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October 9, 2025

क्या वाकई होते हैं भूत-प्रेत? जानिए मेहंदीपुर बालाजी मंदिर की रहस्यमयी और चमत्कारी दुनिया

The CSR Journal Magazine
राजस्थान के दौसा जिले में स्थित मेहंदीपुर बालाजी मंदिर एक ऐसा पवित्र स्थल है जो अपने चमत्कारों, रहस्यमयी शक्तियों और भूत-प्रेत बाधा से मुक्ति के लिए प्रसिद्ध है। यह स्थान दो पहाड़ियों के बीच बसा हुआ बहुत आकर्षक दिखाई देता है। यहाँ की शुद्ध जलवायु और पवित्र वातावरण मन को आनंद प्रदान करती है।
यहां सिर्फ भारत ही नहीं, विदेशों से भी हजारों लोग केवल दर्शन करने नहीं बल्कि मानसिक शांति पाने और आत्मिक परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए इस उम्मीद के साथ आते हैं कि उनके जीवन की सारी परेशानियाँ दूर हो जाएँगी।
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि यह एक आस्था, शक्ति और चमत्कारों के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर उस दिव्यता का प्रतीक है, जहां विज्ञान की सीमाएँ समाप्त हो जाती हैं और श्रद्धा आरंभ होती है।“यहाँ न दवा चलती है, न तर्क, केवल आस्था ही चमत्कार करती है।”

मंदिर का इतिहास और मान्यता

मान्यता है कि सदियों पहले भगवान हनुमानजी स्वयं इस स्थान पर प्रकट हुए थे। एक संत को sapne में दर्शन देकर बालाजी ने अपने प्रकट होने का संकेत दिया था। इसके बाद यहां उनकी पूजा “बालाजी महाराज” के रूप में आरंभ हुई।
मंदिर का नाम “मेहंदीपुर” इसलिए पड़ा क्योंकि पुराने समय में इस क्षेत्र में मेहंदी (हिना) के पेड़ बहुतायत में पाए जाते थे। इस स्थान को विशेष रूप से ऊपरी बाधा, भूत-प्रेत, नजर दोष, जादू-टोना, और मानसिक परेशानियों से मुक्ति के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है।

प्रमुख देवता

इस मंदिर में तीन मुख्य देवताओं की पूजा होती है:

  1. बालाजी महाराज (भगवान हनुमानजी)
    यहाँ हनुमानजी का बाल स्वरूप पूजनीय है। ये मुख्य देवता हैं और इन्हीं की कृपा से भक्तों को मुक्ति मिलती है।
  2. भैरव बाबा
    यहां के रक्षक देवता माने जाते हैं। कहा जाता है कि भैरव बाबा की पूजा के बिना बालाजी की पूजा अधूरी मानी जाती है।
  3. प्रेतराज सरकार
    ये देवता प्रेत बाधाओं के सरकार माने जाते हैं। माना जाता है कि जो भी आत्मा किसी को पीड़ा देती है, उसका न्याय प्रेतराज सरकार के दरबार में होता है।

विशेष परंपराएँ और अनुष्ठान

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में कई विशेष परंपराएँ निभाई जाती हैं, जो इसे अन्य मंदिरों से अलग बनाती हैं:
  • तेल और उड़द की दाल का चढ़ावा चढ़ाया जाता है।
  • सवा मन लड्डू (लगभग 40 किलो) या सवा किलो मिठाई चढ़ाने की परंपरा है।
  • भक्त मंदिर परिसर में ही प्रसाद ग्रहण करते हैं। प्रसाद को घर ले जाना वर्जित है, क्योंकि माना जाता है कि ऐसा करने से नकारात्मक शक्तियाँ साथ जा सकती हैं।
  • मंदिर में झाड़-फूंक, हवन, और मंत्रों के उच्चारण से आत्मिक बाधाओं को शांत किया जाता है।

भूत-प्रेत मुक्ति का केंद्र


यह मंदिर विशेष रूप से उन लोगों के लिए जाना जाता है जो ऊपरी बाधाओं, काले जादू, या मानसिक तनाव से परेशान होते हैं।मंदिर के कुछ हिस्सों में झाड़-फूंक, मंत्र-साधना और विशेष उपचार किए जाते हैं।
यहां आपको कई बार ऐसे लोग दिखाई देंगे जो जोर-जोर से चिल्लाते हैं, ज़मीन पर गिरते हैं या अजीब हरकतें करते हैं।
माना जाता है कि वे ऊपरी शक्तियों से प्रभावित होते हैं और पूजा के दौरान उनके ऊपर से वह प्रभाव हटता है।यह सब देखकर मन में डर नहीं, बल्कि भक्ति और श्रद्धा की भावना जागती है, क्योंकि यहां हर कोई किसी न किसी मुसीबत से छुटकारा पाने आता है।

विशेष नियम और सावधानियाँ

यहां दर्शन के दौरान कुछ नियमों का पालन ज़रूरी होता है
  • फोटोग्राफी और वीडियो रिकॉर्डिंग पूरी तरह वर्जित है।
  • प्रसाद या कोई भी वस्तु मंदिर से बाहर ले जाना मना है। ऐसा करना अपशगुन माना जाता है।
  • मंदिर परिसर में स्वच्छता, शांति और अनुशासन बनाए रखना ज़रूरी है।
  • मंदिर से बाहर निकलते समय पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए, ऐसा माना जाता है कि कोई नकारात्मक शक्ति पीछे से आपके साथ जा सकती है।

दर्शन का समय

मंदिर रोज़ाना प्रातः 6:00 बजे से रात 9:00 बजे तक खुला रहता है।
मंगलवार और शनिवार को यहां विशेष भीड़ होती है, क्योंकि ये दिन हनुमान जी को समर्पित होते हैं।
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