पुष्य नक्षत्र को वैदिक ज्योतिष में नक्षत्रों का राजा कहा जाता है। यह 27 नक्षत्रों में आठवां नक्षत्र है और इसे सौ दोषों को दूर करने वाला अत्यंत शुभ नक्षत्र माना गया है। इसका प्रतीक “गाय का थन” है, जो पालन-पोषण, समृद्धि और उन्नति का प्रतीक है।“पुष्य” का शाब्दिक अर्थ है “पोषण करने वाला”। यह नक्षत्र जीवन में सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य और ऊर्जा का पोषण करता है। इसे आध्यात्मिक उन्नति और आर्थिक स्थिरता के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
पुष्य नक्षत्र 2025 की तिथि और समय:
प्रारंभ: 14 अक्टूबर 2025, मंगलवार, दोपहर 3:42 बजे
समाप्ति: 15 अक्टूबर 2025, बुधवार, दोपहर 3:19 बजे
पौराणिक महत्व और कहानी:
ज्योतिष के अनुसार, पुष्य नक्षत्र में गुरु बृहस्पति और शनि का संयोजन जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाता है। यह नक्षत्र देवी-देवताओं की कृपा और आशीर्वाद का समय है। पुराणों के अनुसार, भगवान कृष्ण ने अपने भक्तों को शुभ कार्यों के लिए इस नक्षत्र के दिन की सलाह दी थी।
क्यों खास है पुष्य नक्षत्र?
इसे नक्षत्रों का सम्राट कहा जाता है क्योंकि इसका शुभ प्रभाव अन्य नक्षत्रों की तुलना में अधिक माना गया है। इस दिन किए गए कार्यों में बाधाएं कम होती हैं और सफलता की संभावना अधिक रहती है।इस नक्षत्र में किए गए प्रयास लंबे समय तक फलदायक होते हैं। धन, सफलता, स्वास्थ्य और आध्यात्मिक उन्नति में वृद्धि होती है। दान, सेवा और पूजा के कार्य जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं।
इस दिन किए जाने वाले शुभ कार्य और लाभ
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नए व्यवसाय, निवेश या परियोजना की शुरुआत करना अत्यंत लाभकारी है।
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पूजा, हवन, दान, लक्ष्मी पूजा, मंत्र जाप और यज्ञ से मानसिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक उन्नति होती है।
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बच्चों के लिए सुवर्णप्रशन (सोने की धातु, घी और शहद का मिश्रण) करना लाभकारी है। इससे स्मरण शक्ति, बुद्धि और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
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नए लक्ष्य निर्धारित करना, शिक्षा या प्रशिक्षण की शुरुआत, योग या ध्यान जैसी साधना करना लाभकारी रहता है।
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पारिवारिक संबंधों में प्रेम और सामंजस्य बढ़ते हैं, मन की शांति मिलती है और आपसी मतभेद कम होते हैं।
विशेष टिप्स:
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इस दिन दान और सेवा कार्य अवश्य करें।
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नए प्रोजेक्ट, निवेश या व्यवसाय की शुरुआत करें।
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ध्यान, मंत्र जाप और पूजा-पाठ में समय दें।
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बच्चों के लिए सुवर्णप्रशन करें।