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April 13, 2025

बच्ची को सगाई का शगुन देकर विवादों में घिरे भाजपा नेता 

 Child Marriage: राजगढ़ में गुरुवार को भाजपा जिलाध्यक्ष ज्ञान सिंह गुर्जर का नाबालिग बच्ची को सगाई पर शगुन का लिफाफा देते हुए फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। फोटो को लेकर कांग्रेस नेताओं ने BJP सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि यह तस्वीर बाल विवाह (Child Marriage) जैसी सामाजिक कुप्रथा को बढ़ावा देने वाली है। जिलाध्यक्ष गुर्जर ने मामले में सफाई देते हुए कहा, ‘सगाई करना और शादी करना, दोनों अलग बात है।’

सरकारी अभियान की मिट्टीपलीद कर रहे बीजेपी नेता

Child Marriage: कांग्रेस के कई कार्यकर्ताओं ने गुरुवार सुबह तस्वीर शेयर करते हुए कहा कि जब सरकार खुद बाल विवाह के खिलाफ अभियान चला रही है, तब भाजपा के वरिष्ठ नेता खुलेआम ऐसे आयोजनों में शामिल होकर विपरीत संदेश दे रहे हैं। हेमराज नामक युवक ने लिखा, ‘अब भाजपा जिलाध्यक्ष ज्ञान सिंह गुर्जर खुद बाल सगाई के कार्यक्रम में जाकर ऐसी कुप्रथा को बढ़ाने में सहायक बने।’ Child Marriage: भाजपा जिलाध्यक्ष ज्ञान सिंह गुर्जर का कहना है, कि सामाजिक रीति रिवाजों के मुताबिक समय से सगाई संबंध करना जरूरी है। सगाई करना और शादी करना दोनों अलग बात है। ये तो सगाई है, हमारे समाज में बड़े होने पर शादी के लिए सही रिश्ते नही मिलते हैं, जिसकी वजह से बहुत से लोग कुंवारे बैठे हैं। समय पर अच्छा रिश्ता मिल जाता है, तो सगाई कर देते हैं। हालांकि शादी तो बालिग होने के बाद ही करते हैं।

गर्भ में रिश्ते तय, 6 माह में सगाई, 10-12 साल की उम्र में शादी

Child Marriage: MP के Rajgadh में एक ऐसी कुप्रथा जारी है जिसे बाकी दुनिया का सभ्य समाज शायद स्वीकार न करे। यहां बाल विवाह का आलम ये है कि गर्भ में ही रिश्ते तय कर दिए जाते हैं और 10-12 साल की उम्र में शादी कर दी जाती है। दिलचस्प ये है कि यदि बाद में लड़की रिश्ता तोड़ती है तो उसे ही लाखों का मुआवजा देना होता है। इस पूरी प्रथा को ‘झगड़ा नातरा’ प्रथा कहते हैं। क्या है ये प्रथा, और कैसे इसने 700 से ज्यादा बच्चों का बचपन ‘जंजीरों’ में कैद कर दिया है!
Child marriage: आपने अक्सर सुना होगा -हमारा देश मंगल ग्रह और चांद पर पहुंच चुका है और आप इतने पिछड़ेपन की बात करते हो! आपको ये लाइन घिसी पिटी लग सकती है लेकिन जब आप MP की राजधानी भोपाल से सटे Rajgadh में पहुंचेंगे तो आपको लगेगा, अब भी हम आदिम युग की कुप्रथा को ढो रहे हैं। जी हां, राजगढ़ में 50 गांव ऐसे हैं जहां अब भी गर्भ में ही बच्चियों के रिश्ते तय हो जाते हैं। जब वो 6 माह की होती है तो उसकी सगाई हो जाती है और जब वो 10-12 साल की होती है तो उसे शादी के बंधन में बांध दिया जाता है। हद तो ये है कि यदि कभी कोई इस बंधन से बाहर आना चाहे तो लड़की के परिजनों को लाखों रुपये बतौर मुआवजा देना पड़ता है। स्थानीय लोग इसे झगड़ा-नातरा प्रथा कहते हैं। यहां के 50 गांवों में 700 से ज्यादा बच्चों का बचपन इस प्रथा की जंजीरों में बंधा हुआ है।
Rajgadh जिले में 622 ग्राम पंचायत है, जहां बच्चों का बचपन छीन लिया जाता है और उनके संपनों को जंजीरों में जकड़ दिया जाता है। Rajgadh जिले के जैतपुर गांव में चार पहिया वाहन चलने की जगह नहीं है, यानि अगर जरुरत हो तो यहां तक एंबुलेंस भी नहीं पहुंच पाती है। जैतपुर की रामा बाई 40 साल की हैं और उनकी शादी 30 साल पहले हुई थी। अब भी उनके पैरो में दो कड़े हैं। एक सगाई का, और दूसरा शादी का! गीता की उम्र अभी 22 साल की है और उसकी सगाई 2 साल की उम्र में हुई थी और शादी 16 साल की उम्र में। फिलहाल गीता एक बच्ची की मां है और उस पर दबाव बनाया जा रहा है कि वो भी अपनी बेटी की सगाई कर दे, लेकिन गीता कहती है कि जो मैंने झेला है वो मैं बच्ची को झेलने नहीं दूंगी। रामा और गीता बताती हैं कि उनके यहां जब महिला गर्भवती होती है तभी रिश्ता तय हो जाता है। कहा जाता है कि यदि तुम्हारा लड़का होगा या हमारी लड़की होगी तो हम रिश्ता करेंगे, और ये ज़ुबान देने वाली बात होती है, जिससे मुकरना मुमकिन नहीं! कई बार नशे की हालत में ऐसे रिश्ते तय होते हैं।

