11-15 नवंबर 2018 तक भुबनेश्वर में मेक इन ओडिशा कॉन्क्लेव के दरमियान इन्वेर्स्टर्स को लुभाने के लिए मुंबई में एक रोड शो का आयोजन किया गया, इस रोड शो की अगुवाई खुद ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक कर रहे थे। सरकार ने यह रोड शो अपने इंडस्ट्रीज़ पार्टनर फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीडज़ के सहयोग से आयोजित किया। इस रोड शो के दौरान भारतीय उद्योग जगत की कई प्रमुख हस्तियों ने मुख्यरमंत्री से मुलाकात की । मुकेश अंबानी, आनंद महिंद्रा, कुमार मंगलम बिड़ला, आदि गोदरेज, गौतम सिंघानिया, किशोर बियानी, जैसे लगभग 300 उद्योगपतियों के साथ सीएम नवीन पटनायक ने मैराथन बैठक की और सभी को ओडिशा में निवेश करने के लिए आमंत्रित किया।
ओडिशा सरकार ने फूड प्रोसेसिंग एवं सीफूड, धातु उद्योग से जुड़े एवं निचली श्रेणी के उद्योग, टेक्सटाइल, ईएसडीएम मैन्युफैक्चरिंग, केमिकल्स, प्लास्टिक एवं पैट्रोकेमिकल्स और पर्यटन जैसे क्षेत्र शामिल हैं। रोड शो के दौरान मुख्य्मंत्री ने मेक इन ओडिशा 2018 की थीम के अनुरूप, ‘आई एम ओडिशा’ अभियान की भी शुरूआत की। इस मौके पर नवीन पटनायक ने कहा कि ओडिशा ‘पूर्वी भारत के निर्माण केंद्र’ के रूप में उभर रहा है। साथ ही सरकार राज्य को ‘दक्षिण एशिया के निर्माण केंद्र’ के रूप में विकसित करने की दिशा में अथक परिश्रम कर रही है। औद्योगिक विकास के लिए एक अनुकूल वातावरण तैयार करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए सरकार ने प्रगतिशील नीतियां पेश की हैं और एक अत्याधुनिक बुनियादी ढांचा विकसित किया है।
अपने सरकार की उपलब्धियों को गिनवाते हुए नवीन पटनायक ने बताया कि पिछले केवल 4 वर्षों में 1,28,572 रोजगार अवसरों की क्षमता के साथ 118 से अधिक बड़ी परियोजनाओं को मंजूरी मिली है। पूर्ण परियोजना आवेदन की प्राप्ति की तारीख से लेकर परियोजनाओं की मंजूरी के लिए लिया गया औसत समय भी घटकर मात्र 20 दिन रह गया है। निवेशकों की ओर से उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिली है और वे ओडिशा में निवेश करने के इच्छुक भी हैं।
मेक इन ओडिशा समारोह नवंबर 2017 में आयोजित किया गया था जहां 15 मैनुफैक्चरिंग इकाइयों ने 8,187 नौकरियां पैदा करने की संभावना के साथ 11,690 करोड़ रुपये का निवेश किया था। दूसरा सबसे बड़ा आयोजन जून 2018 में हुआ, जिसमें 7 मैन्युरफैक्चरिंग यूनिट्स का उद्घाटन हुआ। इसके साथ ही 2,675 करोड़ के कुल निवेश के साथ 12 यूनिट की शुरूआत हुई। इससे 8,953 नौकरियां तैयार होंगी।
भले ही सरकारें कितनी भी दावे कर लें, लेकिन हकीकत इन दावों से बिलकुल विपरीत होगी है, मेक इन इंडिया का भी बड़े ही जोर शोर से आयोजन हुआ था, उसकी की तर्ज पर मेक इन महाराष्ट्र हुआ, उत्तर प्रदेश समिट भी बड़े पैमाने पर आयोजित हुआ, इन सभी आयोजनों में अंबानी से अडानी, गोदरेज से बियानी, बड़े बड़े इंडस्ट्रलिस्ट इस तरह के आयोजनों में बड़े बड़े प्रॉमिसेस करते है, सरकार भी खुश होती है और उद्योगपति भी खुश लेकिन जनता की झोली में कुछ नहीं आता। सरकार प्रलोभन देती है, इंडस्ट्रियलिस्ट प्रदेशों में निवेश करते है लेकिन करोड़ों के निवेश राजनीति की बलि चढ़ जाते है। आज भी नौकरियों के दावे होते है लेकिन नौकरियों के लिए पलायन ना तो यूपी से रुका है और ना ही ओडिशा से। फिर इन कॉन्क्लेव में करोडो रुपये खर्च कर झूठ का पुलिंदा क्यों खड़ा किया जाता है। बहरहाल इन सब के बीच भले ही सरकार अपनी उपलब्धियां दिखाए लेकिन ओडिशा के कई क्षेत्र आज भी ऐसे है जो बेहद पिछड़े है, ऐसे में ये निवेशक ये बड़े बड़े उद्योगपति क्या समाज में सुधार के लिए सीएसआर यानि कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के तहत काम करेंगे ये भी एक सबसे बड़ा सवाल है।