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April 26, 2025

शांतनु नायडू का ‘मुंबई बुकीज़् क्लब’ बच्चों में जगाएगा पढ़ने की रूचि

Shantanu Naidu Ratan Tata: रतन टाटा के क़रीबी दोस्त शांतनु नायडू LinkedIn पर काफी एक्टिव रहते हैं। वह समय-समय पर दिल को छू लेने वाली पोस्ट शेयर करते रहते हैं। कुछ दिनों पहले उन्होंने एक ऐसी ही पोस्ट शेयर की है जो काफी वायरल हो गई। इसमें शांतनु चप्पलों में जमीन पर बैठे हैं और बच्चों के बीच नजर आ रहे हैं।
Shantanu Naidu-नाम तो सुना ही होगा! वही शांतनु, जो महान उद्योगपति रतन टाटा के युवा दोस्त थे, या यूं कहें कि अभी भी हैं। रतन टाटा के जाने के बाद शांतनु अभी भी दोस्ती निभा रहे हैं। उनमें कई बार रतन टाटा का अक्स नजर आ जाता है। शांतनु हाल ही में एक कार्यक्रम में शामिल हुए। वहां वह बच्चों के बीच नजर आए। उस समय उनके अंदर कॉर्पोरेट का ‘क’ तक नहीं था। थी तो बस चेहरे पर मुस्कुराहट, पैरों में चप्पल, जमीन पर बैठना और रतन टाटा जैसी सादगी! शांतनु अपने जीवन से जुड़े कई अपडेट्स LinkedIn पर शेयर करते रहते हैं। उन्होंने ऐसी ही एक पोस्ट लिंक्डइन पर शेयर की है, जिसे काफी सराहा जा रहा है।

किताबें होती हैं सच्ची साथी

Shantanu Naidu-शांतनु हाल ही में एक एनजीओ की ओर से आयोजित बच्चों के एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे। यह एनजीओ लोगों को बच्चों के साथ एक दिन गुजारने का मौका देता है। इसमें बच्चे किताबें पढ़ते हैं और अपने-अपने अनुभव शेयर करते हैं। यह एनजीओ बच्चों की पढ़ाई-लिखाई से जुड़ा है। बता दें कि Shantanu भी बच्चों की एजुकेशन के लिए काफी एक्टिव रहते हैं। वह टाटा ग्रुप में अहम जिम्मेदारी निभाने के साथ-साथ ‘Mumbai Bookies’ के फाउंडर भी हैं। यह एक रीडर क्लब है। इसमें लोग हर वीकेंड सुबह 8 बजे से 10 बजे तक दो घंटे के लिए किताबें पढ़ने के लिए एक जगह इकट्ठा होते हैं। शांतनु ने बच्चों के साथ गुजारे लम्हे को लिंक्डइन पर शेयर किया है। उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा है कि बच्चों के लिए कोई रोक-टोक नहीं होनी चाहिए। ‘किताबें लिखने वालों ने बच्चों को फिर से पढ़ने के लिए उत्साहित करने का एक तरीका सीखा है। वो ये है कि सारे बंधन हटा दो। कोई रोक-टोक नहीं होनी चाहिए। बच्चों को किताबें दो। उनके लिए लाइब्रेरी बनाओ। उन्हें जादुई दुनिया की बातें बताओ। किताबों की दुकानों में उनका हाथ पकड़कर उन्हें अच्छी किताबें चुनने में मदद करो।’ रतन टाटा के पूर्व सहयोगी शांतनु नायडू ने सार्वजनिक स्थानों पर किताबें पढ़ने को प्रोत्साहित करने के लिए ‘Mumbai Bookies’ नामक एक बुक क्लब लॉन्च किया है। यह पहल मुंबई में शुरू हुई और पुणे, बेंगलुरु और जयपुर सहित अन्य शहरों में फैल गई। नायडू का लक्ष्य पढ़ने की आदत को पुनर्जीवित करना और सोशल मीडिया के कारण ध्यान अवधि में गिरावट का मुकाबला करना है। बुकीज़ आंदोलन का उद्देश्य सार्वजनिक जगहों में पढ़ने के मूक कार्य का आनंद लेने के लिए लोगों को एक साथ लाना है।

