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Mumbai की सफल फोटोग्राफर और फिल्ममेकर पद्मजा की कहानी जयपुर में

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padmaja rajasthan
padmaja rajasthan
 
Mumbai की Padmaja ने 24 की उम्र में अपने Rebirth की कहानी जयपुर के Jawahar Kala Kendra में सुनाई। Rajasthan जयपुर में Padmaja की आत्मकथा ‘मैं कोई और’ ( Main Koi Aur) के लोकार्पण के मौके पर Padmaja ने अपनी अनोखी जीवनयात्रा सबके सामने पेश की। जयपुर के Jawahar Kala Kendra के Krishnayan में उनकी पुस्तक का विमोचन हुआ।

Padmaja की संघर्ष भरी कहानी

मुंबई की 31 वर्षीय सफल Photographer और Filmmaker Padmaja की ज़िंदगी मुश्किलों से भरी रही है। महज़ 24 की उम्र में उनके दिमाग को एक Rare Candida Fungal Infection ने जकड़ लिया। इस Fungal Infection की शुरुआत असहनीय सिरदर्द से हुई, जिसपर कोई दवा, कोई इलाज काम नहीं कर पा रहा था। कई सारे Tests और जांच के बाद Brain Abscesses का पता चल चलते ही तुरंत Surgery के अलावा और कोई रास्ता नहीं था। महज़ 6 माह के अंतराल में Padmaja को 6 Surgeries से गुजरना पड़ा। हर एक Surgery ने हर बार Padmaja से उनकी एक-एक मानसिक और शारीरिक Ability छीन ली, जैसे चलना, बोलना, खाना, और 4 भाषाओं पर उनकी पकड़ भी! आखिरी Surgery के बाद Padmaja बिल्कुल एक कोरे कागज की तरह हो गईं।

24 की उम्र में लड़खड़ाकर फिर चलना सीखा

5-5 Surgeries के बाद Padmaja के Brain से बीमारी तो निकली ही, पर जाते-जाते अपने साथ Padmaja की पहचान भी ले गई। Padmaja सब कुछ भूल चुकी थीं। भूल चुकी थीं कि चलना क्या होता है, और पेपर पर खिंची काली लकीरों का क्या मतलब होता है! अब उन्हे खुद को किसी नवजात बच्चे की तरह ज़ीरो से सब कुछ शुरू करना था। पहला कदम, पहले शब्द, पहला निवाला, सब कुछ! उनके पिता ने उनकी उंगली थामी और फिर एक बार अपनी बच्ची को चलना सिखाया, अपने हाथों से निवाले खिलाए और पढ़ना लिखना सिखाया। एक साल की छुट्टी लेकर पद्मजा के पिता ने अपनी 24 साल की बच्ची को ABC से शुरुआत करना सिखाया। पिता और दोस्तों की मदद से पद्मजा की ज़िंदगी फिर ढर्रे पर आ गई।

तन और मन टूटे, पर नहीं टूटा हौसला

बीमारी ने Padmaja के तन और मन को तो तोड़ दिया, लेकिन उनके हौसले को नहीं तोड़ पाई। पद्मजा ने टूटकर फिर जुडने की अपनी कहानी को एक किताब की शक्ल दी, जिसमें न केवल उनके संघर्ष की कहानी है, बल्कि फिर खड़े होकर दुनिया के सामने एक मिसाल बनने का जज्बा भी है। 7 साल बाद, आज पद्मजा ने अपना Passion, Photography को फिर अपना काम बना लिया है। वे मुंबई पर एक फिल्म भी बना रही हैं। Padmaja की ‘मैं कोई और’ महज़ उनके Medical Survival की कहानी नहीं है, बल्कि उनके प्रेरणात्मक साहसिक जिजीविषा की भी कहानी है, जो विपरीत परिस्थितियों से लड़ रहे हर इंसान को हौसला देती है, कि ‘ ठहरो, ज़िंदगी अभी बाकी है।’