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मदर्स डे – बातें उन महिलाओं की जो मातृत्व को तरसती हैं

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रामायण में भगवान राम ने कहा है “जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरियसि।” यानी मां और मातृभूमि स्वर्ग से भी श्रेष्ठ है। इसका जिक्र हम इसलिए कर रहें है क्योंकि आज मदर्स डे (Mothers Day) है। मां ये एक अक्षर संपूर्ण सृष्टि के बराबर माना गया है। मां नाम जुबान पर आते हैं मन और मतिष्क में मातृत्व और करुणा से भरा वो चेहरा नजरों के सामने आ जाता है जिसे हम सब मां कहते हैं। मां एक अनुभूति, एक विश्वास, एक रिश्ता नितांत अपना सा होता है। गर्भ में अबोली नाजुक आहट से लेकर नवागत के गुलाबी अवतरण तक, मासूम किलकारियों से लेकर कड़वे निर्मम बोलों तक, आंगन की फुदकन से लेकर नीड़ से सरसराते हुए उड़ जाने तक, मां मातृत्व की कितनी परिभाषाएं रचती है।

मदर्स डे – मां एक वरदान है

आज मदर्स डे (Mothers Day), इस मातृत्व दिवस पर हर कोई अपनी मां को याद कर रहा है, कोई ख़ास तरीके से तो कोई साधारण तरीके से अपनी मां पर प्यार जाहिर कर रहा है। कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में लॉकडाउन घोषित है। देश में लॉकडाउन का तीसरा चरण चल रहा है। ऐसे में लोग घरों में रहकर कोरोना वायरस से लड़ाई लड़ रहे हैं। 10 मई को घर में रहकर मां के साथ इस दिन को यादगार बनाने के लिए कई तरीके अपना रहें है। यह पूरा दिन मां के नाम पर समर्पित है, वाकई में किसी ने खूब ही कहा है कि मां सिर्फ मां नहीं एक वरदान है, लेकिन ऐसी महिलाओं का क्या जो कभी मां ही नहीं बन पायी।
कहा जाता है कि एक औरत तभी पूरी होती है जब उनकी गोद में किलकारी गूंजती है, जब वो मां बनती है, आज इस ख़ास अवसर पर यानि मदर्स डे मातृत्व दिवस (Mothers Day) पर हर कोई मां की बात कर रहा है, मां की ममता की बात कर रहा है लेकिन मां होने पर बाधाओं की बात भी करने का यही सही मौक़ा है। मां का मां होना ही उसकी सबसे बड़ी ख़ुशी है। हर वो लम्हा, जो उसे ममता छलकाने का अवसर दे, उसी पल के लिए मां जीती है, खुश होती है, सुख पाती है। छोटे-छोटे लम्हों से मिलती हैं मां को भरपूर सांसें, उसके पूरे जीवन की प्राणवायु। लेकिन उन महिलाओं का क्या जो मां ही नहीं बन पायी। उनपर  गुजरती है जो मातृत्व सुख पाने के लिए वंचित रह जाती है। तो आईये मदर्स डे पर ऐसी ही कुछ महिलाओं की व्यथाओं को भी जान लें।
शादी के बाद हर लड़की का सपना होता है कि वह मां बने। मां बनने का अहसास बहुत आनंदमय होता है, खुशियों से दामन भर देता है। मगर जब किसी लड़की को पता चलता है कि वह मां नहीं बन सकती तो एक पल के लिए उनकी दुनिया रूक सी जाती है। गर्भधारण ना कर पाने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। आज हम आपको बताएंगे कि किन कारणों से महिलाएं मां नहीं बन पाती। आइये मदर्स डे पर जानते हैं कि क्यों कुछ महिलाओं को गर्भ नहीं ठहरता है और बच्चा नहीं होता है।
आज के इस आधुनिक युग में कई कारण है जिसकी वजह से महिलाओं को गर्भ धारण करने में दिक्कत आती है। आज ऐसा दौर आ गया है जहां लड़के लड़कियां बहुत महत्वाकांक्षी होते है, अपने सपनों को पूरा करने के लिए जिंदगी और जीवन की कई अहम चीजों को नजरअंदाज कर देतें है और अपने करियर और अपने मुकाम को ज्यादा महत्व देतें है। सामाजिक सोच के साथ साथ दांपत्य जीवन में तमाम एहमियत पहले होने लगते है और मां बाप बनने की जिम्मेदारी सबसे पीछे होने लगती है जिसकी वजह से देश में बड़े पैमाने पर इनफर्टिलिटी (Infertility) जैसी दिक्कतें हमारी युवा पीढ़ी को झेलना पड़ रहा है। हम कितना भी इस सच्चाई से पीछा छुड़ाए लेकिन कटु सत्य यही है।
मदर्स डे पर जाने माने महिला रोग विशेषज्ञ डॉ निर्मल गुजराती ने The CSR Journal से ख़ास बातचीत करते हुए बताया कि “कॅरियर में ऊंचाइयों को छूने की चाह में आज स्त्री हो या पुरुष शादी को कुछ समय के लिए टालना ही उचित मानते हैं। ऐसे में शादी को लेकर होने वाली देरी कही ना कही उन्हें संतान सुख से वंचित कर सकती है। उम्र एक ऐसा कारक है जो महिला या पुरुष दोनों में इंफर्टिलिटी की एक बड़ी वजह बन रहा है। हालांकि ऑफिस का तनाव, नशा-धुम्रपान और खराब जीवनशैली भी इनफर्टिलिटी के मामलों को बढ़ाने में अपना योगदान दे रहे हैं”।
पहले समाज में औलाद और बच्चों को ज्यादा महत्त्व होता था लेकिन आज करियर, पैसा, सिंगल फैमिली ज्यादा एहमियत रखतें है यही कारण है कि अन्य बीमारियां घर कर जाती है और फिर पछतावे के आलावा कोई विकल्प नहीं बचता। इस वजह से उन्हें कई ताने भी सुनने पड़ते हैं। जरूरी नहीं कि गर्भवती न हो पाने की वजह महिला ही हो, लेकिन फिर भी उन्हें समाज में तरह-तरह की बातें सुननी पड़ती हैं। दरअसल बदलते लाइफस्टाइल की वजह से फर्टिलिटी की समस्या (Infertility) इसका बड़ी वजह है। इसके अलावा कई अन्य कारण भी हैं, जिनकी वजह से कई महिलाएं गर्भधारण नहीं कर पाती हैं।

