दिल्ली की हवा लगातार स्वास्थ्य के लिए खतरा बनी हुई है, लेकिन अब एक नई वैज्ञानिक स्टडी ने ऐसा चौंकाने वाला खुलासा किया है जिसे जानकर हर रोज़ ऑफिस आने-जाने वाले लोग और ज़्यादा चिंतित हो सकते हैं। आमतौर पर माना जाता है कि सुबह के समय हवा सबसे ज़्यादा दूषित होती है, लेकिन 5 साल तक चले विस्तृत शोध ने इस सोच को पूरी तरह गलत साबित कर दिया है। अध्ययन के अनुसार, वास्तविक खतरा तो शाम के समय होता है—जब लोग दफ्तर से निकलकर घर की ओर जाते हैं। इसी दौरान दिल्ली की हवा में प्रदूषण अपने चरम पर पहुँच जाता है और फेफड़ों पर सबसे ज़्यादा जहरीले कणों का हमला होता है।
शाम की हवा सुबह से 40% ज्यादा जहरीली
नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी और AARC इंजीनियर्स एंड कंसल्टेंट्स इंडिया द्वारा किए गए इस संयुक्त अध्ययन में पाया गया कि शाम के समय PM2.5 का स्तर सुबह की तुलना में 40% और PM10 का स्तर 23% अधिक होता है। रोज़मर्रा की थकान के बाद जब लोग घर लौटते हैं और खुली हवा में सांस लेते हैं, उसी समय वे सबसे अधिक जहरीले कणों के संपर्क में आते हैं। इसका सीधा असर फेफड़ों और हृदय पर पड़ता है, जो लंबे समय में गंभीर बीमारियों को जन्म दे सकता है।

दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी—दिल्ली
इस शोध में 2019 से 2023 तक दिल्ली के 39 एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशनों के हर 15 मिनट पर रिकॉर्ड हुए डेटा का विश्लेषण किया गया। इसमें साफ दिखा कि दिल्ली में कुछ विशेष समय पर प्रदूषण अत्यधिक बढ़ जाता है, जिसमें शाम का समय सबसे खतरनाक है।
IQAir की World Air Quality Report 2023 के अनुसार, दुनिया के 10 सबसे प्रदूषित शहरों में से 9 भारत में हैं। दिल्ली लगातार दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी बनी हुई है, जहां PM2.5 और PM10 के स्तर WHO की सुरक्षित सीमा से कई गुना अधिक दर्ज किए जाते हैं।
कौन से इलाके सबसे ज्यादा प्रदूषित?
स्टडी के मुताबिक, दिल्ली के इंडस्ट्रियल और व्यावसायिक इलाकों में प्रदूषण सबसे अधिक पाया गया। इसका मुख्य कारण है:
फैक्ट्रियों का लगातार धुआँ
भारी ट्रैफिक
बढ़ती जनसंख्या और भीड़भाड़
इसके विपरीत, सेंट्रल दिल्ली में प्रदूषण तुलनात्मक रूप से कम रहा, क्योंकि यहां पेड़ों की संख्या अधिक है और ट्रैफिक नियंत्रण बेहतर है।
COVID-19 लॉकडाउन के दौरान जब सड़कें खाली थीं और फैक्ट्रियों की गतिविधियाँ थम गई थीं, तब दिल्ली की हवा में उल्लेखनीय सुधार दर्ज किया गया। यह साबित करता है कि यदि ट्रैफिक और इंडस्ट्री को संतुलित किया जाए, तो दिल्ली की हवा बहुत जल्दी बेहतर हो सकती है।

सबसे खतरनाक कण—PM2.5 और अल्ट्राफाइन पार्टिकल्स
विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली की हवा में मौजूद कण अलग-अलग स्तर पर शरीर को प्रभावित करते हैं:
PM10 — गले और सांस की नली में जलन, खांसी, अस्थमा और ब्रोंकाइटिस बढ़ाते हैं
PM2.5 — फेफड़ों के सबसे भीतर तक जाकर रक्त प्रवाह में पहुँच जाते हैं
अल्ट्राफाइन पार्टिकल्स — खून में घुसकर दिल, दिमाग और नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुँचाते हैं
ये कण महीनों या सालों तक शरीर में मौजूद रह सकते हैं।
दिल्लीवासियों के लिए जरूरी सावधानियाँ
विशेषज्ञ प्रदूषण के प्रभाव को कम करने के लिए कुछ उपायों को अत्यधिक महत्वपूर्ण बताते हैं:
घर में एयर प्यूरीफायर का उपयोग
बाहर निकलते समय N95 मास्क पहनना
रोज़ाना यात्रा करने वालों के लिए वाहन में पोर्टेबल एयर प्यूरीफायर
शाम के समय अनावश्यक बाहर निकलने से बचना
भीड़भाड़ वाले रास्तों की बजाय वैकल्पिक रूट चुनना
इन उपायों से PM2.5 और PM10 के प्रभाव को 75–80% तक कम किया जा सकता है।


