मोदी का संयुक्त राष्ट्र को संदेश – क्लाइमेट चेंज पर साथ आएं देश
नरेंद्र मोदी भारत के पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिनकी अमेरिका यात्रा और संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में उनका भाषण – दोनों ही चीज़ें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बनी हुई हैं. नरेंद्र मोदी इस वक्त गूगल सर्च इंजिन में टॉप पर हैं. भारत ही नहीं बल्कि विश्व के अन्य देशों में उनकी लोकप्रियता अपने पूरे उफ़ान पर है. इसके पीछे दो वजहें हैं – एक वॉल स्ट्रीट जर्नल में छपा उनका लेख और दूसरा यूएन की जनरल असेंबली में उनका भाषण जो – विश्व की नई चुनौतियों, ख़ासकर क्लाइमेट चेंज (ग्लोबल वॉर्मिंग) और पर्यावरण पर सबके साथ आने की बात कहता है.
न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र की आम सभा को संबोधित करने से तीन दिन पहले ही नरेंद्र मोदी का एक लेख – वॉल स्ट्रीट जर्नल में प्रकाशित हुआ. इसे अमेरिका सहित पूरी दुनिया में पढ़ा गया – और इसे पढ़नेवाले पहले ही समझ गए थे कि संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में मोदी के भाषण का अजेंडा क्या होगा. करीब दो पन्ने के अपने आर्टिकल में नरेंद्र मोदी ने पूरा एक पैराग्राफ़ पर्यावरण में आ रहे बदलाव और आर्थिक विकास में उसके समावेश पर लिखा –
“जब मैं कंप्यूटर की शक्ति और इसकी स्टोरेज कैपासिटी के विकास के बारे में सोचता हूं, तो देखता हूं कि – जिस तरह से पिछले दशकों में इसका आकार छोटा हुआ है, – इसकी नकल अक्षय उर्जा के क्षेत्र में भी किया जा सकता है. ऐसे ही – बजाए कि पुराने तरीके से बने भारी भरकम पावर प्लांट्स के बनने का लंबा इंतज़ार करने के – सौर्य उर्जा और पवन उर्जा के साथ भारत के हज़ारों गांवों को तेज़ी से, साफ़-सुथरी और भरोसेमंद बिजली प्रदान की जा सकती है. इस वजह से भारत की संवृद्धि का रास्ता – पुराने विकसित देशों से बिल्कुल अलग – पर्यावरण संवेदी और स्थाई होगा. हमारे सफ़र का ऐसा रास्ता, हमारी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ा हुआ है , जहां हम निसर्ग और उसकी देन की , पूजा करते हैं. ” – वॉल स्ट्रीट जनर्ल में मोदी के लेख से
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने – भारत और पाकिस्तान दोनों देशों में बैठे पॉलिटिकल पंडितों और अंतर्राष्ट्रीय एवं कूटनीतिक मामलों के जानकारों को अचंभित कर दिया. यूएन के अपने भाषण में मोदी ने पाकिस्तान पर, अगर चार लाइनों में अपनी बात समाप्त कर दी, तो ग्लोबल वॉर्मिंग, पर्यावरण में बदलाव और सस्टेनिबिलिटी पर करीब पांच मिनट तक बोले. एशिया और विश्व के आर्थिक विकास के लिए मोदी ने आतंकवाद पर काबू को जितना महत्व दिया – ठीक उतना ही महत्व उन्होंने – उर्जा के साफ़ सुथरे स्रोत, सस्टेनेबल डेवलपमेंट और पर्यावरण के आर्थिक पहलू को भी दिया. किसी को उम्मीद नहीं थी कि मोदी यून जनरल असेंबली में भारत के कूटनीतिक मुद्दों के अलावा भी कोई बात कहेंगे. दिल्ली में बैठे कुछ विदेशी मामलों के पंडितों को मोदी का ये भाषण यूएन के प्लैटफॉर्म को ज़ाया करने के बराबर भी लगा है – वहीं कई विदेशी पत्रकार नरेंद्र मोदी को एक सुलझे हुए और अंतर्राष्ट्रीय नेता के तौर देख रहे है.
बहरहाल संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में मोदी के भाषण पर कई तरह की राजनीतिक और कूटनीतिक टिप्पणियां होती रहेंगी , लेकिन नरेंद्र मोदी ने अपना इरादा साफ़ कर दिया है, और वो ये – कि वो ना सिर्फ भारत को आर्थिक प्रगति की राह पर ले जाना चाहते हैं, बल्कि वो भविष्य में पर्यावरण की चुनौतियों को भी दूसरों से बेहतर समझते हैं. विकास और पर्यावरण में ज्यादा दिनों तक टकराव या असंतुलन, विनाशकारी साबित होगा – ऐसे में अगर स्थाई विकास हासिल करना है, तो पर्यावरण के साथ हिंसा नहीं चलेगी, बल्कि पर्यावरण को भारत की आर्थिक नीति का हिस्सा बनाना होगा.