जहां देश की आर्थिक राजधानी मुंबई वुहान बनती जा रही है वही दिल्ली का भी हाल बेहाल होता जा रहा है। सरकारी अस्पतालों की हालत ऐसी है कि अस्पताल जाओ तो बेड नहीं, बेड मिले तो डॉक्टर नहीं, अगर दोनों मिले तो जिंदगी नहीं मिलती। इन अस्पतालों की बदहाली ऐसी कि मरीज सरकारी अस्पताल में जाना नहीं चाहता और प्राइवेट अस्पताल ऐसे है कि जाओ तो आपको मानों लूट ही लिया जाता है।
दिल्ली में सरकारी अस्पताल बेहाल
जहां कोरोना की महामारी में आम जनमानस दिल खोलकर मदद कर रहा है वही कुछ ऐसे लोग है जो कोरोना जैसी जानलेवा बीमारी के बहाने लूट मचाये हुए है, उन्ही बेरहम लोगों में से है कुछ निजी अस्पताल जो कोरोना को ट्रीट करने के नाम पर मरीजों को लूट रहें है। वो भी एकदम धड़ल्ले से और सरकारी चाबुक ना के बराबर।
प्राइवेट अस्पताल मैक्स में भारी बिल
ताज़ा मामला सामने आया है मैक्स अस्पताल का, जिसने कोरोना के इलाज के लिए बाकायदा एक रेट लिस्ट जारी किया है। सिर्फ मैक्स अस्पताल ही नहीं बल्कि मुंबई और दिल्ली के तमाम बड़े निजी अस्पताल इसी तरह मरीजों से मोटी रकम वसूलने का काम कर रही है। मैक्स हॉस्पिटल में इलाज कराने वाले मरीज को कम से कम एक दिन का 25 हजार रुपए का भुगतान करना होगा।
मैक्स अस्पताल की क्या है रेट लिस्ट
मैक्स हॉस्पिटल ने अपनी रेट लिस्ट को पांच कैटेगरी में बांटा है, जिसमें इकोनॉमी, डबल, सिंगल, आईसीयू और आईसीयू विद वेंटिलेटर शामिल हैं। अस्पताल ने इकोनॉमी कैटैगरी के लिए एक दिन का रेट 25090 रुपए निर्धारित किया है। जबकि, डबल के लिए 27190 रुपये है वहीं सिंगल के लिए 30490 रुपए प्रति दिन हैं। आईसीयू में भर्ती होने वाले मरीजों को एक दिन के लिए 53 हजार रुपए का भुगतान करना होगा। वहीं, आईसीयू में वेंटिलेटर पर मौजूद मरीजों को प्रति दिन का 72,550 रुपए अदा करने होंगे।
दिल्ली सरकार ने रेट तय करने का दिया था निर्देश
दिल्ली सरकार ने भी सभी निजी अस्पतालों से अपनी रेट लिस्ट जारी करने के लिए कहा था। जिसके बाद अस्पतालों ने कोरोना के इलाज के लिए एक निर्धारित रकम तय की थी। लेकिन ये तय रेट लिस्ट कोरोना को हारने के लिए है या फिर मरीज को लुटने के लिए। सोशल मीडिया में मैक्स अस्पताल के रेट लिस्ट पर लोगों में गुस्सा है और बढ़ते विवाद के बाद मैक्स अस्पताल प्रबंधन ने सफाई दी है। एक ट्ववीट के जरिये बताया कि सोशल मीडिया में जो मैक्स अस्पताल का रेट लिस्ट दिखाया जा रहा है वो भ्रामक है, इसने सभी तथ्यों जैसे नियमित परीक्षण, नियमित दवाओं, डॉक्टर और नर्स के चार्जेस आदि का समावेश नहीं किया।
भारत में लगातार कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। राज्य और केंद्र सरकारों ने इससे निपटने के लिए लगातार इंतजाम कर रही है। कई अस्पतालों को कोविड-19 के इलाज के लिए ही रखा गया है। बढ़ते मामलों की वजह से सरकारी अस्पतालों में लगातार मरीजों का दबाव बढ़ता जा रहा है लिहाजा मरीज प्राइवेट अस्पताल का रुख़ करते है लेकिन मैक्स अस्पताल जैसे निजी अस्पताल अगर मनमाना रकम वसूलेंगे तो फिर आम, गरीब और मध्यम वर्ग के लोग अपना कहां इलाज करवाएंगे, ये सबसे बड़ा सवाल है।