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कर्तव्य के लिए जोखिम, आनंद महिंद्रा ने बढ़ाया मदद के हाथ

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सोशल मीडिया की भी अजीब ताकत है, रातोरात किसी को भी फर्श से अर्श पर बिठा दे। तो किसी जो मुंह छिपाने तक का भी वक़्त नहीं देती, वाकई में जहां “सोशल” शब्द जुड़ जाता है वहां ताकत कई गुना बढ़ जाती है। ऐसा ही कुछ देखने को मिला ओडिशा में। जहां सोशल मीडिया और सोशल रिस्पांसिबिलिटी की बेमिसाल गठजोड़ से वो कारनामा हो गया जिससे महरूम लोग अपनी जिंदगी को हर पल जोखिम में डाल रहें थे वो भी अपने कर्तव्य के लिए, अपने फर्ज के लिए, अपनी जिम्मेदारी के लिए।

कर्तव्य के लिए जान जोखिम में

दरअसल ओडिशा के मलकानगिरी जिले में दो आंगनवाड़ी कार्यकर्ता अपनी ड्यूटी निभाने के लिए जान पर खेलकर हर दिन उफनती गुरुप्रिया नदी को तैरकर रानीगुड़ा पंचायत के अंतर्गत चित्रकोंडा गांव जाती थी। एक दिन एक स्थानीय ने इसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया। वीडियो में हम साफ़ देख सकते है कि नदी कितनी उफनती हुई है और बिना अपनी परवाह किये हुए स्थानिकों की मदद से आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हेमललता सीसा और प्रमिला पेनल पहले तो अपने आपको कद्दू के खाली शेल और मटका बांधतीं है ताकि डूबने का डर कम रहे और फिर गांव वालों की मदद से नदी पार कर अपना कर्तव्य निभाती हैं।
ये आंगनवाड़ी कार्यकर्ता नर्सरी शिक्षा, प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल, माँ और बच्चे की देखभाल जैसी कई सेवाओं के लिए, बच्चों की डिलीवरी के लिए अपनी सेवाएं निस्वार्थ भावना से दे रहीं है लेकिन सरकारी सुविधा इतना भी नहीं है कि ये आंगनवाड़ी कार्यकर्ता गांव तक आसानी और बिना जद्दोजहद के पहुंच सकें। चित्रकोंडा गांव नक्सल प्रभावित जिला है। इन इलाकों में ज्यादातर आदिवासी समुदायों के लोग रहतें हैं। जिला अतिपिछड़ा होने की वजह से मुलभुत सुविधाओं की हमेशा कमी रहती है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के इस तरह के खतरनाक प्रयास का वीडियो हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। और फिर बवाल मचना तो तय था।

आनंद महिंद्रा ने सीएसआर के तहत बढ़ाया मदद का हाथ

सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद महिंद्रा एंड महिंद्रा के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने मदद के हाथ आगे बढ़ाया। आनंद महिंद्रा ने इस वीडियो को ट्वीट करते हुए आंगनवाड़ी महिलाओं की जमकर तारीफ की और मदद के लिए आगे आये।  आनंद महिंद्रा ने अपने ट्वीट में लिखा कि “कल मेरे लिए एक ‘समुद्री’ दिन था, यह कहानी दिल दहला देने वाली है। आनंद महिंद्रा ने सीएसआर फंड से उन आंगनवाड़ी महिलाओं के लिए एक बोट दान करने का ऑफर दे दिया। फिर क्या था स्थानीय प्रशासन फ़ौरन हरकत में आया और आनंद महिंद्रा के ट्वीट का जवाब देतें हुए लिखा कि आभार जताने के लिए धन्यवाद। लेकिन, हम पहले से ही सेतु स्कीम के तहत पुल बनाने का काम कर रहे हैं।

अगर सीएसआर फंड मिले तो और तेजी से जिले का होगा विकास – जिलाधिकारी

जब The CSR Journal ने मलकानगिरी के जिलाधिकारी मनीष अग्रवाल से बात की तो उन्होंने बताया कि ये इलाका नक्सल प्रभावित है, बहुत पिछड़ा है, सरकार की योजनाओं की मदद से जिले के तमाम पिछड़े इलाकों को मुख्य धारा से जोड़ने का काम निरंतर जारी है, नदी मानसून सीजन में ही उफनती है और पहले से ही ये दिक्कत हमारे संज्ञान में है। इसके लिए पिछले 9 महीनों से इस नदी पर ब्रिज बनाने के लिए टेंडर निकाला जा चुका है। इसके साथ ही 10 हैवी कैपेसिटी वाले नाव की भी खरीददारी की जा चुकी है। इन बोट्स के प्लेसमेंट पर काम जारी है। जब The CSR Journal ने मलकानगिरी के जिलाधिकारी मनीष अग्रवाल से कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (CSR) की क्या कोई मदद जिलों को मिलती है? ये सवाल पूछा, तो बताया कि सिर्फ सरकारी योजनाएं ही यहां चल रही है। अगर सीएसआर फंड हमें मिले तो और तेजी से जिले का विकास हो सकेगा”।

आनंद महिंद्रा के पेशकश के बाद आखिरकार अब जाकर मिली नाव

बहरहाल इस खबर के वायरल होने के बाद और आनंद महिंद्रा के द्वारा मदद की पेशकश के बाद फ़ौरन जिला प्रशासन ने इन आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को राहत देते हुए एक नाव सेवा में लगायी है। अब ये आंगनवाड़ी कार्यकर्ता नाव से सफर कर लोगों की मदद कर रही है और अपना कर्तव्य निभा रहीं हैं। सच में यही है सोशल मीडिया और सीएसआर की ताकत। जिसकी वजह से आज परिस्थितियां बदली हैं।