क्या हैं गर्भधारण ना कर पाने के मुख्य कारण?

मोटापा –  डॉक्टरों के अनुसार, कई केस में मोटापा अधिक होने के कारण भी महिलाएं मां नहीं बन पातीं। दरअसल मोटापे की वजह से इंफर्टिलिटी की समस्या हो जाती है। जिससे गर्भधारण करने में दिक्कत आती है। यही नहीं मोटापे से वजन अधिक हो जाता है, इससे भी गर्भधारण करने पर असर पड़ता है। हालांकि इस बात का भी ध्यान रखें कि वजन जरूरत से ज्यादा कम भी न हो। क्योंकि बहुत कम वजन होने से भी मां बनने में दिक्कतें आती हैं। कम वजन होने से महिला के हाइपोथैलेमस में खराबी आती है और ओवरी सही से काम नहीं करती।
तनाव – आज के समय में तनाव यानि डिप्रेशन की वजह से भी कई महिलाएं गर्भधारण नहीं कर पाती हैं। तनाव की वजह से फर्टिलिटी पर असर पड़ता है। इसके अलावा अगर आपको ठीक से नींद नहीं आ रही तो इसे कंट्रोल करें, क्योंकि यह भी मां बनने के सुख से दूर करता है। नींद न आने की स्थिति में आप डिप्रेशन का शिकार होने लगती हैं।
ज्यादा गर्भनिरोधक इस्तेमाल करने के कारण – आजकल दंपत्ति अनचाहे गर्भ से बचने के लिए गर्भनिरोधक का काफी इस्तेमाल करते हैं। इसकी वजह से भी गर्भधारण करने में दिक्कत आती है। दरअसल गर्भ रोकने के लिए इंजेक्शन और गोलियां अधिक लेने से महिलाओं की फर्टिलिटी कम होती है और भविष्य में कंसीव करने के चांस कम होते हैं।
ओव्यूलेशन न होना – ओव्यूलेशन  मासिक धर्म के दौरान होने वाली वो अवस्था है, जिसमें महिलाओं में सबसे अधिक अंडोउत्सर्जन होता है। गर्भधारण के लिए यह सबसे सही समय माना जाता है, पर कई महिलाओं में ओव्यूलेशन होता ही नहीं है। ऐसे में गर्भधारण करना मुश्किल होता है। ओव्यूलेशन के ठीक से न होने की वजह पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम होता है।
फेलोपियन ट्यूब का बंद होना –  कई बार ओव्यूलेशन की समस्या फेलोपियन ट्यूब बंद होने की वजह से होती है। इससे महिलाओं में अंडोत्सर्जन न होने की समस्या होने लगती है। इस ट्यूब में किसी भी ब्लॉकेज के कारण शुक्राणु अंडकोष तक नहीं पहुंच पाते हैं। इस समस्या के होने पर महिलाएं गर्भधारण नहीं कर पातीं।
थायरॉइड – थायरॉइड की स्थिति में भी महिलाएं गर्भधारण नहीं कर पाती हैं। दरअसल हाइपर थायरॉइड होने पर महिलाओं को रिप्रोडक्टिव हार्मोन बैलेंस करने में परेशानी आती है। थायरॉइड डिसऑर्डर से मेंस्ट्रुअल साइकल में परेशानी आने लगती है। इससे बेवक्त पीरियड्स, पीरियड्स में न के बराबर खून निकलना, बहुत ज्यादा खून निकलना जैसी दिक्कतें आती हैं। वहीं एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का कम मात्रा में सेक्रीशिन होना थायरॉइड लेवल में कमी की सबसे बड़ी वजह है। इससे महिलाओं को ओवरियन सिस्ट हो सकता है व उनके गर्भधारण करने की संभावना खत्म हो सकती है।
अनियमित पीरियड्स – गर्भधारण करने के लिए पीरियड्स का सही समय पर आना बहुत जरूरी है। जब यह सही या नियमित समय पर नहीं आता, तो महिला को पीरियड्स के दौरान बहुत दर्द होता है। ये दोनों वजहें ही गर्भधारण में बाधा बनती हैं।
