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कोरोना संकट – सरकार की अपील, CSR से बनाएं अस्पताल 

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देश में जब भी आपदा आती है, कॉर्पोरेट्स हमेशा से मसीहा बनकर देश सेवा में जुट जाता है। कोरोना के इस संकट में देशवासियों की मदद के लिए सीएसआर फंड का इस्तेमाल कॉर्पोरेट्स बहुत बखूबी से कर रहा है। कॉर्पोरेट्स के इस जज्बे को सरकार भी सराहती है और देश की जनता भी हाथोहाथ लेती है। कोरोना के इस संकट में जब स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा रही है, लोगों को अस्पतालों में बेड नहीं मिल रहे है। ऑक्सीजन की कमी से लोगों की जान जा रही है। कोरोना के कहर से त्राहि त्राहि मची है। सरकारें लचर दिखाई दे रही है। ऐसे में कॉर्पोरेट्स और इंडस्ट्रियलिस्ट सीएसआर यानी कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी फंड का इस्तेमाल कर देश सेवा कर रही है।

कंपनीज का कोरोना के लिए अस्थायी अस्पताल बनाने पर होने वाला खर्च सीएसआर मानी जाएगी

कोरोना के बढ़ते मामलों के सामने अस्पतालों व दूसरे स्वास्थ्य ढांचे की कमी को देखते हुए केंद्र सरकार ने Corporates व निजी क्षेत्र से आग्रह किया है कि वह अस्थायी अस्पताल या दूसरे स्वास्थ्य केंद्र खोलने के लिए आगे आए। कंपनी मामलों के मंत्रालय (एमसीए – MCA) ने गुरुवार को बड़ी कंपनियों को पत्र लिख कर इस बारे में आग्रह किया है। कंपनियों से यह भी कहा गया है कि उनकी तरफ से निर्मित Covid Care Facility और अस्थायी हॉस्पिटल के निर्माण पर आने वाली लागत को सीएसआर (Corporate Social Responsibility) फंड में गिना जाएगा।

एमसीए (Ministry of Corporate Affairs) सचिव राजेश वर्मा ने जारी किया सर्कुलर, कहा  कोरोना के लिए बनाये अस्पताल

एमसीए (Ministry of Corporate Affairs) सचिव राजेश वर्मा ने सीएसआर पर सर्कुलर जारी करते हुए कंपनियों को कई सुझाव भी दिए है। सर्कुलर के जरिये राजेश वर्मा ने कहा है कि सीएसआर फंड के कंपनीज अस्पताल बनाने का यह काम राज्य सरकारों या स्थानीय प्रशासन के साथ विमर्श से कर सकते हैं। पत्र में एमसीए सचिव राजेश वर्मा ने लिखा है कि कई कंपनियां वर्क फ्रॉम होम को तरजीह दे रही हैं, ऐसे में उनके पास अतिरिक्त जगह भी खाली हो सकती है। इसका इस्तेमाल भी अस्थायी अस्पताल खोलने में किया जा सकता है। या फिर कोई इमारत हो तो उसका भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इन स्थानों पर कोरोना मरीजों के लिए आइसोलेशन बेड या ऑक्सीजन वाले बेड लगाए जा सकते हैं।

मुसीबत की इस घड़ी मिल रहा है कॉर्पोरेट्स का साथ

कोरोना वायरस की दूसरी लहर के प्रकोप से देश में हाहाकार मचा हुआ है। हर रोज कोविड के नए केस एक नया रिकॉर्ड बना रहे हैं। इस बीच पूरा देश ऑक्सीजन की कमी के संकट का भी सामना कर रहा है।मरीजों को तो ऑक्सीजन की कमी की वजह से अपनी जान गंवानी पड़ी है। इस गंभीर संकट की घड़ी में कई उद्योगपतियों और कंपनियों ने मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाया है। इनमें रतन टाटा, मुकेश अंबानी, नवीन जिंदल जैसे बड़े नाम शामिल हैं। सरकारी कंपनी स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड और हिंदुस्तान जिंक भी आगे आई हैं। इतना ही नहीं इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में कई कंपनीज सीएसआर के तहत अस्पताल बनाने में अपना योगदान भी दे रहे है।
अस्पतालों में बेड की संख्या, ICU बनाने में मदद, वेंटिलेटर की खरीद जैसे तमाम सीएसआर गतिविधियों में कॉर्पोरेट्स सरकार और जिला प्रशासन की मदद कर रही है। हम आपको बता दें कि कंपनी कानून के तहत लाभ कमाने वाली कंपनियों को अपने तीन साल के औसत शुद्ध लाभ का 2 प्रतिशत सीएसआर गतिविधियों पर खर्च करना होता है।