Thecsrjournal App Store
Thecsrjournal Google Play Store
June 3, 2025

बांग्लादेश की करेंसी से शेख हसीना के पिता ‘गायब’, हसीना पर शुरू हुआ ट्रायल

Bangladesh Sheikh Hasina: बांग्लादेश में चल रही राजनीतिक उठापटक के बीच अब नए करेंसी नोटों पर शेख हसीना के पिता, पूर्व प्रधानमंत्री और संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान की तस्वीर नहीं होगी। इसकी जगह हिंदू और बौद्ध मंदिरों की तस्वीरों को करेंसी नोटों पर छापने का फैसला लिया गया है।

राजनीतिक उठापटक के बीच बांग्लादेश की करेंसी में बदलाव

Bangladesh Sheikh Hasina: बांग्लादेश ने रविवार यानी 1 जून से नए बैंक नोट जारी करना शुरू कर दिया है। नए करेंसी नोटों पर अब पूर्व प्रधानमंत्री और संस्थापक पिता शेख मुजीबुर रहमान की तस्वीर नहीं होगी। इसकी जगह हिंदू और बौद्ध मंदिरों की तस्वीरों को ज्यादा तरजीह दी गई है। शेख मुजीबुर रहमान शेख हसीना के पिता हैं। हालांकि, शेख हसीना के सत्ता से बाहर होने और देश में राजनीतिक संकट के बाद बांग्लादेश बैंक ने पिछले साल घोषणा की थी कि वे नए नोट जारी करने की दिशा में काम करेंगे। बांग्लादेश बैंक प्रवक्ता आरिफ हुसैन खान ने कहा, ‘नई करेंसी बांग्लादेश के प्राकृतिक परिदृश्य और ऐतिहासिक स्थलों को दिखाने पर ज्यादा केंद्रित होगी।’ खान ने आगे कहा कि नई सीरीज और डिजाइन के तहत नोटों में कोई भी इंसानी फोटो नहीं होगी। नोटों में हिंदू, बौद्ध मंदिरों, स्वर्गीय जैनुल आबेदीन की कलाकृति और राष्ट्रीय शहीद स्मारक की तस्वीरें शामिल होंगी, जो 1971 के मुक्ति युद्ध के दौरान मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देती हैं।’ खान ने कहा, ‘नए नोट Central Bank के हेडक्वार्टर से जारी किए जाएंगे और बाद में देश भर में इसके अन्य ऑफिस से भी जारी किए जाएंगे। नए डिजाइन वाले अलग-अलग कीमत के नोट चरणों में जारी किए जाएंगे।’

शेख हसीना पर बांग्लादेश में ट्रायल शुरू

Bangladesh Sheikh Hasina: बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना पर मानवता के ख़िलाफ़ अपराध के आरोप लगे हैं। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर रविवार को औपचारिक रूप से मानवता के खिलाफ अपराध का आरोप लगाया गया है। यह आरोप पिछले साल जुलाई-अगस्त 2024 में हुए छात्र-नेतृत्व वाले हिंसक विरोध प्रदर्शनों की सरकारी जांच के बाद लगाया गया है। उन प्रदर्शनों में सैकड़ों लोग मारे गए थे। 5 अगस्त 2024 को देश छोड़कर भारत में शरण ले चुकी शेख हसीना पर इन प्रदर्शनों को दबाने के लिए जानबूझकर बल प्रयोग करने का आरोप है।
Bangladesh Sheikh Hasina: 2024 में बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में कोटा प्रणाली के ख़िलाफ़ शुरू हुआ छात्र आंदोलन धीरे-धीरे शेख हसीना की 15 साल की सत्तावादी सरकार के ख़िलाफ़ व्यापक जन-आंदोलन में बदल गया था। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार इन विरोध प्रदर्शनों के दौरान कम से कम 1,400 लोग मारे गए और हजारों घायल हुए। प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि शेख हसीना की अवामी लीग सरकार ने असहमति को दबाने के लिए पुलिस और अर्धसैनिक बलों का इस्तेमाल किया। इसमें घातक हथियारों का भी इस्तेमाल किया गया था। 5 अगस्त 2024 को जैसे ही प्रदर्शनकारी ढाका में हसीना के आधिकारिक निवास गणभवन की ओर बढ़े, उन्होंने इस्तीफा दे दिया और अपनी बहन शेख रेहाना के साथ हेलीकॉप्टर से भारत भाग गईं। इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने गणभवन में तोड़फोड़ की और कई सरकारी इमारतों को नुकसान पहुंचाया।

