Home हिन्दी फ़ोरम सोनम वांगचुक का आविष्कार, सेना पर नहीं पड़ेगी सर्दी की मार

सोनम वांगचुक का आविष्कार, सेना पर नहीं पड़ेगी सर्दी की मार

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लद्दाख की गलवान वैली में ठंड की ठिठुरन कुछ इस कदर होती है कि यहां ख़ून भी जम जाए। बावजूद इसके भारत के सपूत, हमारे देश के जवान मां भारती की सुरक्षा में दिन रात तैनात रहते है और अपनी ड्यूटी करते है। यहां तापमान इतना सर्द होता है कि पारा माइनस 15 तक पहुंच जाता है। यह लद्दाख का वो हिस्सा है जहां सर्दियों में पारा रिकॉर्ड स्तर तक गिर जाता है। लेकिन देश की सुरक्षा के लिए इस विपरीत परिस्थिति में भी भारतीय सेना के जवान सरहद की सुरक्षा के लिए तैनात रहतें हैं। भविष्य में ऐसी कोई परिस्थिति आए तो सेना के हमारे जवानों को ठंड की वजह से कोई दिक्कत न हो इसके लिए सोनम वांगचुक ने एक खास तरह का मिलिट्री टेंट तैयार किया है।

सोनम वांगचुक ने सैनिकों के लिए बनाया ऐसा टेंट जो माइनस तापमान में भी अंदर से रहेगा गर्म

सोनम वांगचुक वही शख्सियत हैं, जिनसे प्रेरणा लेकर थ्री ईडियट्स फिल्‍म बनी है। सोनम वांगचुक अपने इनोवेशन के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने एक तरकीब निकाली है जिससे सरहद की सुरक्षा में तैनात सेना के जवानों को भीषण ठंड से राहत मिल सकेगी। उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर कुछ तस्वीरें शेयर की है। इसमें वह एक खास किस्म के मिलिट्री टेंट के बारे में बता रहे हैं, जो माइनस तापमान में भी अंदर से गर्म रहता है। सोनम ने इसे ‘सोलर हीटेड मिलिट्री टेंट’ नाम दिया है।
सोनम ने ट्वीट करते हुए बताया कि रात के 10 बजे जहां बाहर का तापमान -14°C था, टेंट के भीतर का तापमान +15°C था। यानी टेंट के बाहर के तापमान से टेंट के भीतर का तापमान 29°C ज्यादा था। इस टेंट के अंदर भारतीय सेना के जवानों को लद्दाख की सर्द रातें गुजारने में काफी आसानी होगी। इस सोलर हीटेड मिलिट्री टेंट की ख़ासियत यह है कि यह सौर ऊर्जा की मदद से काम करता है।

सोलर हीटेड मिलिट्री टेंट की ये है ख़ासियत

इससे सैनिकों को गर्म रखने के लिए लगने वाले कई टन केरोसिन के उपयोग में भी कमी आएगी और वातावरण में प्रदूषण भी नहीं होगा। इस तरह के एक टेंट के अंदर आराम से 10 जवान रह सकते हैं। साथ ही इसमें लगे सारे उपकरण पोर्टेबल हैं, जिसे एक जगह से दूसरी जगह आसानी से ले जाया जा सकता है। यह पूरी तरह ‘मेड इन इंडिया’ प्रोडक्ट है। सोनम वांगचुक ने इसे लद्दाख में ही रहकर बनाया है। इस टेंट का वजन सिर्फ 30 किलो है, यानी इसे आसानी से एक जगह से दूसरे जगह ले जाया जा सकता है।

सोनम वांगचुक द्वारा किया गया आविष्कार पूरी तरह इकोफ्रेंडली है

ग़ौरतलब है कि सोनम वांगचुक द्वारा किया गया आविष्कार पूरी तरह इकोफ्रेंडली है। लद्दाख में 24 घंटे बिजली रहना मुश्किल है। गर्मी के लिए यहां पर तैनात सेना के जवानों को डीजल, मिट्टी का तेल या फिर लकड़ी जलाने पर ही निर्भर रहना पड़ता है। इनको जलाने से प्रदूषण तो होता ही है साथ ही ये कम प्रभावी भी होता हैं। लेकिन सोनम का यह टेंट हीटर सोलर एनर्जी से गर्म होगा। सोलर एनर्जी को स्टोर करने की क्षमता भी है। बता दें कि इस सोलर टेंट को बनाने में वांगचुक को चार सप्ताह का वक्त लगा है।

सोनम वांगचुक के आविष्कार को सलाम

सोनम के इस आविष्कार के लिए पूरे देश से वाहवाही मिल रही है, बधाईयां मिल रही है, सोनम के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए बिजनेसमैन आनंद महिंद्रा ने लिखा कि सोनम आपको सलाम। आपका काम ऊर्जावान है। वहीं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी सोनम की सराहना करते हुए कहा कि ये देशभक्ती है, ये है देश प्रेम, सोनम की जिद्द और समर्पण को उद्धव ने सलाम भी किया।

अपने नए नए इनोवेशन के लिए जाने जाते हैं सोनम

वैज्ञानिक सोनम वांगचुक लगातार इनोवेशन पर काम करते रहते हैं। उन्हें उनके आइस स्तूप के लिए भी जाना जाता है। उनके इस आविष्कार को लद्दाख में सबसे कारगर माना जाता है। स्‍टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्‍चरल मूवमेंट्स ऑफ लद्दाख का केंद्र बिंदु है। लद्दाख में शिक्षा के क्षेत्र में परिवर्तन लाने के लिए भी वांगचुक जाने जाते है। सोनम वांगचुक का सोलर हीटेड मिलिट्री टेंट यह आविष्कार सेना के लिए क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है।