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October 29, 2025

Navratri 2025 Day 9: मां सिद्धिदात्री की आराधना से कैसे मिलती हैं सिद्धियां और सुख-समृद्धि?

The CSR Journal Magazine
आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि नवरात्रि का अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। इस दिन मां दुर्गा के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की आराधना की जाती है। मान्यता है कि यदि कोई साधक पूरे नवरात्रि व्रत या पूजन न कर पाए तो भी नवमी तिथि पर मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से पूर्ण नवरात्रि का पुण्यफल प्राप्त होता है।हिंदू धर्मग्रंथों में उल्लेख है कि मां सिद्धिदात्री की उपासना साधक को हर प्रकार की सिद्धि प्रदान करती है और जीवन की सभी बाधाओं को दूर करती है।नवरात्रि का नौवां दिन आत्मबल, सिद्धि और सफलता का प्रतीक है। मां सिद्धिदात्री की आराधना से भक्त को दिव्य शक्ति का अनुभव होता है और जीवन में सकारात्मकता, सुख और समृद्धि का वास होता है

मां सिद्धिदात्री की कथा

सृष्टि की उत्पत्ति के समय जब ब्रह्मांड में केवल अंधकार था, तब ब्रह्मा जी ने सृष्टि रचना के लिए शक्ति की साधना की। उनकी तपस्या से मां आदिशक्ति प्रकट हुईं और उन्होंने नौ रूपों में विभाजित होकर ब्रह्मा, विष्णु और महेश को शक्तियां प्रदान कीं।
इन्हीं नौ रूपों में मां सिद्धिदात्री भी प्रकट हुईं। इनके पास आठ महा सिद्धियां हैं—
  • अणिमा (सूक्ष्म होने की शक्ति)
  • महिमा (विशाल होने की शक्ति)
  • गरिमा (बहुत भारी होने की शक्ति)
  • लघिमा (बहुत हल्का होने की शक्ति)
  • प्राप्य (कहीं भी पहुंचने की शक्ति)
  • प्राकाम्य (इच्छा पूर्ति की शक्ति)
  • ईशित्व (सर्वश्रेष्ठ होने की शक्ति)
  • वशित्व (सब पर नियंत्रण की शक्ति
मां सिद्धिदात्री इन सिद्धियों को अपने भक्तों को प्रदान करती हैं।

शिव और सिद्धिदात्री

कहा जाता है कि भगवान शिव ने इन्हीं मां की साधना कर सभी सिद्धियां प्राप्त कीं। मां ने ही उन्हें अर्धनारीश्वर स्वरूप प्रदान किया। इसी कारण मां सिद्धिदात्री को शिव की अर्धांगिनी भी माना जाता है।

मां सिद्धिदात्री का स्वरूप

मां सिद्धिदात्री चार भुजाओं से सुशोभित हैं। उनके एक हाथ में गदा, दूसरे में चक्र, तीसरे में कमल पुष्प और चौथे हाथ में शंख रहता है। वे सिंह पर सवार होकर भक्तों का कल्याण करती हैं। उनका शांत और दिव्य स्वरूप साधकों को आध्यात्मिक शक्ति, सिद्धि और ज्ञान प्रदान करता है।

पूजा विधि 

नवमी के दिन साधक को ब्रह्ममुहूर्त में स्नान कर संकल्प लेना चाहिए।पुष्प, रोली, चंदन, अक्षत, नारियल, चुनरी, फल और मिष्ठान अर्पित करें।
मां के ध्यान के साथ यह मंत्र जपें –
“सिद्धगन्धर्वयक्षाघैरसुरैरमरैरपि। सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥”
साधक चाहें तो रुद्राक्ष की माला से जप मंत्र का जाप करें –
“ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॐ सिद्धिदात्री देव्यै नमः”
इस दिन दुर्गा सप्तशती का पाठ और कन्या पूजन का विशेष महत्व है।
पूजा के अंत में हवन करना अति शुभ माना गया है।

मां सिद्धिदात्री को अर्पित भोग, रंग

नवरात्रि की नवमी को मां सिद्धिदात्री को उनका प्रिय भोग अर्पित करना चाहिए। इसमें हलवा, पूड़ी और काले चने का विशेष महत्व है। इसके अलावा खीर, नारियल, मौसमी फल और सफेद मिठाई का भी भोग लगाया जा सकता है।
रंग इस वर्ष गुलाबी रंग देवी सिद्धिदात्री का प्रतिनिधित्व करता है।

पूजा का महत्व और पुण्यफल

नवमी तिथि पर मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से साधक को पूरे नवरात्रि का पुण्यफल मिलता है। माना जाता है कि माता की कृपा से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, कार्यों में सफलता मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
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