महाराष्ट्र में जब से नई सरकार का गठन हुआ है तब से लेकर अभी तक सीएसआर सेल पर ताला लगा हुआ है, सीएसआर सेल यानि सोशल रिस्पांसिबिलिटी सेल, ये सेल पिछले तीन महीनों से बंद पड़ा हुआ है, सहभाग नामक इस सेल में फिलहाल ना कोई कर्मचारी काम कर रहा है और ना ही सहभाग सेल कार्यरत है, सहभाग सोशल रिस्पांसिबिलिटी सेल महाराष्ट्र की एक मात्र सरकारी संघठन है जो सीएसआर को लेकर काम करती थी, लेकिन सहभाग सेल बंद होने से महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार पर कई सवाल खड़े हो रहे है। ठाकरे सरकार क्या उन सभी कार्यक्रमों को बंद करने पर तुली है जो कार्यक्रम देवेंद्र फड़नवीस ने शुरू किये थे, उद्धव ठाकरे क्या उन सभी फैसलों को निरस्त करने में जुटे है जो फड़नवीस सरकार ने लिए थे।
सीएसआर में महाराष्ट्र अव्वल
सीएसआर सेल के बंद होने से महाराष्ट्र राज्य में सामाजिक कामों पर अंकुश लग जायेगा, वो सभी काम होने में मुश्किल होगा जो काम सीएसआर फंड से महाराष्ट्र की सरकार राज्य के चौतरफा विकास और समाज के लिए करती थी, अगर सरकारी आकड़ों की माने तो महाराष्ट्र मात्र एक ऐसा राज्य है जहां कॉर्पोरेट्स कंपनियों से सबसे ज्यादा सीएसआर फंड का इस्तेमाल कर सैकड़ों सामाजिक काम किया है। साल 2016-2017 की बात करें तो महाराष्ट्र में सीएसआर को लेकर 2,487.98 करोड़ रुपये सीएसआर कंपनियों ने प्रोजेक्ट्स पर खर्च किये। वही साल 2017-2018 की बात करें तो 2,527.94 करोड़ रुपये का फंड आया। इस लिहाज से महाराष्ट्र का देश के अन्य राज्यों की तुलना करें तो महाराष्ट्र सीएसआर फंड पाने में सबसे अव्वल रहा है।
सीएसआर फंड की मदद से महाराष्ट्र में ये होता था काम
सीएसआर समाज में बदलाव के लिए मील का पत्थर साबित हो रहा है। सीएसआर के तहत कई ऐसे काम हो रहे है जिससे ना सिर्फ समाज मे बदलाव हो रहा है बल्कि लोगों की जिंदगी में भी काफी बदलाव आ रहा है। सीएसआर फंड के करोड़ों रुपये से महाराष्ट्र के दुर्गम और पिछड़े इलाकों में बड़े स्तर पर कॉर्पोरेट्स सरकार के साथ मिलकर काम कर रही है, बात करें पालघर में कुपोषण, विदर्भ में पानी की कमी, स्किल डेवलपमेंट, जलयुक्त शिविर, महिला सशक्तिकरण, स्वास्थ जैसी तमाम योजनाओं को महाराष्ट्र सरकार अगर चलाती है तो उसका फंड कॉर्पोरेट्स से ही मिलता है, लेकिन ठाकरे सरकार का उदासीन रवैये से कहीं न कहीं राज्य को जरूर पीछे लेकर जायेगा।
कैसे काम करता था सीएसआर का सहभाग सेल


