल की जिम्मेदारी

पुलिस और शिक्षा अधिकारियों के अनुसार, स्कूलों में उत्पीड़न के खिलाफ सख्त कानूनी प्रावधान मौजूद हैं। बुलिंग करने वाले छात्रों को तुरंत निलंबित किया जा सकता है या अन्य स्कूल में स्थानांतरित किया जा सकता है। दोषियों के लिए साइकोलॉजिकल काउंसलिंग और उम्र के आधार पर कानूनी दंड का भी प्रावधान है। चंदा नगर पुलिस अब स्कूल के शिक्षकों और छात्रों के बयान दर्ज कर रही है ताकि दोषियों की पहचान की जा सके।

पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं

हैदराबाद में यह पहली घटना नहीं है। 2022 में भी होमवर्क और स्कूल दबाव के कारण एक मासूम ने अपनी जान दे दी थी। बाल अधिकार कार्यकर्ताओं ने अब स्कूलों में मजबूत मानसिक स्वास्थ्य सपोर्ट सिस्टम की मांग तेज कर दी है।

बच्चों को सुनना ही सबसे बड़ी जरूरत

प्रशांत की मौत हम सभी के लिए चेतावनी है कि बच्चों की भावनाओं और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना कितना जरूरी है। स्कूल और परिवार दोनों को बच्चों की छोटी-छोटी परेशानियों को गंभीरता से लेना होगा। उनकी भावनाओं को समझना और उन्हें सुनना ही भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोकने का सबसे प्रभावी तरीका है।
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