गर्भाशय में गांठ – गर्भाशय में गांठ यानी फाइब्रॉयड होने से भी गर्भधारण करने में परेशानी आती है। फाइब्रॉयड में मासिक धर्म के दौरान सामान्य से ज्यादा खून बहना, यौन संबंध बनाते समय दर्द होना, पीरियड्स के बाद भी खून आने जैसी दिक्कतें आती हैं और इस वजह से अंडाणु और शुक्राणु आपस में मिल नहीं पाते। इस स्थिति में मां बनना संभव नहीं होता है।
अधिक उम्र – कई मामलों में महिला और पुरुष दोनों की अधिक उम्र की वजह से भी गर्भधारण करना मुश्किल होता है। माना जाता है कि अगर महिला की उम्र 32 से ऊपर हो तो उसकी प्रजनन क्षमता काफी कम हो जाती है।
नशा – आजकल कई महिलाएं भी खूब नशा करती हैं, जो गर्भधारण करने के लिहाज से ठीक नहीं है। धूम्रपान से उनकी फर्टिलिटी पर असर पड़ता है। अगर नशा ज्यादा हो, तो मां बनने की संभावनाएं लगभग खत्म हो जाती हैं।
आधुनिक समाज में परंपराओं को तोड़कर महिलाएं आसमान छू रही हैं। क्या सेना, क्या आईटी सेक्टर महिलाएं हर क्षेत्र में किसी से कम नहीं हैं, लेकिन आज भी कई सामाजिक कुरीतियों के चलते न केवल ग्रामीण बल्कि शहरों में रहने वाली और बड़े-बड़े कॉरपोरेट हाउसेज में ऊंचे पदों पर नौकरी करने वाली महिलाएं भी इनफर्टिलिटी की वजह से मानसिक प्रताड़ना से गुजरती हैं। सास, ससुर, पति, पड़ोसी, दफ्तर से लेकर यहां तक कि कई मामलों में तो लड़की के घरवाले ही उसे मनहूस करार देते हैं। इनफर्टिलिटी की शिकार महिलाएं दो तरह के दर्द से पीड़ित होती हैं एक जो समाज से उन्हें तानों के रूप में मिलता है और दूसरा दर्द वो जो मां न बन पाने के चलते उसके मन के भीतर चलता है। विज्ञान के इस युग में लेटेस्ट टेक्नोलॉजी आईवीएफ मतलब इन विट्रो फर्टिलाइजेशन ने महिलाओं के इस अभिशाप को थोड़ा कम जरूर किया।

आईवीएफ तकनीक है बन रहा है सहारा

बढ़ती हुई इनफर्टिलिटी की समस्या पर आईवीएफ तकनीक ने सफलता पायी है, यह तकनीक निःसंतान दंपत्तियों के लिए संतान प्राप्ति का बेहतरीन जरिया बन रही है। इस तकनीक की वजह से आज उन दंपत्तियों के घर भी किलकारियां गूंज रही है जो संतान की आस खो चुके थे। आई वी एफ को टेस्ट ट्यूब बेबी के नाम से भी जाना जाता है | आईवीएफ यानि इन विट्रो फर्टिलाइज़ेशन तकनीक प्राकृतिक गर्भधारण की प्रक्रिया से थोड़ी अलग है। इसमें महिला के अंडाशय से अंडों को निकाल कर लैब में पुरुष के शुक्राणुओं के साथ निषेचित किया जाता है। निषेचन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद महिला के गर्भाशय में भ्रूण को प्रत्यारोपित किया जाता है, इसके बाद सारी प्रक्रिया सामान्य गर्भधारण जैसी ही है, इस तकनीक से पैदा होने वाली संतानों और प्राकृतिक रूप से जन्मी संतानों में कोई फर्क नहीं होता। इनका मानसिक और शारीरिक विकास बिल्कुल सामान्य गर्भधारण से जन्मी संतानों की तरह ही होता है।