शेख हसीना पर षड्यंत्र रचने का आरोप

Bangladesh Sheikh Hasina: बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण में मुख्य अभियोजक ताजुल इस्लाम ने कहा कि शेख हसीना ने व्यक्तिगत रूप से सुरक्षा बलों और अपनी पार्टी के समर्थकों को प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ बलपूर्वक कार्रवाई करने का आदेश दिया था। दावा किया गया कि यह हिंसा सहज नहीं थी, बल्कि योजनाबद्ध और समन्वित थी। इसके अलावा हसीना पर अपनी सरकार के दौरान ‘जबरन गायब करने’ के सिस्टम को चलाने का भी आरोप है। कहा जाता है कि उनके शासनकाल में 800 से अधिक गुप्त जेलें थीं, जहां राजनीतिक विरोधियों को हिरासत में रखा जाता था, यातनाएं दी जाती थीं और कुछ मामलों में उनकी हत्या भी कर दी गई। संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यालय ने अपनी फरवरी 2025 की रिपोर्ट में इन गंभीर मानवाधिकार उल्लंघनों को मानवता के ख़िलाफ़ अपराध के रूप में मानने की संभावना जताई थी।

शेख हसीना समेत 45 पर मामले दर्ज

Bangladesh Sheikh Hasina: बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने हसीना और उनके 11 पूर्व मंत्री सहित 45 सहयोगियों के ख़िलाफ़ दो मामले दर्ज किए हैं। इसके अलावा, ढाका की एक अदालत ने हसीना, उनकी बहन शेख रेहाना, उनके बेटे साजिब वाजेद जॉय, बेटी सायमा वाजेद पुतुल और अन्य परिवारजनों की संपत्तियों को जब्त करने और 124 बैंक खातों को फ्रीज करने का आदेश दिया है। बांग्लादेश सरकार ने इंटरपोल से हसीना और 12 अन्य लोगों के ख़िलाफ़ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने का अनुरोध किया है। मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने भारत से हसीना को प्रत्यर्पित करने के लिए औपचारिक पत्र भेजे हैं, लेकिन भारत की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक जवाब नहीं मिला है। यूनुस ने कहा है कि हसीना को बांग्लादेश में या उनकी अनुपस्थिति में मुक़दमे का सामना करना होगा।
शेख हसीना ने भारत से सोशल मीडिया और अन्य मंचों के ज़रिए बयान दिए हैं, जिन्हें बांग्लादेश सरकार ने झूठा और भड़काऊ करार दिया है। दिसंबर 2024 में हसीना ने एक सार्वजनिक बयान में कहा, ‘मुझ पर नरसंहार का आरोप लगाया जा रहा है, लेकिन असल में यूनुस और छात्र नेताओं ने सोच-समझकर नरसंहार किया।’

बांग्लादेश ने भारत सरकार से की कार्यवाही की अपील

Bangladesh Sheikh Hasina: बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने भारत से हसीना के इन बयानों को रोकने के लिए क़दम उठाने का आग्रह किया है। इसके साथ ही यूनुस सरकार ने अवामी लीग को आतंकवाद विरोधी क़ानून के तहत प्रतिबंधित कर दिया है, और यह प्रतिबंध तब तक लागू रहेगा जब तक हसीना और उनके नेताओं के ख़िलाफ़ मुक़दमे पूरे नहीं हो जाते। अवामी लीग के कई वरिष्ठ नेता या तो गिरफ्तार किए गए हैं या देश छोड़कर भाग गए हैं। इन घटनाओं ने बांग्लादेश के राजनीतिक माहौल को बदल दिया है। छात्रों के नेतृत्व में बनी नई राजनीतिक पार्टी National Citizen Party और अन्य समूह अब देश के भविष्य को आकार देने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। हालांकि देश में अपराध की लहर बढ़ रही है और पुलिस पर लोगों का भरोसा कम हुआ है।

शेख हसीना को लेकर भारत सरकार दुविधा में

 हसीना के मामले में भारत एक मुश्किल स्थिति में है। कई बांग्लादेशी मानते हैं कि भारत ने हसीना की सत्ता में वापसी में मदद की थी और उनके शासनकाल में भ्रष्टाचार और मानवाधिकार उल्लंघनों पर आंखें मूंद ली थीं। भारत ने इस मामले को द्विपक्षीय बताते हुए अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप को खारिज किया है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत हसीना के ख़िलाफ़ बढ़ते विरोध से अवगत था, लेकिन हस्तक्षेप नहीं कर सका। शेख हसीना पर लगे मानवता के ख़िलाफ़ अपराध के आरोप बांग्लादेश के इतिहास में एक अहम मोड़ हैं। यह मामला न केवल उनकी 15 साल की सत्ता के दौरान हुए मानवाधिकार उल्लंघनों को उजागर करता है, बल्कि बांग्लादेश के भविष्य और भारत-बांग्लादेश संबंधों पर भी गहरा प्रभाव डाल सकता है। अंतरिम सरकार के सामने चुनौती है कि वह निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से न्याय सुनिश्चित करे, ताकि देश में स्थिरता और लोकतंत्र बहाल हो सके।

Latest News

Popular Videos