Maharashtra Cabinet Expansion News: महाराष्ट्र में मंगलवार को महायुति सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ। एनसीपी अजित गुट के कद्दावर नेता छगन भुजबल (Chagan Bhujbal Minister) ने मंत्री पद की शपथ ली। छगन भुजबल को एनसीपी अजित गुट के कोटे से धनंजय मुंडे की जगह मंत्री बनाया गया है। इस दौरान महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजित पवार भी मौजूद रहे। मंत्री पद की शपथ लेने के बाद छगन भुजबल ने कहा, “विभाग को लेकर कोई मतभेद नहीं है, जो भी विभाग मिलेगा, उसकी जिम्मेदारी संभालेंगे। खास विभाग की कोई लालसा नहीं है। साल 1991 से लेकर मंत्री बनता आया हूं। लगभग सभी मंत्रालय संभाले हैं। मेरे पास गृह विभाग भी रहा है। ऑल इज वेल, जब अंत अच्छा होता है तो सब ठीक होता है।”
मंत्रिमंडल में जगह न मिलने पर जताई थी नाराजगी
दरअसल, दिसंबर 2024 में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Maharashtra CM Devendra Fadnavis) द्वारा की गई मंत्रिमंडल विस्तार में जगह नहीं मिलने पर छगन भुजबल ने सार्वजनिक रूप से नाराजगी जताई थी। अब उनकी वापसी धनंजय मुंडे के इस्तीफे के बाद हो रही है। मुंडे ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर मार्च 2025 में खाद्य व आपूर्ति मंत्री पद से इस्तीफा दिया था। हालांकि, उनके सहयोगी वाल्मीकि कराड का नाम बीड सरपंच देशमुख हत्या मामले में नाम सामने आने के बाद इस्तीफा दिया था।
सरकार को उनके अनुभव से मिलेगा लाभ- एकनाथ शिंदे
एनसीपी नेता छगन भुजबल (NCP Leader Chagan Bhujbal) के महाराष्ट्र सरकार में मंत्री पद की शपथ लेने पर डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा, “छगन भुजबल पहले भी मंत्री रह चुके हैं। वह विभिन्न विभागों का नेतृत्व कर चुके हैं। वह एक अनुभवी राजनेता हैं। मैं, उन्हें बधाई देता हूं। राज्य सरकार को उनके अनुभव से काफी लाभ मिलेगा।”
राज्य को एक मजबूत OBC Leader की जरुरत थी
बताया जा रहा है कि भुजबल को खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग मिलने की उम्मीद है, जो उनके पास पूर्व मुख्यमंत्रियों उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे (2019-2024) के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल के दौरान था। दरअसल, माना जा रहा है कि एनसीपी को मंत्रिमंडल में एक मजबूत ओबीसी चेहरे की जरूरत थी। वहीं, जानकार मानते हैं कि महाराष्ट्र कैबिनेट में भुजबल का शामिल होना एनसीपी के लिए राजनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है, खासकर तब, जब सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को बंठिया समिति द्वारा की गई सिफारिशों से पहले ओबीसी आरक्षण के अनुसार चलते हुए स्थानीय और नगर निकाय चुनावों की प्रक्रिया चार महीने में पूरी करने को कहा है।