Shantanu Naidu को कहां से मिली प्रेरणा

Shantanu Naidu के पढ़ने के जुनून और डिजिटल युग में पढ़ने को लेकर अरुचि ने ‘Mumbai Bookies’ का निर्माण किया। यह पहल मुंबई में शुरू हुई और तब से अन्य शहरों में फैल गई है, जिससे पढ़ने के आसपास समुदाय की भावना को बढ़ावा मिला है। Bookies Session में पार्क या कैफ़े जैसे सार्वजनिक स्थानों पर इकट्ठा होना शामिल है, जहां लोग एक साथ बैठकर शांति से पढ़ते हैं। पुस्तकों के भीतर कहानियों और विचारों को पढ़ने और उनसे जुड़ने के मूक कार्य पर ज़ोर दिया जाता है। नायडू के लिंक्डइन पोस्ट्स Mumbai Bookies के सामुदायिक पहलू को उजागर करती हैं, जिसमें लोग अपने अनुभव साझा करते हैं और अन्य पाठकों से जुड़ते हैं। जबकि नायडू का प्राथमिक ध्यान पढ़ने के प्रति  प्यार को पुनर्जीवित करने पर है, उन्होंने हिंदी जैसी स्थानीय भाषाओं में किताबें उपलब्ध कराने में भी रुचि व्यक्त की है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि विविध पृष्ठभूमि के बच्चे साहित्य तक पहुंच सकें और इसका आनंद ले सकें। Mumbai Bookies अन्य शहरों में विस्तार कर रहा है और इसे पुणे, बेंगलुरु और जयपुर में हाल ही में लॉन्च किया गया है।

Shantanu और Ratan Tata की अनोखी दोस्ती

Shantanu Naidu: 32 साल के शांतनु नायडू दिवंगत रतन टाटा के काफी करीबी रहे हैं। स्वभाव से काफी शांत नजर आने वाले शांतनु और रतन टाटा की दोस्ती काफी गहरी रही है। दुबले-पतले शांतनु रतन टाटा के असिस्टेंट रहे हैं। रतन टाटा शांतनु के साथ काफी समय गुजारते थे। हालांकि इनका रतन टाटा के परिवार के कोई संबंध नहीं है। शांतनु Tata Trust के डिप्टी जनरल मैनेजर के रूप में काम करते थे। शांतनु रतन टाटा को स्टार्टअप्स में निवेश के लिए कई टिप्स देते थे। रतन टाटा ने शांतनु को खुद फोन करके पूछा था कि, ‘मेरे असिस्टेंट बनोगे?’ इसके बाद वह साल 2022 में रतन टाटा के ऑफिस में GM बन गए। रतन टाटा के गुजरने के बाद भी शांतनु टाटा ग्रुप में बने हुए हैं। उन्हें इस ग्रुप में अहम जिम्मेदारी मिली हुई है। शांतनु की लिंक्डइन प्रोफाइल के मुताबिक वह टाटा मोटर्स में जनरल मैनेजर और Strategic Initiatives के हेड हैं। इसके अलावा शांतनु टाटा स्मॉल एनिमल हॉस्पिटल (मुंबई) में बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में भी शामिल हैं। इस अस्पताल को रतन टाटा ने जानवरों की देखभाल के लिए शुरू किया था। शांतनु को भी रतन टाटा की तरह जानवरों से लगाव है। साथ ही वह गुडफेलोज इंडिया और Mumbai Bookies के फाउंडर भी हैं।
शांतनु को रतन टाटा की वसीयत में भी हिस्सेदारी मिली है। वसीयत के मुताबिक रतन टाटा ने शांतनु को कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में MBA की पढ़ाई के लिए दिया गया 1 करोड़ रुपये का लोन माफ कर दिया है। साथ ही उन्हें गुडफेलोज स्टार्टअप में भी टाटा की हिस्सेदारी मिली है। यह स्टार्टअप बुजुर्गों की सेवाओं से जुड़ा काम करता है। रतन टाटा का 9 अक्टूबर 2024 को 86 साल की उम्र में निधन हो गया था। वह साल 1990 से 2012 तक टाटा ग्रुप के चेयरमैन रहे थे।

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