महाराष्ट्र में पशुओं के स्वास्थ्य के लिए 80 वेटरनरी मोबाइल यूनिट तैयार है जो दुर्गम, पहाड़ी, आदिवासी इलाकों में जाकर जानवरों का इलाज करेगी। महाराष्ट्र सरकार की इस पहल में कॉरपोरेट्स भी साथ आये है और अपने सीएसआर फंड्स से सरकार को मदद भी कर रहे है। गौरतलब है कि ऐसे क्षेत्र जहां वेटरनरी डॉक्टरों और अस्पतालों की संख्या पशुओं की तुलना में कम है ऐसी जगहों पर जाकर पशुपालकों के दरवाजे तक ये 80 वेटरनरी मोबाइल यूनिट जाएंगे और जानवरों का इलाज करेंगे। महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) की ये पहल पशुपालन और डेयरी विकास विभाग के माध्यम से किया जा रहा है।
महाराष्ट्र सरकार ने लांच किया वेटरनरी मोबाइल यूनिट, पशुओं का होगा इलाज
पशुपालन एवं डेयरी विकास मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने The CSR Journal से ख़ास बातचीत करते हुए बताया कि राज्य में डेढ़ करोड़ पशुधन की सुरक्षा के लिए राज्य सरकार द्वारा यह महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। राज्य में कुल 80 वेटरनरी मोबाइल यूनिट तैयार है जिसमें सभी अत्याधुनिक मेडिकल उपकरणों के साथ डॉक्टरों का दल भी रहेगा। और ये मेडिकल मोबाइल यूनिट जीपीएस से भी लैस रहेगा। एक मेडिकल यूनिट की औसत लागत 14 लाख 35 हजार है।
1962 पर कॉल कर घर बुलाएं वेटरनरी मोबाइल यूनिट
हम आपको बता दें कि अगर जानवर बीमार है और उसे डॉक्टर की जरूरत है तो उनके मालिक अपने घर पर डॉक्टरों को बुला भी सकते है। जिसके लिए महाराष्ट्र सरकार ने राज्य स्तर पर एक टोल फ्री नंबर 1962 भी जारी किया है। राज्य में वेटरनरी हॉस्पिटल्स के माध्यम से पशु स्वास्थ्य सेवाएं जैसे कृत्रिम गर्भाधान, दवा, टीकाकरण, सर्जरी, और गर्भावस्था जांच आदि नियमित रूप से प्रदान की जाती हैं। हालांकि यदि पशु बीमार पड़ जाता है, तो पशु को नजदीकी वेटरनरी हॉस्पिटल ले जाने के लिए पहले पशुपालक को अपने खर्च पर परिवहन की व्यवस्था करनी पड़ती थी। अधिकांश पशुपालक इस अतिरिक्त भार को वहन नहीं कर पाते थे जिसकी वजह से होने वाली मृत्यु के कारण पशुपालकों को आर्थिक हानि उठानी पड़ती थी लेकिन अब यह टीम खुद घर जाकर पशुओं का इलाज करेगी।
सीएसआर की मदद से पशुओं का होगा इलाज, स्थापित हुआ कॉल सेंटर
मोबाइल वेटरनरी मेडिकल टीम के संचालन के लिए राज्य स्तरीय कॉल सेंटर, ह्यूमन पावर, वाहनों के लिए ईंधन और मरम्मत, दवाओं और सर्जिकल उपचार के लिए उपकरण उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार का 60 फीसदी और राज्य सरकार का 40 फीसदी हिस्सा तय किया गया है। महाराष्ट्र सरकार के इस पहल को देखते हुए पुणे में पशुपालन कमिश्नरेट में सेंट्रल कॉल सेंटर बनाया गया है। जिसे बनाने के लिए इंडसइंड बैंक की सहायक कंपनी भारत फाइनेंशियल इंक्लूजन लिमिटेड के कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) फंड का इस्तेमाल किया गया है।