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November 22, 2025

Mumbai में Suvidha Kendra मॉडल बना मिसाल, CM Devendra Fadnavis ने बताया शहरी स्वच्छता का पथदर्शी उपक्रम

The CSR Journal Magazine

5.5 लाख लोगों ने लिया सीधा लाभ

मुंबई में शहरी स्वच्छता को सुधारने के लिए शुरू किया गया सुविधा केंद्र (Suvidha Centre) अब एक पथदर्शी मॉडल बन चुका है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इसे शहरी क्षेत्रों में स्वच्छता, पानी-बचत (Water Saving), और बेहतर स्वास्थ्य के लिए बेहद प्रभावी कदम बताया है। उनकी पहल पर स्वच्छ महाराष्ट्र अभियान (Swachh Maharashtra Mission) को पूरे राज्य में गति मिल रही है और कई संस्थाएं इसमें सक्रिय रूप से जुड़ रही हैं। यह उपक्रम हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड और बीएमसी (BMC) की साझेदारी में चलाया जा रहा है। कम समय में ही इस मॉडल ने बेहतर नतीजे दिखाए हैं। मुंबई में अभी 23 केंद्र चल रहे हैं और 24वां शुरू होने वाला है। इसके अलावा 2 केंद्र निर्माणाधीन हैं और 7 केंद्रों के प्रस्ताव प्रक्रिया में हैं। आने वाले समय में यह नेटवर्क और भी बड़ा होने वाला है।

झुग्गी बस्तियों के लिए सुरक्षित और सस्ती सुविधा

इस मॉडल का मुख्य फोकस झुग्गी और वंचित इलाकों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित, साफ और सस्ती स्वच्छता सुविधा (Affordable Sanitation) उपलब्ध कराना है। अब तक 5.5 लाख नागरिक इन केंद्रों का लाभ उठा चुके हैं, और साफ-सफाई से जुड़ी समस्याओं में बड़ी कमी देखी गई है। सुविधा केंद्रों को खास तौर पर इस तरह डिजाइन किया गया है कि महिलाएं, बच्चे और दिव्यांग बिना किसी डर या परेशानी के इसका उपयोग कर सकें। इससे इन इलाकों में सुरक्षित शौचालय (Safe Toilets) की उपलब्धता बढ़ी है और लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी आसान हुई है।

पर्यावरण संरक्षण का बेहतरीन मॉडल

केंद्रों में जल संरक्षण तकनीक (Water Saving Technology), ऊर्जा दक्षता और बेहतर कचरा प्रबंधन पर जोर दिया गया है। इससे यह सिर्फ स्वच्छता का नहीं, बल्कि पर्यावरण संतुलन (Environment Sustainability) का भी मजबूत उदाहरण बन गया है।

महिलाओं की बड़ी भूमिका, स्वास्थ्य में दिखा बड़ा सुधार

इस योजना में समुदाय की महिलाओं की भागीदारी सबसे खास है। लगभग 300 प्रशिक्षित महिलाओं ने वर्तन बदलाव अभियान चलाया, जिसके जरिए 7.5 लाख लोगों को साफ-सफाई और स्वास्थ्य से जुड़े व्यवहारिक प्रशिक्षण दिए गए। इससे लोगों की आदतों और स्वास्थ्य जागरूकता में सकारात्मक बदलाव आया है। केंद्रों की वजह से जठरांत्र संबंधी बीमारियों, अतिसार और मूत्र संक्रमण जैसी समस्याओं में 50% तक कमी आई है। पहले झुग्गी बस्तियों में अस्वच्छता और खराब पानी की वजह से होने वाली बीमारियाँ आम थीं, लेकिन अब स्थिति में बड़ा बदलाव देखा जा रहा है।

आर्थिक रूप से टिकाऊ मॉडल

सबसे खास बात यह है कि एक सुविधा केंद्र 9 महीनों में अपना खर्च खुद निकालने लगता है। यानी यह योजना लंबे समय तक बिना किसी अतिरिक्त खर्च के चल सकती है। अभी मुंबई के सभी 23 केंद्र आर्थिक रूप से पूरी तरह स्वावलंबी हैं। मुंबई का ‘सुविधा केंद्र’ मॉडल यह साबित करता है कि अगर सरकार, निजी संस्थाएं और समाज मिलकर काम करें, तो शहरी स्वच्छता और सार्वजनिक स्वास्थ्य में बड़ा बदलाव संभव है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इसे शहरी महाराष्ट्र का आदर्श मॉडल बताया है, जिसे आने वाले समय में राज्य के अन्य शहरों में भी लागू किया जा सकता है।
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