बिहार में Voter Adhikar Yatra के दौरान राहुल गांधी का नया लुक—कंधे पर Gamchha, पैरों में Chappal और सड़कों पर पैदल चलना—काफी चर्चा का विषय बना हुआ है। लोग पूछ रहे हैं कि क्या यह महज़ Political Stunt है या राहुल सच में बिहार की संस्कृति से जुड़ रहे हैं।
यात्रा का सफर और महत्व
Sasaram से शुरू हुई यह 16 दिन की यात्रा करीब 1300 Kilometer लंबी है और 20 से अधिक जिलों से होकर गुज़रेगी। 1 सितंबर को Patna Rally के साथ इसका समापन होगा। यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने कहा कि बिहार में उन्हें सबसे ज्यादा राजनीतिक आनंद मिल रहा है क्योंकि यहां के लोग राजनीति के मामले में समझदार हैं।
जनता से सीधा जुड़ाव
सीमांचल में राहुल गांधी ने Makhana Farmers के साथ बैठकर खेती पर चर्चा की, वहीं Sitamadhi में Maa Janki Mandir में पूजा-अर्चना भी की। इस दौरान वे लगातार गांवों में आम जनता से जुड़ने और Stakeholder Interaction की कोशिश कर रहे हैं।
SIR विवाद और ‘Voter Chori’ का मुद्दा
यात्रा की पृष्ठभूमि में Special Intensive Revision (SIR) प्रक्रिया है, जिसमें Election Commission ने करीब 65 लाख नाम वोटर लिस्ट से हटाए हैं। राहुल ने इसे Voter Chori बताया और कहा कि इससे दलित, पिछड़े, अल्पसंख्यक और गरीब तबका सबसे अधिक प्रभावित होगा।
BJP-Nitish सरकार पर सीधा हमला
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि वोट चोरी के जरिए गरीबों के अधिकार छीने जा रहे हैं। उनका कहना है कि अगर वोट ही नहीं रहा तो लोगों का Ration Card, Aadhar और Land Rights भी छिन जाएगा। यह यात्रा भाजपा-नीतीश सरकार की नीतियों के खिलाफ बड़ा Political Mobilization बन रही है।
INDIA गठबंधन की एकजुटता
इस यात्रा में Tejashwi Yadav, Priyanka Gandhi, Revanth Reddy समेत कई बड़े नेता शामिल हुए। तेजस्वी ने राहुल को ‘Bade Bhai’ कहकर गठबंधन की मजबूती दिखा दी। राहुल ने यात्रा में बेरोजगारी, महंगाई और बिजली बिल जैसे मुद्दों पर जोर दिया।
महिलाओं और युवाओं की भागीदारी
सुपौल से सीतामढ़ी तक की रैलियों में बड़ी संख्या में महिलाएं और युवा शामिल हुए। प्रियंका गांधी की एंट्री ने इस यात्रा को और Momentum दिया। इससे साफ है कि राहुल गांधी का Bihari Connect जनता तक पहुंच रहा है।
सांस्कृतिक रणनीति और बिहारी जुड़ाव
Gamchha को श्रम और संघर्ष का प्रतीक माना जाता है और Chappal सादगी का। राहुल गांधी इन प्रतीकों के जरिए खुद को आम बिहारी संस्कृति से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। मंदिरों में पूजा और गांवों में पैदल चलना भी इसी रणनीति का हिस्सा है।
कांग्रेस का चुनावी दांव
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, यह यात्रा सिर्फ संस्कृति नहीं बल्कि 2025 के अंत में संभावित Bihar Assembly Elections की तैयारी है। अगर यह यात्रा सफल रही तो कांग्रेस बिहार में मजबूत होकर उभरेगी। लेकिन असली परीक्षा यही होगी कि क्या राहुल का यह अवतार सच में वोटों में तब्दील हो पाएगा।