ऑनलाइन गेमिंग सिर्फ मनोरंजन का जरिया नहीं रह गया है, बल्कि ठगों के लिए कमाई का बड़ा माध्यम बन गया है। गेम के अंदर इन-गेम खरीदारी, फेक टूर्नामेंट और लालच भरे ऑफर्स के जरिए पैसों और पहचान की चोरी हो रही है। कभी-कभी इसका मानसिक असर इतना गंभीर होता है कि पीड़ित आत्महत्या जैसे कदम तक उठा लेते हैं। हालिया मामलों में किशोरों को निशाना बनाकर लाखों रुपये ठगने और गंभीर परिणामों की खबरें सामने आई हैं।
अभिनेता अक्षय कुमार ने हाल ही में खुलासा किया कि उनकी 13 साल की बेटी नितारा ऑनलाइन गेम खेलते समय एक अनजान व्यक्ति के निशाने पर आ गई। उस शख्स ने नितारा से अश्लील तस्वीरें मांगीं, लेकिन उसने तुरंत अपनी मां को सूचित किया और सुरक्षित रही। हर बच्चा इतनी समझदारी नहीं दिखा पाता, यही सबसे बड़ी चिंता है।
NCRB के आंकड़े बताते हैं गंभीर स्थिति
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) यानी भारत सरकार की वह एजेंसी जो देशभर के अपराधों का डेटा इकट्ठा करती है ,की रिपोर्ट के अनुसार 2023 में बच्चों के खिलाफ दर्ज मामलों की संख्या 1,77,335 थी, जो पिछले साल की तुलना में 9.2% अधिक है। साइबर अपराधों में तेजी से वृद्धि हुई है, और छोटे बच्चों को गेम, सोशल मीडिया और ऐप्स के जरिए निशाना बनाया जा रहा है।
गंभीर नतीजे
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक छात्र ऑनलाइन गेमिंग फ्रॉड का शिकार हुआ। उसने अपने पिता के बैंक अकाउंट से लाखों रुपये ट्रांसफर कर दिए। परिवार को जब यह पता चला, तो तनाव और डर में बच्चा आत्महत्या कर बैठा। यह दिखाता है कि ऑनलाइन गेमिंग सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि बच्चों के लिए गंभीर खतरा बन गया है।
ठग किस तरह काम करते है।
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लक्ष्य चुनना: नए या उत्साही खिलाड़ी जिनके पास क्रेडिट कार्ड या इन-गेम वेल्थ होती है।
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संपर्क करना: फ्रेंड रिक्वेस्ट, निजी मैसेज या फेक ऑफर भेजा जाता है।
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भरोसा बनाना: नकली रिव्यू, स्क्रीनशॉट या साझेदारी का ढोंग कर भरोसा बनाया जाता है।
कुंजी मांगना / लिंक भेजना: लॉगिन लिंक, OTP या पेमेंट जानकारी मांगी जाती है, जिससे अकाउंट पर कब्जा या पैसे चोरी हो जाते हैं।
पहचानने के संकेत
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अकाउंट से बिना अनुमति के आइटम/पैसे गायब होना
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अजीब-सी फ्रेंड रिक्वेस्ट या बार-बार नया प्रोफाइल बनाकर संपर्क करना
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गेम में धमकी या परेशान करने वाले संदेश
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लॉगिन स्वतः लॉगआउट होना या पासवर्ड काम न करना
बचाव के उपाय
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मजबूत, अलग पासवर्ड रखें और हर सर्विस पर पासवर्ड रिपीट न करें।
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दो-चरणीय प्रमाणीकरण (2FA) चालू रखें।
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OTP / पासवर्ड किसी को न बताएं।
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पेरेंटल कंट्रोल और खर्चीली खरीदारी पर पाबंदी रखें।संदिग्ध लिंक/फाइल न खोलें और अनजान सॉफ़्टवेयर इंस्टॉल न करें।
माता-पिता के लिए जरूरी कदम
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बच्चों को इंटरनेट और गेमिंग के फायदे-नुकसान समझाएं।
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पैरेंटल कंट्रोल सेट करें और अनुचित कंटेंट या इन-गेम खरीदारी पर रोक लगाएं।
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मोबाइल और गेमिंग डिवाइस निगरानी में रखें।
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बच्चों को अनजान लोगों से चैट या लिंक न खोलने की सलाह दें।
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सोशल मीडिया अकाउंट्स पर नजर रखें और सिर्फ असली जान-पहचान वाले लोगों से जुड़ने दें।
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किसी घटना की स्थिति में स्क्रीनशॉट, चैट और लिंक सुरक्षित करके तुरंत पुलिस या राष्ट्रीय साइबर अपराध पोर्टल पर रिपोर्ट करें।