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एस्पिरेशनल जिलों में कोरोना के मामले कम

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कोरोना वायरस को लेकर इसे ख़ुशख़बरी ही कहेंगे कि भारत के एक-तिहाई से भी कम एस्पिरेशनल जिले (Aspirational District) कोरोना द्वारा प्रभावित हैं, जहां देश में बड़े पैमाने पर कोरोना वायरस का फैलाव हो रहा है, जहां कोरोना पॉजिटिव के 21 हज़ार से ज्यादा मामले आ गए हों और जहां 900 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है वही ये राहत की ही ख़बर है कि देश के इन 112 जिलों में केवल 532 कोरोना वायरस के मामले हैं यानि कुल देश के कुल मामलों का 2.3% ही। देश के ये 112 जिले एस्पिरेशनल जिले (Aspirational District) है।

नीति आयोग ने 112 पिछड़े जिलों को एस्पिरेशनल जिले घोषित किया है

नीति आयोग (Niti Aayog) ने पीएम नरेंद्र मोदी के संकल्पना को ध्यान में रखते हुए देश के 112 जिलों को महत्वाकांक्षी जिला घोषित किया है। आयोग के अनुसार ये जिले देश के अन्य जिलों की तुलना में अपेक्षाकृत कम विकसित हैं, इन जिलों को ‘एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट’ भी कहा जाता है। इन जिलों में कम लोग कोरोना वायरस से प्रभावित है। नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने ये जानकारी देते हुए बताया कि 112 जिलों में केवल 532 कोरोना वायरस के मामले हैं यानि कुल देश के कुल मामलों का 2.3 फीसदी हिस्सा जो बेहद कम है।
देश के एस्पिरेशनल जिलों में से 35 में से कोई भी 377 लाल और नारंगी श्रेणी के ज़ोन में शामिल नहीं है, जिन्होंने कोरोना मामलों की रिपोर्ट की है। पिछले सप्ताह तक देश के 720 जिलों में से 170 को लाल क्षेत्रों के रूप में चिंहित किया गया था – 123 बड़े प्रकोपों और 47 समूहों के साथ। कम मामलों वाले 207 नारंगी ज़ोन या गैर-हॉटपॉट जिले थे। बाकि ग्रीन जोन में कोई मामला नहीं है।
बड़े प्रकोप वाले 123 हॉटस्पॉट जिलों में केवल 6 एस्पिरेशनल जिले हैं – एक छत्तीसगढ़, हरियाणा, राजस्थान और तमिलनाडु में और दो जम्मू और कश्मीर में। कोविद -19 समूहों के साथ 47 जिलों में, नौ आकांक्षात्मक जिले हैं – असम और बिहार में दो-दो और झारखंड, कर्नाटक, केरल, पंजाब और उत्तराखंड में एक-एक। नारंगी क्षेत्र में 207 गैर-हॉटस्पॉट जिलों में 20 आकांक्षी जिले हैं। यहां तक कि देश में सबसे अधिक मामलों की रिपोर्ट करने वाले राज्यों में, यह आकांक्षी जिले नहीं हैं जो चिंता का विषय हैं।

नीति आयोग कर रहा है समीक्षा

महाराष्ट्र, देश में 27% मामलों के साथ, दो आकांक्षी जिलों – उस्मानाबाद और जलगांव में मामले दर्ज किए गए। गुजरात ने केवल एक आकांक्षा वाले जिले – दोहाद में मामलों की सूचना दी। दोनों राज्यों में, आकांक्षात्मक जिले नारंगी क्षेत्र में थे। उत्तर प्रदेश के आठ आकांक्षात्मक जिलों में से कोई भी लाल या नारंगी श्रेणी में नहीं पाया गया। जानकारों की माने तो इन जिलों में सामाजिक-आर्थिक मापदंडों में लगातार सुधार हो रहा है। एस्पिरेशनल जिलों में अब तक ज्यादातर सुरक्षित है क्योंकि वे शहरी समूहों से दूर हैं। घनी आबादी से दूर है, ग्रामीण इलाका होने के नाते सोशल डिस्टेंसिंग का आसानी से पालन किया जा सकता है। कोरोना शहरी इलाकों में अधिक है और चूंकि ज्यादातर आकांक्षात्मक जिले ग्रामीण क्षेत्रों में हैं, इसलिए अभी तक वहां ऐसा नहीं हुआ है।

एस्पिरेशनल जिला होने के नाते सीएसआर हो रहा है मददगार

जानकार ये भी बताते है कि चूंकि इनमें से कई जिलों में स्वास्थ्य का बुनियादी ढांचा कमजोर स्थिति में है, इसलिए अभी तक पर्याप्त मात्रा में परीक्षण नहीं हो रहे हैं जिसकी वजह से यहां मामले कम है। बहरहाल घोषित इन जिलों में पहले भी अधिक मात्रा में सीएसआर फंड का इस्तेमाल होता था और कोरोना के इस संकट काल में भी CSR मददगार साबित हो रहा है। रांची हुआ या फिर दूसरे जिले बड़े पैमाने पर कॉर्पोरेट्स मदद कर रहें है। इन जिलों के जिलाधिकारी और डीसी की सराहना खुद नीति आयोग भी कर चुका है। और लगातार नीति आयोग के बड़े अधिकारी इन जिलों पर अपनी नज़र बनाये हुए है ताकि कोरोना का खत्मा जल्द हो सके।