किसी भी विकास कार्य में आम जनमानस की भागीदारी से उसका पैमाना कहीं अधिक हो जाता है। नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (NCL) भारत सरकार की सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में से एक मिनीरत्न कंपनी है। सीएसआर का हित आम जनमानस तक पहुंचे इसलिए नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (NCL) अब सिंगरौली के जनप्रतिनिधियों, ग्राम पंचायतों और सरपंचों से मुलाकात कर सीएसआर की विभिन्न परियोजनाओं पर चर्चा कर रही है। नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एनसीएल) की सीएसआर डिपार्टमेंट ने कंपनी के मुख्यालय में “सीएसआर ग्राम संवाद” कार्यक्रम का आयोजन किया। “सीएसआर ग्राम संवाद” के दौरान मध्य प्रदेश स्थित एनसीएल की विभिन्न परियोजनाओं और इकाइयों के आसपास स्थित 10 ग्राम पंचायतों के सरपंचों ने ग्राम विकास से संबंधित अहम मुद्दों पर अपनी बात रखी।
CSR क्रियान्वयन के लिए एनसीएल लेती है जनप्रतिनिधियों की मदद
इस दौरान सरपंचों ने सड़कों, सामुदायिक केंद्र, पक्की नाली, तालाब और चेकडैम के निर्माण, हैंड पंप की व्यवस्था, स्वास्थ्य सुविधाओं की बेहतरी, आय आधारित आजीविका समाधान जैसे मुद्दे प्रमुखता से उठाए। महाप्रबंधक (सीएसआर) एके सिंह ने सभी मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की और स्थानीय समुदाय के विकास के संबंध में कंपनी की प्रतिबद्धता को व्यक्त किया। ग्राम संवाद कार्यक्रम एक ऐसा मंच है जहां पर ग्राम पंचायत प्रतिनिधि अपने क्षेत्र के विकास के लिए आवश्यक जरूरतों को साझा करते हैं जिससे एनसीएल की सीएसआर टीम को ग्रामीण समुदाय की जरूरतों को समझ कर, उसी के अनुरूप सीएसआर (Corporate Social Responsibility) के तहत किए जाने वाले कार्यों का निर्धारण करने में मदद मिलती है।
एनसीएल (Northern Coalfields Limited) ने आठ सालों में सीएसआर के तहत 740 करोड़ ख़र्च किये है
इस कार्यक्रम के दौरान देश में सामाजिक क्षेत्र के प्रमुख संस्थान टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान (टीआईएसएस – TISS), मुंबई के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया और ग्राम प्रतिनिधियों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर बेहतर ढंग से कार्य करने के संबंध में अपनी राय व्यक्त की। यह टीम वर्ष 2020-21 में एनसीएल द्वारा किए गए समाज कल्याण के कार्यों का जमीनी स्तर पर पड़े प्रभाव का आंकलन कर रही है | गौरतलब है कि एनसीएल सिंगरौली और सोनभद्र जिले की 70 से अधिक ग्राम पंचायतों में आधारभूत ढांचे के निर्माण, स्वास्थ्य, शिक्षा, पेय जल, खेल, कौशल विकास क्षेत्रों में पहले से ही कार्य कर रही है और पिछले आठ सालों में सीएसआर के तहत 740 करोड़ ख़र्च किये है।