कड़ा पहनने से पांव दुखते हैं

Child Marriage: Rajgadh गांव में ऐसे कई बच्चे हैं, जो इस कुप्रथा का शिकार हैं। कोई पढ़ना चाहता है तो कोई खेलना चाहता है। लेकिन उनके सपने कभी पूरे नहीं होते। लड़कियां तो छोड़िए, कई लड़कों की जिंदगी भी यहां बाल विवाह की प्रथा से ही तय होती है। ये सभी सगाई की बेड़ियों में जकड़े हुए हैं। किसी की मंगेतर उसी गांव में रहती है, तो किसी की दूसरे गांव में! 10 साल का अशोक तंवर शर्माते हुए कहता है कि मम्मी-पापा ने मेरी सगाई कर दी है, लेकिन मैं अभी सगाई नहीं करना चाहता था। मैं शादी भी नहीं करना चाहता हूं। मैं अभी पांचवीं में पढ़ता हूं और डॉक्टर बनना चाहता हूं। एक बच्ची जिसने पांव में कड़ा पहन रखा है, रोते हुए अपने मां-पिता से कहती है-कड़ा निकलवा दो, पैर दुखता है! लेकिन उसके मम्मी-पापा कहते हैं- परंपरा है, पहने रहो। कई बार बच्चों को बताया जाता है कि ये सुंदरता का प्रतीक है। लड़कियों को कहा जाता है कि कड़े पैर की शोभा हैं, गांव की बहुत सारी लड़कियां पहनती हैं। Child Marriage: जब गांव वालों से पूछो तो वे इसे मजबूरी बताते हैं। ये बताते हैं कि बड़े होने पर शादी की लागत से बचने का ये तरीका है। इससे कर्ज नहीं लेना पड़ता। जैतपुर गांव के उप सरपंच बताते हैं कि ज्यादातर लोग शराब के नशे में रिश्ता तय करते हैं। बच्ची को कड़ा पहना देते हैं और 10 हजार रुपये ले लेते हैं। गांव के लोग भी सरपंच से इत्तेफाक रखते हैं।

46 फीसदी की शादी 18 साल से पहले

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (NFHS-5) की रिपोर्ट के मुताबिक Rajgadh ज़िले में 52 फ़ीसदी महिलाएं अनपढ़ हैं, और 20-24 आयु वर्ग की कुल लड़कियों में से 46 फ़ीसदी ऐसी हैं जिनकी शादी 18 साल से पहले की जा चुकी है यानी कि इनका बाल विवाह हो चुका है। परेशानी की बात ये है कि राजस्थान और मध्यप्रदेश के कुछ इलाकों में अगर कोई बिटिया इस बंधन से निकलना चाहे तो उन्हें और उनके परिवार को सामाजिक पंचायतों में पेश होना पड़ता है। ये पंचायतें शादी तोड़ने की एवज में उन पर ‘झगड़ा’ (जुर्माना) चुकाने का फरमान जारी करती हैं। कभी विधवा और किसी महिला को छोड़ देने पर समाज में लौटने की नाता या नातरा प्रथा भी इसमें जुड़ गई है। इसलिए अब इस प्रथा को ‘झगड़ा नातरा प्रथा’ कहते हैं। कुल मिलाकर ये प्रथा बच्चों की आजादी को खत्म करता है और शासन-प्रशासन को इस पर एक्शन लेना ही चाहिए। ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ अभियान के तहत सरकार ने महिलाओं को शिक्षा का मौलिक अधिकार तो दे दिया, लेकिन विवाह बंधन से अभी तक आज़ाद नहीं करा पाई है। Metro Cities को छोड़ दें, तो आज भी भारत के अधिकतर इलाक़ों में बाल विवाह (Child Marriage) प्रथा निरंतर जारी है। आज भी ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में लड़कियां और महिलाएं भेदभाव के चलते खुलकर जीने के मौलिक अधिकार से भी वंचित हैं।

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