महाराष्ट्र की राजनीति में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बीच बढ़ती दूरी की अटकलें तेज हो गई हैं। हाल ही में नासिक में होने वाले कुंभ मेले की तैयारियों को लेकर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मुंबई में एक समीक्षा बैठक बुलाई थी। इस बैठक में उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को भी आमंत्रित किया गया था, लेकिन वे उपस्थित नहीं हुए। इसके बजाय, उन्होंने मलंगगढ़ में एक कार्यक्रम में भाग लेना उचित समझा। दो दिन बाद, एकनाथ शिंदे खुद नासिक जाकर कुंभ मेले की तैयारियों का जायजा लेने वाले हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री द्वारा आयोजित बैठक में शामिल होने की बजाय खुद वहां बैठक आयोजित करने का निर्णय लिया और इसके साथ ही मेला प्रभारी मंत्री जो बीजेपी से आते हैं, गिरीश महाजन उनको बुलाया ही नहीं। इससे यह सवाल उठ रहा है कि क्या महायुति सरकार के दो शीर्ष नेताओं के बीच समन्वय की कमी है? क्या दोनों के बीच दूरियां लगातार बढ़ रही हैं? क्या समांतर सरकार चला रहे हैं एकनाथ शिंदे। Parallel Government by Eknath Shinde Devendra Fadnavis Government
क्या समांतर सरकार चलाने की हो रही है कोशिश?
महाराष्ट्र में फिलहाल महायुति सरकार सत्ता में है, लेकिन मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के बीच मतभेदों की खबरें लगातार सामने आ रही हैं। नगर विकास मंत्री होने के नाते, एकनाथ शिंदे का कुंभ मेले की तैयारियों की समीक्षा बैठक में रहना स्वाभाविक था, क्योंकि इसमें नगर निगम के अधिकारी भी शामिल थे। बावजूद इसके, वे बैठक में नहीं पहुंचे। अब जब वे खुद नासिक जाकर तैयारियों का जायजा लेने वाले हैं, तो इसे लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तेज हो गई हैं। Eknath Shinde Devendra Fadnavis News
Eknath Shinde Devendra Fadnavis में जिला प्रभारी मंत्री पद को लेकर भी विवाद जारी
नासिक और रायगढ़ जिलों के पालकमंत्री पद को लेकर अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं हो सका है। शिवसेना और भाजपा, दोनों ही इन पदों के लिए अपने-अपने नेताओं को नियुक्त करने पर अड़ी हुई हैं। ऐसे में, मुख्यमंत्री द्वारा बुलाई गई बैठक से एकनाथ शिंदे की दूरी और खुद जाकर बैठक करने के फैसले को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, पिछले 100 दिनों में मुख्यमंत्री द्वारा बुलाई गई कई महत्वपूर्ण बैठकों में भी एकनाथ शिंदे गैरहाजिर रहे हैं। ऐसे में यह चर्चा जोरों पर है कि क्या वे सरकार से किसी बात को लेकर नाराज हैं? उनकी अनुपस्थिति को लेकर भाजपा के भीतर भी सवाल उठ रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आगामी दिनों में महाराष्ट्र की राजनीति में इस मुद्दे को लेकर और हलचल देखने को मिल सकती है।