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अब पीक से लाल नहीं होगा कानपुर, सीएसआर से लगा थूकदान

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ-सफाई अभियान की शुरुआत क्या की, हर एक आम नागरिक इससे जुड़कर देश और अपने मोहल्ले को साफसुथरा रखने में अपना योगदान देने लगा है। साफ-सफाई की इस मुहिम में सबसे बड़ी चुनौती है Spitting यानी थूकना या पीकना। सड़क-चौराहे हो या कोई सार्वजनिक स्थान आप ‘यहां ना थूकिए’ के बोर्ड जरूर देखेंगे। लेकिन थूकने वालों पर इस चेतावनी का कोई असर नहीं होता दिखाई देता और बड़ी-बड़ी इमारतों की दीवार भी रंगी हुई दिखाई देती है।

सीएसआर से लगेगा कानपुर में पीकदान

लेकिन जब बात कानपुर की आती है तो कानपुर शहर गुटखे के लिए तो बदनाम है ही साथ ही थूकने वालों की भी छवि ठीक नहीं। पान मसाला खाकर जगह-जगह थूकने से शहर की छवि पर लगने वाले दाग को रोकने के लिए कानपुर नगर निगम फिक्की फ्लो कानपुर चैप्टर, स्मार्ट सिटी और सीएसआर फंड से कानपुर शहर के विभिन्न क्षेत्रों में 110 हाईटेक थूकदान लगाए जा रहें है।

कानपुर में सीएसआर से लगे पीकदान की ये है खासियतें, बनेगा खाद

हालही में फिक्की फ्लो की ओर से कानपुर के नानाराव पार्क में 10 पीकदान लगाए गए हैं। जिसका उद्घाटन कानपुर की महापौर प्रमिला पांडेय ने किया। कारगिल पार्क मोतीझील, राजीव वाटिका समेत अन्य प्रमुख स्थानों में भी ये पीकदान लगाए जाएंगे। इस पीकदान की खासियत ये है कि इसके बॉक्स में थूकते ही बैक्टीरिया सौ प्रतिशत कैद हो जाएंगे और उसे खाद में तब्दील कर देंगे। ये थूकदान 17 करोड़ 40 लाख 70 हजार बार थूक को रोक सकती है।

थूकने पर रोक का मतलब बीमारी फैलने से रोकना

कुछ लोग थूकने के लिए थूकदान या पीकदान का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन अक्सर ऐसे लोगों का तर्क होता है कि ज्यादातर जगह पीकदान नहीं होने से उन्हें रास्ते में ही थूकना पड़ता है। कानपुर नगर निगम और CSR पहल से लगाए गए इस पीकदान कानपुर वासियों के लिए बहुत फायदेमंद होने वाला है। बहरहाल थूकने की आदत सब पर भारी पड़ सकता है क्योंकि थूकने की वजह से टीबी, कोरोना जैसी बहुत सारी ऐसी बिमारियों पर अंकुश लगाया जा सकता है।