शरद पूर्णिमा, जिसे कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है, हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। यह पर्व विशेष रूप से धन, स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।शरद पूर्णिमा आश्विन माह की पूर्णिमा को मनाई जाती हैं इस दिन चंद्रमा पूर्ण रूप से दिखाई देता है। इसे कृष्णा और राधा के प्रेम, चंद्रमा की पूजन और औषधीय खीर रखने का दिन माना जाता है।
शरद पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है?
शास्त्रों में कहा गया है कि इस रात चंद्रमा देवता अपनी किरणों से धरती पर स्वास्थ्यवर्धक और औषधीय गुण फैलाते हैं। खीर (चावल और दूध) को चांदनी में रखने से वह अमृत के समान बन जाती है और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी मानी जाती है।माना जाता है कि इसी रात राधा और कृष्ण की रासलीला हुई थी।मां लक्ष्मी की पूजा और दान पुण्य करने से सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
किसकी पूजा होती है?
मुख्य रूप से भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी और चंद्रमा देवता की पूजा की जाती है।कुछ स्थानों पर कृष्ण भगवान और राधा की आराधना भी होती है।पूजा का उद्देश्य धन, स्वास्थ्य और समृद्धि प्राप्त करना होता है।
शरद पूर्णिमा 2025 की तिथियां और शुभ मुहूर्त
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पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 6 अक्टूबर 2025, दोपहर 12:23 बजे
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पूर्णिमा तिथि समाप्ति: 7 अक्टूबर 2025, सुबह 9:16 बजे
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चंद्रमा उदय (Moonrise): 6 अक्टूबर 2025, शाम 5:27 बजे
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भद्रा काल: 6 अक्टूबर 2025, दोपहर 12:23 बजे से रात 10:53 बजे तक
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खीर रखने का शुभ समय: रात 10:54 बजे से सुबह सूर्योदय तक
शरद पूर्णिमा की पूजा और विधि
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ब्रह्म मुहूर्त (लगभग 4:39 AM से 5:28 AM) में पवित्र जल से स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
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लाल कपड़े पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें।
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“ॐ श्रीं ह्लीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद” मंत्र का 108 बार जाप करें।
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चांद को दूध, जल, चावल और सफेद फूल अर्पित करें।

