महाराष्ट्र सरकार के वन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (Corporate Social Responsibility) की मदद से इन्होने चंद्रपुर (Chandrapur News) और बल्लारशाह में तमाम विकास के काम किये। सीएसआर (CSR in Maharashtra) के बाद अब सुधीर मुनगंटीवार अपनी सिटीजन सोशल रिस्पांसिबिलिटी (Citizen Social Responsibility) निभा रहें हैं। राम नवमी (Ram Navmi) के ख़ास अवसर पर सुधीर मुनगंटीवार भगवान प्रभु श्री राम के भव्य मंदिर में इस्तेमाल होने वाली सागौन की लकड़ियों (Teak Wood) को अयोध्या भेज रहें है। सैकड़ों वर्षों के संघर्षों के बाद अयोध्या (Ram Mandir in Ayodhya) में भगवान श्री राम का भव्य मंदिर का निर्माण हो रहा है। भगवान राम के मंदिर में लगने वाले मुख्य द्वार और गर्भगृह के साथ-साथ सभी दरवाजे, खिड़कियां और चौखट महाराष्ट्र के सागौन लकड़ी से बनाए जाएंगे।
Citizen Social Responsibility निभा रहे हैं सुधीर मुनगंटीवार
महाराष्ट्र के चंद्रपुर एवं बल्लारशाह के जंगलों में मौजूद सागौन (Teakwood) की लकड़ियों को सबसे उच्च दर्जे का माना जाता है। जो हजारों वर्षों तक खराब नहीं होती हैं। महाराष्ट्र से 1855 क्यूबिक फुट सागौन लकड़ी अयोध्या (Ram Mandir) जाएंगी। The CSR Journal से खास बातचीत करते हुए वन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार (Sudhir Mungantiwar) ने बताया कि वो कार सेवक भी रहे हैं और अब मंत्री बनने के बाद अपने चुनाव क्षेत्र से ये लकड़ियां अयोध्या भेज रहे हैं। खनिज संपदा से व्याप्त चंद्रपुर जिले के वनों में प्रचूर मात्रा में बेशकीमती सागौन पाया जाता है। नए संसद भवन सेंट्रल विस्टा परियोजना में भी चंद्रपुर की कीमती सागौन की लकड़ी इस्तेमाल की गई है।
महाराष्ट्र और अवध का पहले से ही गहरा रिश्ता रहा है – सुधीर मुनगंटीवार
महाराष्ट्र और अवध का पहले से ही गहरा रिश्ता रहा है। रानी इंदुमती जो भगवान श्री राम की दादी रही वो भी महाराष्ट्र के इसी विदर्भ से थी इसलिए विदर्भ के लोग यहां की लकड़ी अयोध्या में राम मंदिर के लिए भेजकर खुद को धन्य महसूस कर रहे हैं। सागौन की लकड़ी महाराष्ट्र के वन विकास निगम के माध्यम से भेजी जाएगी, जिसके बाद मंदिर के कारीगर उन पर डिजाइन और नकाशी करेंगे। महाराष्ट्र चंद्रपुर का ये जंगल वन्यजीवों और वनस्पतियों का अध्ययन करने वालों के लिए आकर्षण का केंद्र है।
सागौन की इन लकड़ियों की ये है विशेषताएं
फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक और टाटा कंसलटेंसी के पदाधिकारी ने पिछले दिनों महाराष्ट्र का दौरा कर सागवान की लकड़ी की बारीकियां जानी थीं। इसके बाद ट्रस्ट की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि भगवान राम के मंदिर लगने वाले दरवाजों में सागौन की लकड़ी का ही उपयोग किया जाएगा। बात दें कि महाराष्ट्र के चंद्रपुर से जो लकड़ियां अयोध्या जा रही हैं वो 100 साल पुराने पेड़ो की हैं। इन लकड़ियों का भूरा रंग बिना नकाशी और डिजाइन के भी खूबसूरत नजर आता है। इनका का कलर, टेक्सचर भी बाकी लकड़ियों से अलग है। इन लकड़ियों में एक विशेष तत्व होता है जिसकी वजह से इसमें दीमक या कीड़े नहीं लगते हैं। इन लकड़ियों में एक खास किस्म का तेल भी मौजूद होता है। जिसके चलते इन लकड़ियों की उम्र 700 से 1000 साल होती है। साथ ही यह लकड़ी यह बरसात और पानी में भी अपना आकार नहीं खोती है।