Bihar की राजनीति में 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले Muslim Vote एक बार फिर सत्ता की चाबी बनकर उभरा है। करीब 2 करोड़ 10 लाख मुस्लिम आबादी और 17.7% हिस्सेदारी के साथ यह समुदाय न सिर्फ Seemanchal की सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाता है, बल्कि पूरे राज्य में Political Equation को हिला सकता है।
चुनावी माहौल में हर पार्टी की नजर सीमांचल की 24 विधानसभा सीटों पर है, जहां कई जगहों पर मुस्लिम मतदाता 35-40% तक हैं। किशनगंज, अररिया, पूर्णिया और कटिहार जैसे जिलों में वोटर पर्सेंटेज इस कदर भारी है कि हार-जीत का फासला केवल एक वर्ग की दिशा तय कर सकती है।
Congress, RJD और INDIA गठबंधन इस वोट बैंक को अपने Secular Narrative और Muslim-Yadav Alliance के जरिए साधने की कोशिश में हैं। Rahul Gandhi की हालिया रैली और Bihar Bandh में उनकी भागीदारी इस दिशा में बड़ा संदेश दे रही है। वहीं तेजस्वी यादव का फोकस मुस्लिम युवाओं और पसमांदा समुदाय को जोड़ने पर है।
दूसरी ओर, JDU और BJP ने Pasmanda Outreach को रणनीतिक रूप से तेज किया है। वक्फ बिल, छात्रवृत्ति, और EBC नीतियों के जरिए इन दलों ने उस मुस्लिम तबके को टारगेट किया है जो अब तक खुद को मुख्यधारा से कटा हुआ महसूस करता था।
2015 और 2020 के चुनावी आंकड़े बताते हैं कि Muslim Vote का झुकाव पारंपरिक रूप से RJD और Congress की ओर रहा है। लेकिन Asaduddin Owaisi की पार्टी AIMIM की सीमांचल में बढ़ती पकड़ और 2020 में 5 सीटों पर मिली जीत ने यह स्पष्ट कर दिया कि मुस्लिम वोट एकमुश्त किसी एक पार्टी के पाले में नहीं है।
BJP के लिए चुनौती यह है कि वह Development vs Hindutva के बीच मुस्लिमों का भरोसा कैसे जीते, जबकि विपक्ष की चुनौती यह है कि वह समुदाय के Representation और Real Issues को केवल चुनावी हथियार न बनाए।
इस बार का चुनाव इस सवाल का जवाब बन सकता है कि क्या मुस्लिम मतदाता सच में Kingmaker हैं या केवल Political.